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संकटनाशन गणेश स्तोत्र (Ganesh Sankat Nashan Stotra) – Shri Sankat Nashan Ganesha Stotram In Hindi

Shri Sankat Nashan Ganesh Stotram In Hindi: नारद पुराण से उद्धृत श्रीगजानंद महाराज का लोकप्रिय संकटनाशन स्तोत्र मुनि श्रेष्ठ श्री नारद जी ने कहा है। इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति के जीवन के सभी संकट दूर होते हैं। इसलिए इस स्तोत्र को श्री संकटनाशन स्तोत्र या सङ्कटनाशन गणपति स्तोत्र कहते हैं।

सभी देवताओं में गणेश जी को प्रथम पूज्य माना गया है। इनकी उपासना से समस्त विघ्न दूर हो जाते हैं, इसलिए इन्हें विघ्नहर्ता व विघ्नविनाशक भी कहते है। भगवान गणेश बुद्धि के देवता हैं। इनकी कृपा से मनुष्य को बुद्धि और बल की प्राप्ति होती है। जहां भगवान गणेश का वास होता है वहां रिद्धि-सिद्धि और शुभ लाभ का भी वास होता है। इनकी कृपा से घर में शुभता और समृद्धि बनी रहती है। हर देवता की तरह गणेश जी की पूजा के लिए भी कई मंत्र और स्तोत्र हैं। इन्हीं में से एक है “संकट नाशन गणेश स्तोत्र का पाठ” यह स्तोत्र बहुत ही सिद्ध माना जाता है। इसे पढ़ने में केवल पांच मिनट का समय लगता है। संकट नाशन गणेश स्तोत्र के बारे में कहा जाता है कि इसका पाठ करने से बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है। तो आइये जानते है श्री संकटनाशन गणेश स्तोत्र (Shri Sankat Nashan Ganesha Stotra) –


संकटनाशन गणेश स्तोत्र (Ganesh Sankat Nashan Stotra)

॥ श्री गणेशाय नमः ॥

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नारद उवाच 

प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥

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प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥

जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥

॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम्‌ ॥


संकटनाशन गणेश स्तोत्र करने की विधि और लाभ

यदि संकटनाशन गणेश स्तोत्र का विधिवत पाठ किया जाए तो निश्चय ही आपकी परेशानियां दूर हो जाएंगी, लेकिन इसके लिए मन में अटूट आस्था और विश्वास होना जरूरी है। इस पाठ को नियमित रूप से करने से आपके सभी संकट दूर हो जाते हैं।

इस पाठ को आप किसी भी बुधवार से शुरू कर सकते हैं, यदि आप इस पाठ को शुक्ल पक्ष के बुधवार से शुरू करें तो यह और भी शुभ रहेगा। आपको नियमित रूप से लगातार 40 दिनों तकइस स्तोत्र का पाठ करना है।

जिस दिन आपको संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ शुरू करना हो उस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि नित्य कर्मों से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

गणेश जी को प्रणाम करने के बाद उनकी पूजा शुरू करें। गणेश जी को दूर्वा जरूर चढ़ाएं। इसके बाद गणेश नाशन स्तोत्र का पाठ करें। पाठ समाप्त होने के बाद गणेश जी को प्रणाम करते हुए अपनी पूजा अर्चना करें।

यदि आप इस स्तोत्र का पूरे नियम और भक्ति के साथ पाठ करेंगे तो कुछ ही दिनों में आपको सुखद परिणाम दिखाई देने लगेंगे। जब भी आपके जीवन में किसी प्रकार की परेशानी और संकट आती है तो भगवान गणेश आपकी रक्षा करते हैं।

विशेष मनोकामना के लिए संकटनाशन गणेश स्तोत्र

संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने के बाद गणपति की आरती करें और उनका आशीर्वाद लें। यदि आप अपनी कोई विशेष मनोकामना पूरी करना चाहते हैं तो 11 या 21 बुधवार तक या 11 या 21 दिन तक करने का संकल्प लें। पहले ही दिन भगवान गणेश के सामने अपनी मनोकामना बताएं और उनसे इसे पूरा करने का अनुरोध करें। इसके बाद इसका पाठ शुरू करें। ध्यान रहे कि आपने जो संकल्प लिया है, उसे अवश्य पूरा करें। अन्यथा आपको विपरीत प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है। भगवान गणेश को शुभ फलदाता माना जाता है। मान्यता है कि प्रत्येक बुधवार को श्रद्धापूर्वक गणपति की पूजा करने से घर से नकारात्मकता दूर होती है और शुभता आदि आती है। इसके अलावा कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत होती है। जिस पर गजानंद महाराज की कृपा रहती है, उसके सभी संकटों का नाश हो जाता है साथ ही बिगड़े काम भी बनने लगते हैं।

अगर आप भी गणपति कृपा के पात्र बनना चाहते हैं तो संकटनाशन गणेश स्तोत्र का नियमित पाठ करें। यह पाठ भगवान गणेश को अत्यंत प्रिय है। ऐसा करने से सारे दुख खत्म हो जाते हैं और बिगड़े काम भी बनने लगते हैं। यदि प्रतिदिन न कर सकें तो केवल बुधवार के दिन 11 बार इसका पाठ करें। इस पाठ को पढ़ने से पहले भगवान गणेश को सिंदूर, घी का दीपक, अक्षत, फूल, दूर्वा और नैवेद्य अर्पित करें। फिर मन में इनका मनन करके इस पाठ को पढ़ें।

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