अंत तक व्यक्ति को जीवन में इन बातों का रखना चाहिए ध्यान 

चाणक्य जी ने अपनी नीतियों के माध्यम से अनगनित युवाओं का मार्गदर्शन किया था और आज भी उनकी नीतियों को सफलता की कुंजी के रूप में पढ़ा जाता है।

आचार्य जी ने चाणक्य नीति में यह भी बताया था कि व्यक्ति को अपने जीवन में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और पालन करना चाहिए। आइए जानते हैं-

किसी भी धर्म में यदि दया भाव ना हो तो उसे शीघ्र अति शीघ्र त्याग देना चाहिए। इसके साथ व्यक्ति को विद्याहीन गुरु, क्रोधी और स्नेहहीन स्वाभाव के बंधुजनों को भी त्याग देना चाहिए।

ऐसा इसलिए क्योंकि दया भाव न होने पर विनाश निश्चित हो जाता है।

इसके साथ परिवार के सदस्यों में प्रेम ना होने पर व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा देखा जाता है कि जरूरत या विषम स्थिति में परिवार ही साथ देता है। लेकिन स्नेहहीन बंधुजनों से मदद की अपेक्षा तो दूर, सांत्वना भी नहीं मिलती है।

जिस तरह सोने का परिक्षण घिसने, कटने, तापने और पीटने, इन चार चीजों से किया जाता है। इसी तरह व्यक्ति की परीक्षा उसके त्याग, शील, गुण और कर्म भाव से किया जाता है।

आचार्य चाणक्य बता रहे हैं कि कि जिस तरह असली सोने को अपनी प्रमाणिकता देने के लिए कई प्रकार के जांच से गुजरना पड़ता है।

ठीक उसी तरह एक श्रेष्ठ व्यक्ति को उसके स्वाभाव और त्याग के भाव से पहचाना जाता है और समय-समय पर उसकी परीक्षा ली जाती है।

इसलिए हर व्यक्ति के स्वभाव में मधुरता और दया का भाव होना बहुत जरूरी है।