खुशी हो या गम, भूलकर भी न करें ये काम

खुश होने पर न करें कोई वादा - आचार्य चाणक्य का कहना है कि व्यक्ति के जीवन में यदि कोई खुशी या प्रसन्नता का मौका आया है तो उसका बहुत अधिक इजहार नहीं करना चाहिए।

प्रसन्न होने पर कोई वादा भी नहीं देना चाहिए। खुशी के मौके पर अपनी भावनाओं को काबू में रखें।

क्योंकि कई बार खुशी में ऐसा वादा कर बैठता है जिसकी वजह से बाद में नुकसान उठाना पड़ता है। 

क्योंकि बुरा समय होने पर व्यक्ति अपने सोचने समझने की शक्ति खो बैठता है और इस दौरान लिया गया निर्णय आपको मुश्किल में डाल सकता है। 

इसलिए बेहतर है कि दुख की घड़ी में कोई निर्णय न लें। 

क्रोध में जवाब - जब व्यक्ति क्रोधित होता है तो वह सही-गलत की समझ खो बैठता है। 

और उसकी जुबां से ऐसी बातें निकल जाती हैं जो कि जिंदगीभर के लिए रिश्तों में दरार ला सकती हैं। 

इसलिए क्रोधित होने पर व्यक्ति को अपने मुंह पर ताला लगा लेना चाहिए। 

क्रोध की स्थिति में जबाव न देना ही सबसे बेहतर उपाय है और ऐसे में खुद को शांत रखने की कोशिश करें।