इंसान अपने मन में कभी न लाएं ये बाते 

कहते हैं कि चाणक्य की नीतियां अपनाना मुश्किल है लेकिन जिसने भी अपनाया उसे जीवन में हार का कम ही सामना करना पड़ा।

एक श्लोक में चाणक्य ने बताया है कि आखिर व्यक्ति को अपने मन में कौन-सी मंशा नहीं रखनी चाहिए आप भी जानें

ब्राह्मण दक्षिणा प्राप्त करने के बाद यजमान का घर छोड़ देते हैं, विद्या प्राप्त करने के बाद शिष्य गुरु के आश्रम से विदा ले लेता है। 

वन में आग लग जाने पर वहां रहने वाले हिरण आदि पशु उस जंगल को छोड़कर किसी दूसरे जंगल की ओर  चल देते हैं। 

अगर कोई व्यक्ति किसी विशेष कार्य के कारण किसी के पास जाता है, तो अपना कार्य सिद्ध हो जाने पर वह स्थान छोड़ देना चाहिए।

जिस प्रकार ब्राह्मण लोग यजमान के किसी कार्य की पूर्ति के बाद दक्षिणा प्राप्त हो जाने पर आशीर्वाद देकर वहां से चले जाते हैं।

शिष्य भी विद्या की प्राप्ति के बाद गुरुकुल छोड़कर अपने-अपने घर चले जाते हैं।

जब किसी जंगल में आग लग जाती है तो वहां रहने वाले पशु भी उस जंगल को छोड़कर किसी दूसरे जंगल की खोज में चले जाते हैं। 

यानी व्यक्ति को अपना कार्य समाप्त हो जाने पर किसी के यहां डेरा डालने की मंशा नहीं करनी चाहिए।