आपमें भी है ये आदतें तो कभी नहीं रह पाएंगे सुखी

जिस व्यक्ति का चित्त आर्थत मन स्थिर नहीं रहता, उस व्यक्ति के बने बनाए कार्य तक बिगड़ जाते हैं।

सबसे पहले अपने मन पर नियंत्रण रखना जरूरी रहता है क्योंकि अगर मन नियंत्रण में नहीं रहेगा तो उस व्यक्ति को ना तो काम करने में मन लगेगा और ना ही लोगों के बीच रहन पसंद करेंगे।

ऐसा व्यक्ति समाज में भी अपना स्थान सही से नहीं बना पाता है। लोगों की सफलता को देखकर ईर्ष्या भाव रखता है, जिस वजह से वह कभी खुश नहीं रह पाता।

इसलिए कभी भी दुसरों की सफलता को देखकर कभी ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए बल्कि आगे की मेहनत करने के लिए प्रोत्साहन करना चाहिए।

ऐसा व्यक्ति ना तो समाज के साथ खुश रह पाता है और अकेले में भी चला जाए तो वहां भी खुश नहीं रह पाता।

चाणक्य ने श्लोक के अंत में कहा है कि ऐसा व्यक्ति जिसका मन नियंत्रण में नहीं रहता और दूसरों की सफलता देखकर ईर्ष्या भाव रखता है, उसको समाज के साथ अकेले में भी रहना पसंद नहीं आता।

अकेले में रहने पर उस व्यक्ति को ऐसा लगता है कि मेरे साथ कोई नहीं है और पूरा दुनिया मेरे खिलाफ काम कर रही है।

इसलिए ऐसी अवस्था से योग व ध्यान के माध्यम से निकलना जरूरी होता है।

जो व्यक्ति इस तरह की आदतों से दूर रहता है, उसको जल्दी सफलता मिलती है क्योंकि वह इधर उधर की बातों से अलग अपने काम पर ध्यान देता है।

ऐसी आदतों मनुष्य के अंदर किसी बीमारी की तरह होती हैं लेकिन इसका कोई इलाज नहीं होता है। इसलिए सबसे पहले अपने आपको शांत रखना बेहद जरूरी है और उसके बाद जीवन में अनुशासन में रखना।

इन चीजों को अपनाने सही जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।