इन हालातों में अन्न, वर्षा का जल और दीये की रौशनी भी हो जाती है बेकार

चाणक्य नीति के अनुसार, कुछ परिस्थितियों में इन चीजों की अधिकता सही नहीं होती। ऐसी जगहों पर इनका होना व्यर्थ माना जाता है।

आइए चाणक्य नीति के अनुसार जानते हैं कि ऐसी कौन सी चीजें और परिस्थितियां हैं, जिन्हे व्यर्थ माना गया है...

आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो व्यक्ति पहले से संपन्न है, उसे और अधिक दान देने से हमें कोई पुण्य फल नहीं मिलेगा और न ही उस व्यक्ति को उस दान से कोई फर्क पड़ेगा। 

इसलिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि धनिक (अमीर आदमी) को दान करना व्यर्थ है।

रौशनी की जरूरत अंधेरे में होती है। अंधकार को दूर करने के लिए दीपक जलाया जाता है। ऐसे में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि दिन में सूर्य की पर्याप्त रोशनी होते हुए भी अगर कोई दीपक जलाता है तो इसे मूर्खता ही समझा जाएगा। दिन में दीपक जलाना व्यर्थ है।

यदि किसी व्यक्ति ने भरपेट भोजन किया हुआ है तो, उसे भोजन करना या भोजन करने का आग्रह करना व्यर्थ है। 

चाणक्य नीति के अनुसार, जिस व्यक्ति का पेट भरा है, उसके लिए छप्पन भोग भी किसी काम के नहीं। इसलिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि तृप्त व्यक्ति को भोजन कराना बेकार है।

चाणक्य नीति के अनुसार, समुद्र अथाह पानी का भंडार है। वहां चाहे जितनी भी बारिश हो जाए, समुद्र को कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि उससे किसी का भला नहीं होगा। ऐसे में समुद्र में बारिश होना व्यर्थ है।