इस स्थान पर खुशी-खुशी वास करती हैं मां लक्ष्मी

आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उनके द्वारा रचित चाणक्य नीति को आज भी विश्व भर में पढ़ा और सुना जाता है।

चाणक्य नीति के इस भाग में आज हम जानेंगे की माता लक्ष्मी कैसे स्थान पर खुशी-खुशी वास करती हैं और संसार में क्या निश्चल है?

जिस स्थान पर मूर्ख या अज्ञानी व्यक्ति का सम्मान नहीं होता है, जहां अन्न का भंडार हर समय भरा रहता है।

जिस स्थान पर पति-पत्नी या परिवार के सदस्यों में कलह की स्थिति नहीं होती है। वहां माता लक्ष्मी स्वयं वास करती हैं।

इसलिए मनुष्य को सदैव इन बातों का ध्यान रखकर ही जीवन यापन करना चाहिए।

अन्यथा व्यक्ति को आर्थिक, मानसिक व शारीरिक रूप से कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

आचार्य चाणक्य ने बताया है लक्ष्मी का स्वभाव चंचल है। वह आज हमारे पास है तो कल कहीं और चली जाती है।

ठीक उसी प्रकार प्राण, जीवन, शरीर यह सब चंचल हैं और एक समय आने पर इनका नाश हो जाता है।

लेकिन सृष्टि में केवल 'धर्म' ही निश्चल है इसलिए व्यक्ति को सदैव धर्म के मार्ग पर चलकर अपना कर्म करना चाहिए और दूसरों को भी धर्म का ज्ञान देना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को ही श्रेष्ठ माना जाता है।