कभी भी किसी चीज की तुलना दूसरों से न करें, अन्यथा जीवन भर रहेंगे दुखी

आप अपनी जिंदगी की तुलना अन्य लोगों के साथ मत करो सूर्य और चंद्रमा दोनों ही चमकते हैं लेकिन अपने अपने समय पर।'

मनुष्य के अंदर दूसरों से होड़ करने की आदत होती है ऊसर इसी कारणवश वह दूसरे व्यक्ति से अपनी या किसी अन्य व्यक्ति की तुलना करता है। आचार्य चाणक्य के इस कथन के अनुसार, किसी भी मनुष्य को अपने जीवन की तुलना दूसरों से नहीं करनी चाहिए।

मनुष्य अपने जीवन की तुलना दूसरे से करने लगते हैं। अक्सर ये तुलना करियर, कपड़ों, मकान और कई बार पैसे को लेकर भी होती है। ऐसा करने से आप दूसरे व्यक्ति के भीतर हीनभावना भर सकते हैं। यदि आपके अंदर भी यह आदत है तो इस आदत को तुरंत बदल दें।

मनुष्य अपने जीवन की तुलना दूसरे से करने लगते हैं। अक्सर ये तुलना करियर, कपड़ों, मकान और कई बार पैसे को लेकर भी होती है। ऐसा करने से आप दूसरे व्यक्ति के भीतर हीनभावना भर सकते हैं। यदि आपके अंदर भी यह आदत है तो इस आदत को तुरंत बदल दें।

आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्य कई प्रकार के लोगों से मिलता है। सबका रहन सहन एक दूसरे से भिन्न हो सकता है। संभव हो कि जो चीजें सामने वाले व्यक्ति के पास है वो आपके पास न हो, या जैसी जीवनशैली वो जी रहा है वैसी आप छह कर भी न जी पा रहे हैं। लेकिन कभी भी दूसरों से अपनी तुलना न करें। ये आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। यह आपके मन में ईर्ष्या के भाव उत्पन्न करेगा।

आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस तरह आसमान में चंद्रमा और सूरज के चमकने का समय अलग होता है उसी तरह मनुष्य के जीवन में भी उसे जो भी मिलेगा अपने समय के अनुसार मिलेगा और वही मिलेगा जिसके वो योग्य है। इसलिए मनुष्य को सब्र रखना चाहिए न कि अन्य व्यक्तियों से तुलना करना चाहिए।