बगुला - बगुले की खासियत होती है कि वो अपनी सभी इंद्रियों पर काबू करना जानता है।
चाणक्य कहते है कि संयम व्यक्ति की सफलता की पहली सीढ़ी होती है।
जो व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर काबू नहीं कर पाता उसका मन सदा अशांत रहता है और वो लक्ष्य से भटक जाता है।
बगुले की तरह व्यक्ति को देश, काल और अपनी ताकत यानी क्षमता अनुसार ही कार्य करना चाहिए।
इसमें सफलता की संभावना प्रबल होती है। एकाग्रता के साथ किया काम सफल होता है।
कोयल - वाणी से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान होती है। जिस तरह कोयल तब तक चुप रहती है जब तक उसकी मधुर वाणी नहीं फूटती।
उसी प्रकार अगर अच्छा नहीं बोल सकते तो चुप रहने में भलाई है। कम बोले लेकिन मीठा बोलें। मीठी वाणी लोगों को आकर्षित करती हैं।
मुर्गा - सूर्योदय से पूर्व उठना, डटकर मुकाबला करना, मिल बांटकर खाना और स्वंय हमला कर अपना भक्ष्य जुटाना ये चार महत्वपूर्ण गुण व्यक्ति को मुर्गे से सीखना चाहिए।
कामयाबी हासिल करने के लिए ये चारो गुण बहुत मायने रखते हैं।