व्यक्ति को अंदर से तोड़ कर रख देते हैं ये दुख

बेटी के लिए सुयोग्य वर की तलाश कर उसका विवाह करना पिता के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि होती है। बेटी का विवाह करके पिता अत्यंत सुख का अनुभव करता है।

लेकिन यदि बेटी विधवा हो जाए तो माता-पिता के लिए ये जीवन का सबसे बड़ा दुख होता है।

जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां आती हैं, जब व्यक्ति को ऐसे स्थान पर रहना पड़ता है जहां वो नहीं रहना चाहता।

ऐसे स्थान पर रहना व्यक्ति के लिए बोझ के समान होता है। उस जगह उसे हर समय घुटन होती रहती है।

स्त्री हो या पुरुष यदि उसका स्वभाव अच्छा नहीं है। वो झगड़ालू प्रवृत्ति का है, तो उसके जीवनसाथी की जंदगी नर्क के सामान बन जाती है।

इस दुख से बाहर निकल पाना स्त्री या पुरुष दोनों के लिए मुश्किल होता है।

यदि कोई व्यक्ति शराबी है और काम धाम नहीं करता तो उसकी पत्नी और बच्चों का जीवन नर्क के समान हो जाता है।

बाद में परिस्थितियां भले ही सही हो जाएं, लेकिन वो दुख व्यक्ति को जीवन भर सताता रहता है।

कहा जाता है कि पुत्र को पिता की बुढ़ापे की लाठी होता है, लेकिन यदि पुत्र मूर्ख हो तो वो जीवन भर माता-पिता पर बोझ के समान बन जाता है।

ऐसे पुत्र जिनकी बुढ़ापे में भी माता पिता को चिंता करनी पड़े, उसका धरती पर होना अभिशाप की तरह है।