सत्य ही ईश्वर, सत्य से बढ़कर कुछ नहीं

इस संसार में सत्य ही ईश्वर का रूप है। धर्म का बुनियादी स्तम्भ भी सत्य पर ही आश्रित है।

सत्य ही सभी का मूल है और सत्य से बढ़कर इस संसार में और कुछ भी चीज नहीं है।

इसलिए व्यक्ति को सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए और सदैव सत्य को ही अपना परम धर्म मानना चाहिए।

चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति को हमेशा सत्य बोलना चाहिए, लेकिन अप्रिय लगे ऐसा सत्य भी नहीं बोलना चाहिए।

इसके साथ प्रिय लगने वाला असत्य भी कभी नहीं बोलना चाहिए। यही सनातन धर्म है।

आचार्य चाणक्य बता रहे हैं कि व्यक्ति को सत्य का मार्ग हमेशा अपनाना चाहिए। लेकिन दूसरों के दिल को ठेस पहुंचे ऐसा सत्य भी नहीं बोलना चाहिए।

जैसे उनके रहन-सहन पर कटाक्ष या उनकी भाषा का मजाक या जो आपके नजरिये से सत्य है लेकिन सुनने वाले के लिए वह बात अनादर हो तो उसे मुंह से नहीं निकालना चाहिए।