स्नान और बीमार होने के बाद जब 15 दिनों के लिए जब भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा एकांतवास में रहेंगे, तो इस अवधि के दौरान भक्त देवताओं को नहीं देखा सकते।
इस समय भक्तों के दर्शन के लिए उनकी छवि दिखाई जाती है। वहीं ठीक होने के बाद जब तीनों बाहर आते हैं तब भव्य यात्रा निकाली जाती है। इस रथयात्रा में देश के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं।
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जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्री कृष्ण जगन्नाथ के नाम से विराजमान हैं। यहां उनके साथ उनके ज्येष्ठ भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा भी हैं। पुरी में भगवान जगन्नाथ के अलावा बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा की प्रतिमाएं काष्ठ की बनी हुई हैं।
जगन्नाथ पुरी धाम को मुक्ति का द्वार कहा गया है। आषाढ़ शुक्ल के द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ तीन विशाल रथ पर सवार होते हैं अपने धाम से निकल कर गुंडिचा मंदिर जाते हैं, उसे उनकी मौसी का घर कहा जाता है। वहां पर भगवान जगन्नाथ सात दिनों तक रहते हैं।