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महाराणा प्रताप को किसने मारा और कैसे मारा था?

महाराणा प्रताप को किसने मारा था – कहा जाता है कि महाराणा प्रताप की मृत्यु की खबर सुनने के बाद अकबर की आँखों में प्रताप की दृढ़ देशभक्ति देखकर आँसू आ गये थे। मुगल दरबार के कवि अब्दुर रहमान ने लिखा है, ‘इस दुनिया में हर चीज खत्म होने वाली है। धन-दौलत खत्म हो जाएगी लेकिन महान व्यक्ति के गुण हमेशा जीवित रहेंगे। प्रताप ने अपना धन त्याग दिया लेकिन कभी अपना सिर नहीं झुकाया। उन्होंने अकेले ही हिंद के सभी राजकुमारों के बीच अपना सम्मान बनाए रखा।

इसलिए आज के इस लेख में हम आपको महाराणा प्रताप को किसने मारा था और कैसे मारा था आदि के बारे में जानकारी देने वाले है।

महाराणा प्रताप को किसने मारा और कैसे मारा था (Maharana Pratap Ko Kisne Aur Kaise Mara Tha)

महाराणा प्रताप को किसी ने मारा नहीं था, बल्कि धनुष की डोर खींचने से उनकी आंत में लगने के कारण इलाज के बाद 57 वर्ष की उम्र में 29 जनवरी, 1597 को उनकी मृत्यु हो गई थी।

महाराणा प्रताप के बारे में (Maharana Pratap In Hindi)

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मेवाड़ के महाराणा प्रताप, जिनका जन्म 9 मई, 1540 ई. को राजस्थान के कुंभलगढ़ किले में हुआ था, वे पिता उदय सिंह और माता जयवंताबाई की 33वीं संतान थे, जिन्हें बचपन में ‘कीका’ कहकर संबोधित किया जाता था, वे अपने निडर स्वभाव, प्रेम के लिए जाने जाते थे।

महाराणा प्रताप अपनी कूटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ तथा मानसिक एवं शारीरिक क्षमताओं में अद्वितीय थे। उनकी ऊंचाई 7 फीट और वजन 110 किलोग्राम था और उनके पास 72 किलोग्राम वजन का छाती कवच, 81 किलोग्राम वजन का एक भाला और 208 किलोग्राम वजन की दो तलवारें थीं।

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उनके पास उस समय का सबसे अच्छा घोड़ा ‘चेतक’ था, जो अंतिम समय में, जब मुगल सेना महाराणा प्रताप के पीछे थी, अपनी पीठ पर प्रताप को लेकर 26 फीट ऊंची छलांग लगाकर नाला पार कर गया और वीरगति को प्राप्त हुआ। जबकि मुगल घुड़सवार इस नाले को पार नहीं कर सके।

पिता उदय सिंह द्वारा अपनी मृत्यु से पहले अपनी सबसे छोटी पत्नी के पुत्र जगमाल को अपना उत्तराधिकारी घोषित करने से मेवाड़ की जनता असहमत थी। महाराणा प्रताप ने मेवाड़ छोड़ने का फैसला किय, लेकिन जनता के समझाने के बाद वे यहीं रुके और 1 मार्च, 1573 को राजगद्दी संभाली।

उस समय दिल्ली पर मुगल शासक अकबर का शासन था और कई हिंदू राजा उनकी अधीनता स्वीकार करने के लिए संधियाँ और समझौते कर रहे थे, जबकि कई लोग मुगल महिलाओं के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित करने में व्यस्त थे। लेकिन इनके विपरीत, महाराणा प्रताप ने अकबर की दासता स्वीकार नहीं की। इससे आहत होकर अकबर ने मानसिंह और जहाँगीर के नेतृत्व में अपनी सेना मेवाड़ पर आक्रमण करने के लिए भेजी।

18 जून, 1576 को हल्दीघाटी का युद्ध आमेर के राजा मानसिंह और आसफ खान के नेतृत्व में मुगल सेना और महाराणा प्रताप के बीच हुआ। ऐसा माना जाता है कि इस युद्ध में न तो अकबर जीत सका और न ही महाराणा प्रताप हार सके। एक तरफ अकबर की विशाल, सुसज्जित सेना थी और दूसरी तरफ महाराणा प्रताप की लड़ाकू सैनिकों की सेना थी।

हल्दीघाटी के ऐतिहासिक युद्ध के बाद महाराणा प्रताप अपने परिवार सहित जंगलों में भटकते रहे और अपनी सेना को संगठित करते रहे। एक दिन जब उन्होंने अपने बेटे अमर सिंह की भूख मिटाने के लिए घास की रोटी बनाई तो उसे भी एक जंगली बिल्ली ले गई। इससे परेशान होकर महाराणा प्रताप का स्वाभिमान डगमगाने लगा।

उनका साहस कमजोर पड़ने लगा। ऐसी अफवाह फैल गई कि महाराणा प्रताप ने मजबूरी में अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली। तब बीकानेर के कवि पृथ्वीराज राठौड़ ने महाराणा को पत्र लिखकर उनके सुप्त स्वाभिमान को पुनः जागृत किया। फिर अकबर अपनी मृत्यु तक महाराणा प्रताप को अपने अधीन करने में असफल रहा।

अंततः, धनुष की प्रत्यंचा खींचने के कारण आंत में लगी चोट के कारण उपचार के बाद 29 जनवरी, 1597 को 57 वर्ष की आयु में महाराणा प्रताप की उनकी राजधानी चावंड में मृत्यु हो गई।

FAQs

महाराणा प्रताप कैसे मारा था?
धनुष की डोर खींचने से उनकी आंत में लगने के कारण इलाज के बाद 57 वर्ष की उम्र में 29 जनवरी, 1597 को उनकी मृत्यु हो गई थी।

महाराणा प्रताप शाकाहारी थे?
महाराणा प्रताप शाकाहारी माने जाते है।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज के इस लेख में हमने आपको महाराणा प्रताप को किसने मारा और कैसे मारा था के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख महाराणा प्रताप को किसने मारा (Maharana Pratap Ko Kisne Mara Tha) अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।

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