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मेघनाथ कौन था, मेघनाथ का वध किसने किया था और मेघनाद के पुत्र का नाम क्या था?

Meghnath Kaun Tha Aur Meghnath Vadh: हिंदू धर्म में सबसे प्रसिद्ध और पवित्र गाथा रामायण है। रामायण में इतने प्रकार के चरित्रों का चित्रण किया गया है, जिसे समझना आज भी बहुत कठिन है। लेकिन आज हम रामायण के एक ऐसे अद्भुत पात्र के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका नाम आप हजारों सालों से सुनते आ रहे हैं। वह नाम है मेघनाथ, जो इंद्रजीत के नाम से भी जाना जाता हैं। इसलिए आज हम मेघनाथ इंद्रजीत के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे है तो आइये जानते है –

मेघनाथ कौन था (Meghnath Kaun Tha)

युद्ध के मैदान में सबके पसीने छुड़ाने वाले महान योद्धा मेघनाथ लंकापति रावण का ज्येष्ठ पुत्र और प्रिय पुत्र था। रावण की पहली पत्नी मंदोदरी ने मेघनाथ को जन्म दिया था। उन्होंने अपने बेटे का नाम मेघनाथ क्यों रखा, इसके पीछे एक कहानी है। शास्त्रों के अनुसार जब मेघनाथ प्रकट हुआ तो उनका रोना किसी सामान्य बालक की तरह न होकर मेघ की गड़गड़ाहट के समान सुनाई दिया, जिसके कारण उस बालक का नाम मेघनाथ रखा गया।

मेघनाथ का वध किसने किया था (Meghnath Vadh Kisne Kiya Tha)

मेघनाथ का वध लक्ष्मण ने किया था, क्योकि मेघनाथ को वरदान प्राप्त था की उसकी मृत्यु उसी के हाथ होगी, जो 12 वर्षों तक सोया न होगा। और ऐसे एक मात्र व्यक्ति लक्ष्मण जी थे, क्योंकि वे वनवास के दौरान 14 वर्षों तक नहीं सोए थे। इसी वजह से इस युद्ध में लक्ष्मण के हाथों मेघनाथ की मृत्यु हुई थी।

मेघनाद के पुत्र का नाम क्या था (Meghnath Ke Putra Ka Kya Naam Tha)

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मेघनाद के पुत्र का नाम अक्षय कुमार था।

क्यों, मेघनाथ रावण का प्रिय पुत्र था (Kyo Rawan Meghnath Ka Priya Putra Tha)

हिंदू शास्त्रों और ज्योतिष के अनुसार मेघनाथ रावण के ज्येष्ठ पुत्र और लंका के युवराज भी थे। इसलिए रावण मेघनाथ से सबसे अधिक प्रेम करता था। कहा जाता है कि रावण जितना महान ज्योतिषी था, वह अपने पुत्र मेघनाथ को अपने से कहीं अधिक गुणी, महान योद्धा और सबसे ज्ञानी बनाना चाहता था।

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इतना ही नहीं, अपने पुत्र को सबसे शक्तिशाली और अमर बनाने की इच्छा से, त्रिलोक के विजेता रावण ने अपने पुत्र के जन्म के समय सभी देवताओं को एक ही स्थान पर यानी एकादश भाव (ग्यारहवें घर) में विराजमान रहने के लिए कहा था। मेघनाथ के जन्म के समय रावण को अपने पुत्र से इतना लगाव हो गया था कि उसने ग्रहों की गति को भी बदलने की कोशिश की थी।

लेकिन, भगवान शनिदेव ने रावण के आदेश की अवहेलना की और सभी ग्रहों से दूर, बाहरवें घर में जाकर बैठ गए। ताकि रावण के पुत्र मेघनाथ अजर को अमर की उपाधि न मिल सके।

मेघनाथ को कैसे मिला ब्रह्मा का वरदान (Meghnath Ko Kaise Mila Brahma Ka Vardan)

हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार लंकापति रावण ने स्वर्ग पर अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए देवताओं पर आक्रमण किया था। इस युद्ध में मेघनाथ ने भी भाग लिया था। इस दौरान जब इंद्र ने लंकापति पर आक्रमण करना चाहा तो मेघनाथ अपने पिता को बचाने के लिए आगे आए। मेघनाथ ने उसी क्षण इंद्र और इंद्र के वाहन ऐरावत पर आक्रमण कर दिया और उसने सभी देवताओं सहित इंद्र को पराजित कर दिया, जिसके बाद से उसे इंद्रजीत के नाम से संबोधित किया जाने लगा।

युद्ध की समाप्ति के बाद मेघनाथ स्वर्ग से चला गया और इंद्र को अपने साथ ले लंका गया। जब ब्रह्मा जी ने मेघनाथ से इंद्र को मुक्त करने का अनुरोध किया, तो मेघनाथ ने इंद्र को मुक्त करने से मना कर दिया। इसके बाद ब्रह्मा जी ने इंद्र को छोड़ने के बदले में वरदान देने का वचन दिया।

इसका लाभ उठाकर मेघनाथ ने उनसे अमरता का वरदान मांगा। उस दौरान ब्रह्मा ने मेघनाथ से कहा कि इस प्रकृति में किसी भी जीव का अमर होना संभव नहीं है क्योंकि यह प्रकृति के ही विरुद्ध है। तुम कोई और वर माँग लो। लेकिन मेघनाथ अपनी बात पर अड़ा रहा। इसके बाद ब्रह्मा ने कहा कि यदि वह अपनी मूल देवी निकुंभला देवी का यज्ञ करेंगे और जब वह यज्ञ पूरा हो जाएगा तो उन्हें ऐसा रथ मिलेगा, जिस पर बैठकर वे किसी शत्रु के सामने युद्ध में पराजित न होंगे और न ही मृत्यु होगी।

इसके साथ ही ब्रह्मा जी ने इन्द्र से यह भी कहा कि पृथ्वी पर केवल एक ही होगा जो मेघनाथ का अंत कर सकेगा। जो 12 साल से सोया न होगा। इस वरदान के कारण, लक्ष्मण एकमात्र व्यक्ति थे जो मेघनाथ को मार सकते थे क्योंकि वह वनवास के दौरान 14 वर्षों तक नहीं सोए थे। इसी वजह से राम-रावण युद्ध के दौरान युद्ध क्षेत्र में लक्ष्मण के हाथों मेघनाथ की मृत्यु हो गई थी।

मेघनाथ पृथ्वी पर था सबसे शक्तिशाली (Meghnath In Hindi)

कहा जाता है कि इंद्रजीत के पराक्रम की जितनी तारीफ की जाए कम है क्योंकि वह अकेला ऐसा योद्धा था जिसने एक ही दिन के युद्ध में 67 मिलियन बंदरों (वानरों) को मार डाला था। वह लंका का अकेला ऐसा योद्धा था जो पूरी वानर सेना को अपनी गर्जना से बिखेर सकता था। लेकिन अहंकार के कारण मौत के घाट उतार दिया गया।

निष्कर्ष

आज इस लेख के माध्यम से हमने आपको मेघनाथ कौन था, मेघनाथ का वध किसने किया था सहित मेघनाद के पुत्र का नाम क्या था के बारे में भी जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा, अगर आपको यह लेख मेघनाथ कौन था अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।

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