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निर्जला व्रत में पानी कब पीना चाहिए, निर्जला व्रत में पानी पीना चाहिए या नहीं

निर्जला व्रत में पानी कब पीना चाहिए – निर्जला एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन निर्जला व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और घर में धन की वर्षा होती है। यह एकादशी 24 एकादशियों में सबसे पवित्र मानी जाती है। निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से लेकर द्वादशी के दिन सूर्योदय तक बिना जल ग्रहण किये व्रत रखने का नियम है। लेकिन, व्रत रखने से पहले पानी कब और कैसे पीना चाहिए, इसके बारे में भी शास्त्रों में नियम बताए गए हैं। तो आइए जानते हैं व्रत से पहले पानी पीने का सही समय क्या है –

निर्जला व्रत में पानी कब पीना चाहिए (Nirjala Vrat Me Kab Pani Peena Chahiye)

निर्जला एकादशी व्रत के दिन जल ग्रहण करना मना है। निर्जला एकादशी के व्रत के दौरान एकादशी के सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी के सूर्यास्त तक अन्न और जल ग्रहण करना मना है।

साथ ही व्रत के नियमों का सही ढंग से पालन करने से ही व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। लेकिन अगर आपको प्यासे रहने में दिक्कत होती है तो आप एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले पानी का सेवन कर सकते हैं। इससे आपका व्रत नहीं टूटेगा और आपको व्रत का पुण्य फल भी मिलेगा।

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शास्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी से पहले सुबह 3 बजे से 4:30 बजे के बीच पानी का पिया जा कर सकता हैं। कहते है कि सुबह 3 बजे से पहले या 4:30 बजे के बाद भी पानी पीना सही नहीं है, 4:30 बजे के बाद वर्तमान तिथि मानी जाती है।

तबियत खराब होने या गर्मी के कारण गला सूखने पर की स्तिथि में आप आचमन या कुल्ला कर गला गिला कर सकते है। इससे भी व्रत नहीं टूटेगा और आपका मुंह पानी से थोड़ा तर भी हो जाएगा, जिससे आपको राहत का एहसास होगा।

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इसके लावा अगर किसी व्यक्ति ने निर्जला एकादशी का व्रत रखा है और उसकी जान को खतरा है तो एक थाली में जल भरकर उसके सामने रख दें। सबसे पहले 12 बार ‘ओम नमो नारायण’ का जाप करें। इसके बाद आप पशुवत अपने घुटनों और बांहों को जमीन पर रखकर जानवरों की तरह (जानवरों की तरह, हाथों का उपयोग किए बिना सीधे मुंह के माध्यम से) पानी पी सकते हैं। ऐसा करने से व्रत नहीं टूटता और निर्जला एकादशी का पूरा फल मिलता है।

पानी पीने के बाद पानी को थाली से बाहर फेंक दें। ध्यान रखें कि वह पानी पेड़ पर न डालें। ऐसा इसलिए क्योंकि यह झूठा जल होगा और पेड़ों को शुद्ध जल ही अर्पित किया जाता है। ऐसे में पानी पीना एक शास्त्र सम्मत उपाय है। इस तरह पानी पीने से व्रत नहीं टूटता।शास्त्रों के अनुसार इस प्रकार पानी पीने से कोई दोष नहीं लगता क्योंकि यह पशुवत आचरण है। पूजा या व्रत के नियम जानवरों पर लागू नहीं होते। ऐसे में जानवरों के आचरण से पानी पिया जा सकता है।

अगर आप निर्जला एकादशी का व्रत कर रहे हैं लेकिन पानी न पीने से आपको थोड़ी असुविधा महसूस हो रही है तो आप पूजा के दौरान आचमन का जल पी सकते हैं। इससे आपका व्रत नहीं टूटेगा और आपकी प्यास भी बुझ जायेगी।

ऐसा माना जाता है कि व्रत के दौरान अगर आप पानी पीते हैं या फलहार कर लेते हैं तो भी व्रत नहीं टूटेगा, बल्कि आपको केवल एक ही एकादशी का फल मिलेगा। निर्जला एकादशी का पूरा लाभ पाने के लिए आपको 24 घंटे तक बिना पानी पिए रहना चाहिए।

शुभ मुहूर्त में करें पारण –

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी के व्रत का पूरा फल तब मिलता है जब व्रत का पारण सही समय पर किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार व्यक्ति को द्वादशी तिथि के दिन ही शुभ मुहूर्त में पारण करना चाहिए। इस व्रत को करने वाले लोगों को सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु को प्रणाम करना चाहिए और पूजा करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार दक्षिणा देकर सम्मानपूर्वक विदा करना चाहिए। इसके बाद अपना व्रत खोलें।

निर्जला व्रत में पानी पीना चाहिए या नहीं (Nirjala Vrat Me Pani Peena Chahiye Ya Nahi)

नहीं, निर्जला व्रत में पानी नहीं पीना चाहिए।

निर्जला एकादशी का महत्व

निर्जला एकादशी का इतिहास महाभारत और पांडवों से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि पांडव भाइयों में से एक भीम को बहुत भूख लगती थी। अपनी अत्यधिक भूख के कारण उन्हें नियमित एकादशी व्रत रखना चुनौतीपूर्ण लगता था। उनकी भक्ति और दृढ़ संकल्प को महसूस करते हुए, ऋषि व्यास ने भीम को निर्जला एकादशी पर एक एकल, तीव्र व्रत करने की सलाह दी, जो पूरे वर्ष की सभी एकादशियों पर समान गुण देगा। इस व्रत को निर्जला एकादशी कहा गया, जिसे भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

FAQs

क्या हम निर्जला व्रत में पानी पी सकते हैं?
नहीं, निर्जला व्रत में पानी पी सकते हैं। तबियत बिगड़ने पर पी सकते है या एक थाली में जल भरकर 12 बार ‘ओम नमो नारायण’ का जाप करें। इसके बाद आप अपने घुटनों और बांहों को जमीन पर रख सकते हैं और जानवरों की तरह (जानवरों की तरह, हाथों का उपयोग किए बिना सीधे मुंह के माध्यम से) पानी पी सकते हैं। ऐसा करने से व्रत नहीं टूटता और निर्जला एकादशी का पूरा फल मिलता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज के इस लेख में हमने आपको निर्जला व्रत में पानी कब पीना चाहिए, निर्जला व्रत में पानी पीना चाहिए या नहीं के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख निर्जला व्रत में पानी कब पीना चाहिए (Nirjala Vrat Me Kab Pani Pina Chahiye) अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।

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