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ऑफिस में समान वेतन का अधिकार क्या है (Office Me Saman Vetan Ka Adhikar Kya Hai)

ऑफिस में समान वेतन का अधिकार – यह अधिनियम ऑफिस में समान वेतन का अधिकार 8 मार्च, 1976 को पारित किया गया था, इस अधिनियम के अंतर्गत किसी भी कामकाजी व्यक्ति के वेतन में उसके लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। समान वेतन का अधिकार किसी भी महिला को है, इसके तहत समान कार्य करने वाले सभी लोगों को समान वेतन प्राप्त होना चाहिए। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य महिला और पुरुष कर्मचारियों को समान कार्य के लिए समान वेतन देना है।

इस नियम के अनुसार समान कार्य करने वाले स्त्री-पुरुषों को समान वेतन मिलना चाहिए। और योग्यता के अनुसार पद दिया जाना चाहिए। महिलाओं को शाम सात बजे के पछ्ता काम पर नहीं लगाया जा सकता। पर यह नियम अस्पतालों व कैटरर्स आदि पर लागू नहीं होता है और महिलाओं के काम को जोखिम भरे स्थानों पर प्रतिबंधित किया जा सकता है।

अगर आप किसी कार्यालय या ऑफिस में काम करते हैं और आपके साथ उसी समय तथा उसी काम को उसी प्रकार अन्य कर्मचारी भी करते हैं, तो आपके और आपके सहयोग के अन्य दूसरे कर्मचारियों में वेतन के समानता होना आपका अधिकार है। ऑफिस में समान वेतन का अधिकार सरकार द्वारा दिया गया कानूनी अधिकार है, जिसे प्राप्त करने का अधिकार हर भारतीय नागरिक रखता है। यदि आप अपने कार्यालय में समान कार्य और समान कर्मचारियों के साथ कर रहे हैं, तो आपको भी उतना ही वेतन (सैलरी) मिलना चाहिए, जितना की आप के समकक्ष अन्य दूसरे कर्मचारियों (एम्प्लोयी) को दिया जा रहा है।

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अगर ऐसा नहीं है तो आप इसके लिए अपने अफसर से बात कर सकते हैं, लेकिन यह ध्यान रहे कि सामान्य योग्यता तथा समान कार्य की स्थिति में ही समान वेतन लागू होता है, अगर आपका कर्मचारी आपके समान ही काम कर रहा है, लेकिन उसकी योग्यता आप से ज्यादा है, ऐसी स्थिति में उनके समान आपको वेतन नहीं दिया जा सकता है। इसलिए ऑफिस (दफ्तर) में समान वेतन का अधिकार के नियम को सही व अच्छी तरह जाँच लेने की आवश्यकता है।

ऑफिस में समान वेतन का अधिका अन्य कर्मचारियों के समान वेतन दिलाने में सहायता करता है। कभी-कभी यह भी देखा जाता है कि समान योग्यता व समान कार्य वाले अधिकारियों की सैलरी में भिन्नता पाई जाती है। ऐसा होने से निम्न वेतन वाले (लौ सैलरी वाले) कर्मचारी को वर्क परफॉर्मेंस तथा अन्य कामो को करने में मन नहीं लगता है। इसके लिए आप वेतन विभाग कार्यालय में इसकी शिकायत कर सकते हैं। ऑफिस में सामान ऑफिस कार्य और सामान्य योग्यता में समान वेतन का अधिकार आपका मौलिक अधिकार है।

ऑफिस में समान वेतन का अधिकार क्या होता है (Office Mein Saman Vetan Ka Adhikar Kya Hota Hai)

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भारतीय ऑफिस में समान वेतन का अधिकार पुरुष और महिला के वेतन में समानता को दर्शाता है। साथ ही महिला एवं पुरुष के समान वेतन के अधिकार को प्रदर्शित करता है। अगर आपके ऑफिस में दो महिला एवं पुरुष सामान योग्यता और समान कार्य करने वाले है तो दोनों का वेतन समान होना चाहिए। किसी को महिला या पुरुष होने पर कम या ज्यादा वेतन देने वाले संस्थाओं के लिए समान वेतन का अधिकार बनाया गया है।

यह अधिकार महिला एवं पुरुष को समान वेतन पाने का अधिकार दिलाता है। अगर आप एक ही दक्षता, काम को करने वाले महिला व पुरुष हैं, तो आपको कंपनी ऑफिस द्वारा समान वेतन के अधिकार के अंतर्गत महिला और पुरुष के समान ही सैलरी पाने का अधिकार देता है।

कार्यालय में समान वेतन का अधिकार अधिनियम आने से पूर्व इंडिया में पुरुष प्रधानता होने की वजह से महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन दिया जाता था। जब कि महिला तथा पुरुष एक ही ऑफिस में समान कार्य को करते थे, महिला और पुरुष के समान कार्य करने के बाद भी महिलाओं को कम वेतन मिलने की वजह से महिलाओं का शोषण होता है, मतलबा की बराबर काम लेने के बाद भी महिलाओं को कम सैलरी देना महिलाओं का शोषण कहलाता है।

उसके बाद सरकार ने महिला तथा पुरुषों को जो एक समान कार्य करते हैं, समान वेतन देने का नियम बनाया, जिसके पश्चात समान वेतन का अधिकार अधिनियम
के तहत महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर सैलरी मिलने लगी। और महिला एवं पुरुष एक ही नजर से देखे जाने लगे।

ऑफिस में समान वेतन के अधिकार के नियम

महिलाओं के सर्वांगीण विकास हेतु दफ्तर, घर, स्च्होल तथा अन्य जगहों पर समान अधिकार प्रदान किए जा सकें, इसके लिए गवर्नमेंट ने विशेष संवैधानिक संशोधन किए, जिसमें महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार दिए गए। कहीं न कहीं महिलाओं को पुरुषों से पहले प्राथमिकता नहीं दी जाती थी, इसी तरह किसी कार्यालय में काम करने वाली महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर वेतन देने का अधिकार दिया गया था, जिसे ऑफिस में समान वेतन का अधिकार अधिनियम 141 के अंतर्गत लागू किया गया। इन अधिनियम द्वारा निम्नलिखित नियम बनाए गए हैं –

  • समान कार्य करने, समान योग्यता वाले पुरुषों व महिलाओं को समान वेतन दिया जाना चाहिए।
  • शाम 7:00 बजे के पश्चात महिलाएं कंपनियों या संस्थानों में कार्य नहीं करेंगी।
  • सुबह 6:00 बजे से लेकर शाम 7:00 बजे तक महिलाओं को काम करने की अनुमति थी।
  • शाम को 7:00 बजे के बाद यदि कोई महिला आवश्यकता के कारण काम करती है तो उसकी सुरक्षा कंपनी की है।
  • महिलाओं को छुट्टी के दिन काम पर नहीं बुलाया जा सकता और आवश्यकता पड़ने पर उनकी सुरक्षा के पूरे इंतजाम होने चाहिए।
  • महिलाएं कार्यस्थल पर अकेली कार्य नहीं करेंगी, उनके साथ अन्य कर्मचारी भी होने चाहिए।
  • यदि महिला योग्य है तो उसे पुरुष के समान दर्जा मिलना चाहिए।
  • महिलाओं को पुरुषों के समान वेतन के साथ-साथ पुरुषों की तरह भत्ता बोनस और अन्य सुविधाएं भी मिलनी चाहिए।
  • महिलाएं कोई जोखिम भरा काम नहीं करेंगी।
  • क्रच प्रदान करें और यदि बच्चा छोटा है, तो माँ उसे खिलाने के लिए घर जा सकती है।
  • अब नियम 141 का उल्लंघन करने पर कंपनी के मालिक को सजा सहित मुआवजा भी देना होता है।

समान वेतन के अधिकार का उद्देश्य (Objective Of Right to Equal Pay In Hindi)

मॉडर्न समय में भारतीय समाज में पुरुष को महिला के समान या महिला को पुरुष के बराबर समान अधिकार देने की प्राथमिकता की जा रहे है। भारतीय कानून के अधिकार के अनुसार पुरुषों के बराबर का दर्जा महिलाओं को भी दिया गया है। आज के समय में यह सिद्ध भी हो रहा है, क्योंकि महिलाएं पुरुषों के बराबर प्रत्येक क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।

ऐसे में महिलाओं को आगे बढ़ाने हेतु पुरुषों के समान अधिकार तथा समान कार्य करने के गुण व शिक्षा की जरुरत होती है। इसलिए महिलाओं के विकास के लिए सरकार ने विभिन्न तरह के संविधान संशोधन किए, जिसमें महिलाओं को हर क्षेत्र में प्राथमिकता दी जाने लगी, उसी प्रकार ऑफिस में समान वेतन का अधिकार अधिनियम आने से पहले पुरुष एवं महिलाओं के वेतन में भिन्नता होती थी, जिसे दूर करने के लिए समान वेतन का अधिकार अधिनियम सरकार को लाने की जरुरत महसूस हुई।

समान काम के लिए समान वेतन किस अनुच्छेद में

समान कार्य के लिए ऑफिस में समान वेतन के अधिकार के अंतर्गत ऑफिस में समान पद धारण करने वाले स्थायी कर्मचारी, चाहे पुरुष हों या महिला, समान वेतन पाने का अधिकार है। भारत के संविधान के अनुसार, अनुच्छेद 141 के तहत, समान योग्यता रखने वाले और किसी एक कार्यालय में समान कार्य करने वाले पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान वेतन निर्धारित और भुगतान किया जाना चाहिए।

10 अप्रैल 1979 को संविधान संशोधन के तहत यह अधिनियम अपनाया गया था, जिसमें महिलाओं को पुरुषों के बराबर कार्य करने व योग्यता रखने वालों के समान वेतन पाने का अधिकार दिया गया था। यह अधिकार 8 मार्च 1976 को तैयार किया गया था और महिलाओं के समग्र विकास और महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार देने के लिए 10 अप्रैल 1979 को इसे मान्यता दी गई थी।

लिंग के आधार पर नहीं कर सकते वेतन का निर्धारण

कानून के अनुसार समान वेतन का अधिकार पुरुषों और महिलाओं दोनों को दिया गया है, कोई भी कंपनी या कंपनी का मालिक लिंग के आधार पर वेतन का निर्धारण नहीं कर सकता। लिंग निर्धारण पर वेतन निर्धारण को हटाने के लिए 1976 में ऑफिस में समान वेतन का अधिकार अधिनियम 1945 में पारित किया गया था, जिसे अनुच्छेद 141 के तहत संविधान में मान्यता दी गई थी और लिंग निर्धारण पर वेतन की मान्यता को समाप्त कर दिया गया था। इस अधिनियम के तहत समान योग्यता और समान कार्य करने वाले पुरुषों और महिलाओं को समान वेतन का अधिकार दिया गया, जिसके कारण महिलाओं को भी पुरुषों के समान वेतन प्रदान कराया गया।

कर्मचारियों को समान काम के लिए समान वेतन का अधिकार

8 मार्च, 1976 को यह अधिनियम पारित किया गया था, इस अधिनियम के अंतर्गत किसी भी कामकाजी व्यक्ति की सैलरी में उसके लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। किसी भी महिला को समान वेतन का अधिकार है, जिसके तहत समान कार्य करने वाले सभी लोगों को समान वेतन मिलना चाहिए।

इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य महिला और पुरुष कर्मचारियों को समान कार्य के लिए समान सैलरी देना है। वे समान काम के लिए समान वेतन पाने के हकदार हैं।

अपने काम का ठीक से पालन करने के लिए सरकार ने कंपनियों के लिए कुछ इंस्पेक्टर भी रखे हैं, जो समय-समय पर कंपनियों और संस्थानों का निरीक्षण करते रहते हैं और दोषी पाए जाने पर कंपनी के मालिक को जुर्माना और कारावास की सजा होती है। पहली बार 3 साल तक की जा सकती है और दूसरी बार वही गलती दोहराने पर लाइसेंस (license) रद्द किया जा सकता है।

निष्कर्ष

महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार देने के लिए कार्यालय में समान वेतन का अधिकार अधिनियम पारित किया गया, जिसके तहत लैंगिक भेदभाव के आधार पर वेतन निर्धारण को समाप्त कर दिया गया। इस अधिनियम के तहत महिला और पुरुष समान योग्यता और समान कार्य करते हैं तो उन्हें पुरुषों के समान वेतन पाने का अधिकार दिया गया, जिससे पुरुषों के समान महिलाओं को भी वेतन मिलने लगा।

कार्यालय में समान वेतन के अधिकार के तहत महिलाओं को समान वेतन बोनस और समान कंपनी सेवाएं देने के नियम बनाए गए और महिलाओं की सुरक्षा के लिए मुकम्मल इंतजाम किए गए, जिसके तहत महिलाएं सुरक्षित रह सकें।

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