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ओटीपी क्या है? ओटीपी कैसे सुरक्षित हैं – (What Is OTP In Hindi)

OTP Kya Hota Hai In Hindi: आपने ओटीपी के बारे में तो सुना ही होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं यह ओटीपी क्या है, अगर आप नहीं जानते हैं तो इस लेख को पढ़कर आपको जरूर पता चल जाएगा।

आजकल हम ज्यादातर काम ऑनलाइन करते हैं। चाहे वह कोई ऑनलाइन ट्रांजैक्शन हो, मोबाइल रिचार्ज हो, शॉपिंग के बाद भुगतान हो या हम किसी भी तरह का ऑनलाइन अकाउंट खोलते हों, उसमें भी ओटीपी का इस्तेमाल जरूर होता है। ओटीपी ज्यादातर मैसेज के जरिए भेजा जाता है क्योंकि सभी मोबाइल हैंडसेट में मैसेजिंग की सुविधा होती है।

आइए जानते हैं कि ओटीपी क्या है, इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता है, इसके फायदे क्या है। तो चलिए इस लेख को शुरू करते है –

ओटीपी का फुल फॉर्म क्या है? (OTP Ka Full Form Kya Hai)

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ओटीपी का फुल फॉर्म वन टाइम पासवर्ड है।

ओटीपी क्या है? (OTP Kya Hai In Hindi)

ओटीपी एक सुरक्षा कोड है जो ज्यादातर 6 अंकों का होता है। इसके फुल फॉर्म वन टाइम पासवर्ड से पता चलता है कि इसे सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही ओटीपी वेरिफिकेशन का एक तरीका है जिससे यह साबित होता है कि आप ही वह काम कर रहे हैं जिसके लिए ओटीपी आ रहा है, कोई और नहीं कर रहा है।

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सरल भाषा में कहें तो यह एक ऐसा पासवर्ड होता है जो कंप्यूटर या किसी अन्य डिवाइस पर एक निश्चित समय के लिए वैध रहता है और समय सीमा समाप्त होने के बाद आप इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं।

यह मोबाइल पासवर्ड,फेसबुक या गूगल अकाउंट पासवर्ड से बिल्कुल अलग है। इसलिए अगर कभी आपका पासवर्ड चोरी हो जाता है या किसी को आपका पासवर्ड पता चल जाता है तो बिना ओटीपी के वह आपके अकाउंट में लॉग इन नहीं कर सकता क्योंकि ओटीप आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी पर आएगा।

ओटीपी की परिभाषा क्या है? (Definition Of OTP In Hindi)

ओटीपी एक तरह का पासवर्ड (सुरक्षा कोड) है जो आपके डिवाइस पर एक निश्चित समय के लिए मान्य रहता है और समय सीमा समाप्त हो जाने के बाद इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

ओटीपी की खोज किसने की?

इसका श्रेय लेस्ली लैम्पपोर्ट को जाता है। 1980 के दशक में लेस्ली लैमपोर्ट ने पहली बार इस एल्गोरिथम का इस्तेमाल किया था। यह वन-वे फंक्शन (f) का उपयोग करता था।

इस एल्गोरिथम में सीड (स्टेटिक वैल्यू) और हैश फंक्शन का इस्तेमाल किया गया था। साथ ही इसे इस तरह से डिजाइन किया गया था कि इसे रिवर्स करने पर असली वैल्यू का पता नहीं लगाया जा सकता था। बाद में इस ओटीपी एल्गोरिथम का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने लगा। और आज यह हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन गया है।

ओटीपी कैसे सुरक्षित हैं?

अब सवाल यह है कि क्या ओटीपी सुरक्षित है? यदि हाँ तो कैसे ? ऐसे और भी कई सवाल हैं, जो ओटीपी की सुरक्षा से जुड़े हैं। तो मैं आपको बताना चाहूंगा कि ओटीपी पूरी तरह से सुरक्षित है। और यह सही यूजर की पहचान करता है। राइट यूजर का मतलब उस यूजर से है जिसके पास ओटीपी एक्सेस करने का अधिकार है। या यू कहें कि जिसके पास रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर है।

सुरक्षा के लिहाज से ओटीपी हर बार रैंडम्ली जेनरेट होता है। यानी अगला ओटीपी क्या होगा, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। इसके अलावा ओटीपी टाइम बेस्ड और इवेंट बेस्ड होता है। और केवल एक बार इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे में इसका दुरुपयोग करना लगभग नामुमकिन है।

लेकिन एक कंडीशन में आपका ओटीपी हैक हो सकता है। अगर आप अपने फोन में कोई दुर्भावनापूर्ण ऐप इंस्टॉल करते हैं। और उसे संदेश पढ़ने की अनुमति दें तो आपका ओटीपी सिर्फ पढ़ा ही नहीं जा सकता। बल्कि वैलिडेट भी किया जा सकता है। इसलिए बिना सोचे समझे किसी भी ऐप को परमिशन न दें।

ओटीपी के प्रकार (Types Of OTP In Hindi)

अगर आप सोच रहे हैं कि सिर्फ एक ही तरह का ओटीपी है तो आप गलत सोच रहे हैं। क्योंकि ओटीपी कई तरह के होते हैं। लेकिन यूसेज के हिसाब से ओटीपी 2 तरह के होते हैं। जो इस प्रकार है –

  • Event-Based OTP
  • Time-Based OTP

Event-Based OTP (HOTP)

यहां H का अर्थ HMAC है। यानी हैश-बेस्ड मैसेज ऑथेंटिकेशन कोड (HMAC)। यह वास्तव में एक इवेंट आधारित वन टाइम पासवर्ड है। जिसमें ओटीपी की कोई समय सीमा नहीं है। यानी यह तब तक वैलिड रहता है जब तक आप नया ओटीपी जनरेट नहीं करते।

इसमें मूविंग फैक्टर एक काउंटर पर आधारित होता है। इसलिए इसे काउंटर बेस्ड ओटीपी भी कहा जाता है। आपने ध्यान दिया होगा कि जब आप गूगल ऑथेंटिकटेर एप्प पर नया अकाउंट बनाते हैं तो आपको दो विकल्प मिलते हैं। एक टाइम बेस्ड और दूसरा काउंटर बेस्ड ओटीपी। आप इन दोनों में से किसी एक को चुन सकते हैं।

Time-Based OTP (TOTP)

जैसा कि नाम से पता चलता है, यह एक टाइम बेस्ड वन टाइम पासवर्ड है। यानी इसमें मूविंग फैक्टर समय पर आधारित होता है। इसलिए हर ओटीपी की एक निश्चित समय सीमा होती है। इस समय सीमा को टाइमस्टेप कहा जाता है। टाइमस्टेप की अवधि आमतौर पर 30 से 60 सेकंड होती है। यदि आप निर्धारित समय सीमा के भीतर TOTP को वैलिडेट नहीं करते हैं! तो यह स्वतः समाप्त हो जाता है।

माध्यम के आधार पर ओटीपी के प्रकार

माध्यम से मतलब ओटीपी भेजने और प्राप्त करने के माध्यम से है। हालांकि इसके लिए एसएमएस का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन माध्यम के आधार पर तीन प्रकार के ओटीपी होते हैं। और ये निम्नलिखित हैं –

  • SMS Based OTP
  • Email Based OTP
  • Voice Call-Based OTP

SMS Based OTP

जो ओटीपी आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एसएमएस के जरिए भेजा जाता है। उसे एसएमएस आधारित ओटीपी कहा जाता है। यह ओटीपी भेजने का सबसे आम और सबसे लोकप्रिय तरीका है। इसलिए इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।

Email Based OTP

आपके पंजीकृत ईमेल पते पर जो ओटीपी मेल किया जाता है। इसे ईमेल आधारित ओटीपी कहा जाता है। एसएमएस के बाद ओटीपी भेजने का यह दूसरा सबसे लोकप्रिय माध्यम है। कुछ वेबसाइट पर आपको एसएमएस और ईमेल दोनों का ऑप्शन देखने को मिल जाता है।

Voice Call-Based OTP

कई बार नेटवर्क बिजी होने के कारण एसएमएस और ईमेल दोनों काम नहीं करते। क्योंकि वे इतनी देर से पहुंचते हैं कि ओटीपी का टाइम स्टेप खत्म हो जाता है। ऐसे में वॉयस कॉल का इस्तेमाल किया जाता है। यानी यूजर के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर वॉयस कॉल की जाती है। और जो ओटीपी कोड होता है उसे बोलकर बताया जाता है।

ओटीपी का इस्तेमाल कँहा किया जाता है? (Where Is OTP Used In Hindi)

ओटीपी का इस्तेमाल ज्यादातर ऐसी जगहों पर किया जाता है, जहां किसी दूसरे व्यक्ति से आपकी निजी जानकारी को खतरा हो सकता है। ओटीपी का सबसे अच्छा उदाहरण इंटरनेट बैंकिंग एवं ऑनलाइन लेनदेन को लिया जा सकता है।

जब भी आप दोनों में से किसी भी सुविधा का उपयोग करना चाहते हैं, तो आपके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आता है। उस ओटीपी को दर्ज करने के बाद ही आप उस सुविधा का लाभ उठा पाते है। इसमें ओटीपी को अनिवार्य कर दिया गया है क्योंकि इस तरह की चीजों के इस्तेमाल से आपका पैसा सुरक्षित रहता है और सिर्फ आप ही इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

व्हाट्सएप में भी लॉग इन करते समय मोबाइल में एसएमएस के जरिए एक ओटीपी आता है। आजकल गूगल खाते में भी टू स्टेप वेरिफिकेशन लागू कर दिया गया है ताकि आपके अलावा कोई और लॉग इन न कर सके या आपके गूगल खाते में परिवर्तन न कर सके।

इनके अलावा, सभी ई-कॉमर्स वेबसाइट जैसे अमेज़न, फ्लिपकार्ट और डिजिटल वॉलेट प्रदान करने वाली कंपनियां ओटीपी सुविधा का उपयोग करती हैं ताकि सभी कस्टमर्स के ऑनलाइन खाते सुरक्षित रहें।

ओटीपी का इस्तेमाल क्यों किया जाता है? (Why Is OTP Used In Hindi)

तकनीकी क्षेत्र में दुनिया के विकास के साथ-साथ कुछ लोग गलत कामों के लिए भी इंटरनेट और कंप्यूटर का इस्तेमाल करने लगे है। ऐसे गलत काम को साइबर क्राइम कहते हैं। इसलिए ऐसे साइबर अपराधों को रोकने के लिए ओटीपी का इस्तेमाल किया जाता है।

ज्यादातर लोग जो ऑनलाइन अकाउंट के लिए अपना मनचाहा पासवर्ड बनाते हैं, फिर उसमें अपना नाम या डेट ऑफ बर्थ डाल देते हैं या एक साधारण पासवर्ड बना लेते हैं जिसे वे आसानी से याद रख सकें। लेकिन यह आसान पासवर्ड आपके ऑनलाइन अकाउंट के लिए एक खतरा बन सकता है और आपका अकाउंट पूरी तरह से सिक्योर नहीं है इसीलिए इसे ओटीपी की मदद से और सिक्योर बनाया जाता है। क्योंकि ओटीपी आपके द्वारा बनाए गए पासवर्ड से बिल्कुल अलग होता है और हर बार अलग-अलग क्रम में जेनरेट होता है।

ओटीपी कहां से आता है?

अब बात आती है कि ये ओटीपी कहां से आते हैं और कौन भेजता है। सभी डिवाइस के लिए कुछ ऑथेंटिकेशन सर्वर होते हैं जिनके तहत हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर होते हैं जो हमारे ओटीपी को जनरेट करने और हम तक पहुंचने का काम करते हैं।

ओटीपी के उपयोग (Use Of OTP In Hindi)

ओटीपी का इस्तेमाल नेट बैंकिंग समेत कई कामों के लिए किया जाता है। और पैसे का लेनदेन करते समय पुष्टि के लिए मोबाइल पर ओटीपी भेजा जाता है।

ऑनलाइन शॉपिंग करते समय भुगतान प्रक्रिया को पूरा करते समय मोबाइल नंबर पर ओटीपी भेजा जाता है। जिससे हम ऑनलाइन सुरक्षित भुगतान कर सकते हैं।

दैनिक जीवन के कई कार्य जैसे नया सिम कार्ड खरीदने के दौरान पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ओटीपी संदेश भेजा जाता है। ताकि सिम कार्ड का प्रमाणिकरण और ग्राहक की पहचान भी साबित हो जाए।

अगर हम किसी वेबसाइट या ऐप में लॉग इन करते समय रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर का पासवर्ड भूल जाते हैं तो हम उस नंबर पर दोबारा ओटीपी प्राप्त कर नया पासवर्ड सेट कर सकते हैं। यह ओटीपी केवल वास्तविक उपयोगकर्ता की पहचान साबित करने के उद्देश्य से भेजा जाता है।

ओटीपी का उपयोग पुनर्सक्रियन के लिए भी किया जाता है, यानी लंबे समय के पश्चात अगर कोई उपयोगकर्ता किसी ऐप या फिर वेबसाइट पर लॉग इन करता है तो उपयोगकर्ता की सुरक्षा के लिए एक ओटीपी भेजा जाता है, जिससे वेबसाइट पर लॉग इन करने वाले व्यक्ति की पहचान होती है। है।

सुरक्षा उद्देश्यों के लिए, एक डिवाइस में एकाधिक खातों का उपयोग करने के लिए ओटीपी भेजा जाता है। जो सुनिश्चित करता है कि आपके सभी उपकरण सुरक्षित हैं और उस खाते से जुड़े हुए हैं जिसमें खाता लॉग इन है। और डिवाइस और खाते के बीच सुरक्षा मापने का एक बेहतर तरीका ओटीपी है।

इनके अलावा, बैंक, गूगल, अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट आदि ई-कॉमर्स वेबसाइट और अन्य डिजिटल वॉलेट सेवाओं पेटीएम, फ्रीचार्ज द्वारा भी ओटीपी जारी किया जाता है ताकि लॉगिन करते समय सही उपयोगकर्ता की पहचान की जा सके।

ओटीपी के फायदे (Benefits Of OTP In Hindi)

सुरक्षा बढ़ाने के लिए – जब हम ओटीपी का उपयोग करते हैं, तो यह हमारी सुरक्षा की परत को बढ़ाता है क्योंकि यह केवल पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ही आता है। इसलिए सिर्फ हमें ही पता चलता है। इसकी मदद से आपका ऑनलाइन अकाउंट और भी सिक्योर हो जाता है क्योंकि अगर किसी को आपका पासवर्ड मिल भी जाता है तो बिना ओटीपी के वो लॉग इन नहीं कर पाएगा।

ओटीपी सर्विस को सेट अप करना आसान – कुछ साइटों में, ओटीपी को टू-स्टेप-वेरिफिकेशन भी कहा जाता है और इसे सेट अप करना बहुत आसान है। आपकी व्यक्तिगत जानकारी वाली अधिकांश साइटों में पहले से ही यह सक्षम है और यदि ऐसा नहीं है, तो आप सेटिंग में जाकर फ़ोन को सत्यापित करने के बाद इसे सक्षम कर सकते हैं।

अतिरिक्त सुरक्षा – ओटीपी सामान्य पासवर्ड की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित है। क्योंकि यह अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है। उदाहरण के लिए मान लीजिए आपने इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा ली है। और किसी को आपका यूजरनेम और पासवर्ड मिल गया। तो ऐसे में सिर्फ ओटीपी ही होता है, जो आपको कंगाल होने से बचा सकता है. क्योंकि बिना ओटीपी के आपके अकाउंट से ट्रांजैक्शन नहीं हो पाएगा। और आपका अकाउंट खाली होने से बच जाएगा।

हैकिंग से बचाव – कोई भी उपयोगकर्ता अपना नियमित पासवर्ड बार-बार नहीं बदलता है। यानी कई महीनों तक एक ही पासवर्ड का इस्तेमाल करता है। इसलिए जब रेगुलर पासवर्ड किसी के हाथ में हो तो यह गलती हो सकती है। लेकिन ओटीपी के मामले में ऐसा बिल्कुल नहीं है। क्योंकि ओटीपी का इस्तेमाल सिर्फ एक बार ही किया जाता है। इसके बाद इसका कोई फायदा नहीं है। ऐसे में किसी के हाथ लग भी जाए तो कुछ नहीं होता।

यूजर वेरिफिकेशन – जब आपके खाते से कोई लेनदेन होता है या पासवर्ड बदलने का प्रयास किया जाता है। तो आपके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी कोड भेजा जाता है। यह साबित करने के लिए कि आप खुद ऐसा कर रहे हैं या कोई और है? अगर आप खुद हैं तो आप ओटीपी डालकर खुद को वेरिफाई करेंगे। लेकिन अगर कोई और होता है तो वह ऐसा नहीं कर पायेगा। क्योंकि उसके पास ओटीपी नहीं होगा। इसलिए उसे वहीं रोका जाएगा। इस तरह यूजर को ओटीपी की मदद से वेरिफाई किया जाता है।

ऑनलाइन धोखाधड़ी से सुरक्षा – आजकल बैंकिंग फ्रॉड और ऑनलाइन फ्रॉड की खबरें सुनने को मिलती हैं। ऐसे में ओटीपी का महत्व और भी बढ़ जाता है। क्योंकि ओटीपी हमें ऑनलाइन फ्रॉड से बचाता है। इसके लिए बैंक हर ट्रांजैक्शन से पहले ओटीपी भेजता है। और वास्तविक खाताधारक की पहचान होने के बाद ही भुगतान प्रक्रिया को पूरा करता है। इस तरह कोई भी हैकर आपके अकाउंट से अनाधिकृत लेनदेन नहीं कर सकता है।

उपयोगकर्ता का प्रमाणीकरण  – ओटीपी से इस बात का सबूत मिलता है कि आप जिस भी साइट या खाते में लॉग इन करना चाहते हैं या आप कोई ऑनलाइन लेनदेन कर रहे हैं। वह गतिविधि आप ही कर रहे हैं। इसके अलावा जब भी ओटीपी आता है तो उसमें लिखा होता है कि इसे किसी के साथ शेयर न करें क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि कोई हमें बताए बिना ही हमारे अकाउंट में लॉग इन करने की कोशिश करता है।

इसके साथ ही कई बार इनवैलिड एक्टिविटी होने पर अचानक टू स्टेप वेरिफिकेशन का ऑप्शन भी आ जाता है। ऐसे में आप ओटीपी के जरिए वेरिफाई करने के बाद ही अकाउंट का इस्तेमाल कर पाते है।

रेंडम अल्गोरिथम – सभी प्रकार के ओटीपी सिस्टम रेंडम अल्गोरिथम पर काम करते हैं यानि एक बार ओटीपी आ गया और हमने लॉग इन कर लिया लेकिन जब हम दूसरी बार लॉग इन करने जाएंगे तो इस बार क्या OTP आएगा। यह कोई नहीं सकत। इसका फायदा यह है कि अगर किसी को गलती से भी ओटीपी पता चल गया तो उसे दूसरी बार पता नहीं चल पाएगा।

हैकिंग से सुरक्षा – यह ओटीपी की सबसे अच्छी विशेषता है कि हमें हैकिंग से सुरक्षा मिलती है क्योंकि हैकर आपके यूजरनेम और पासवर्ड को किसी भी तरह से निकाल सकता है। उसके पास इस काम के लिए कई टूल हैं लेकिन ओटीपी पहले से ही सेट नहीं रहता है। ओटीपी हर बार अलग आता है इसलिए वह आपके ओटीपी का पता नहीं लगा सकता।

कॉल के दौरान ओटीपी न आना – अगर आपने कभी गौर किया है तो आपको पता होगा कि कॉल के दौरान ओटीपी नहीं आता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हो सकता है कि किसी ने कॉल के जरिए आपका मोबाइल हैक कर लिया हो और जो भी मैसेज आपको मिलता है, वह सीधे उसके पास जाता हो । इसलिए कॉल के दौरान ओटीपी नहीं आता है।

ओटीपी सुविधा बिल्कुल मुफ्त – आपको अपने किसी भी खाते के लिए मुफ्त में ओटीपी की सुविधा मिलती है। इसके लिए आपको कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ता है। इसलिए आपको इसका इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।

तेज – ओटीपी से यूजर की पहचान सेकंडों में हो जाती है। उपयोगकर्ता को अपने पहचान दस्तावेज के साथ मजिस्ट्रेट के पास जाने की आवश्यकता नहीं है।

ओटीपी के नुकसान (Disadvantages Of OTP In Hindi)

  • आपके फोन के कहीं खो जाने या चोरी हो जाने पर कोई दूसरा आपके अकाउंट का यूजरनेम पता कर ओटीपी प्राप्त कर उसका गलत इस्तेमाल कर सकता है।
  • कभी-कभी सर्वर त्रुटि के कारण ओटीपी प्राप्त होने में लंबा समय लग जाता है या फिर ओटीपी बिल्कुल भी प्राप्त नहीं होता है।
  • अगर आपके डिवाइस या फोन में बैटरी नहीं है या फिर नेटवर्क ठीक से नहीं आ रहा है तो ओटीपी मिलना मुश्किल हो जाता है।

FAQs

ओटीपी को किन -किन नामों से जाना जाता है?
ओटीपी को वन टाइम पासवर्ड, वन टाइम पिन या डायनामिक पासवर्ड के नाम से भी जाना जाता है।

वन टाइम पासवर्ड कितने डिजिट का होता है?
वन टाइम पासवर्ड ज्यादातर 4 या 6 डिजिट्स का होता है।

वन टाइम पासवर्ड क्या है?
वन टाइम पासवर्ड एक सिक्योरिटी कोड होता है।

ओटीपी का कितनी बार इस्तेमाल किया जा सकता है?
ओटीपी का एक सीजन में एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता है।

क्या ओटीपी का दुबारा इस्तेमाल किया जा सकता है?
हां ओटीपी का दुबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आपको फिर से ओटीपी जनरेट करना होगा।

ओटीपी को हिंदी में क्या कहते हैं?
ओटीपी को हिंदी में ओटीपी ही कहते है। इसके अलावा इसे वन टाइम पासवर्ड, वन टाइम पिन या डायनामिक पासवर्ड के नाम से भी जाना जाता है।

क्या ओटीपी चोरी हो सकता है?
मैलवेयर या किसी अनजान एप्प की वजह से ओटीपी चोरी होने का खतरा रहता है।

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निष्कर्ष

उम्मीद है की आपको यह जानकारी (OTP Kya Hota Hai) पसंद आयी होगी। अगर आपको यह लेख  मददगार लगा है तो आप इस लेख को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। और अगर आपका इस लेख (OTP Kya Hota Hai) से सम्बंधित कोई सवाल है तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।

लेख के अंत तक बने रहने के लिए आपका धन्यवाद

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