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शिव पुराण कब पढ़ना चाहिए, शिव पुराण पढ़ने का समय और शिव पुराण पढ़ने से क्या होता है?

शिव पुराण कब पढ़ना चाहिए – सोमवार भगवान शिव का प्रिय दिन है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन शिव भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए सोमवार का व्रत भी रखते हैं। अगर इस दिन शिव पूजा के दौरान शिव पुराण का पाठ किया जाए तो भगवान भोलेनाथ बहुत प्रसन्न होते हैं।

आज के इस लेख में हम आपको शिव पुराण कब पढ़ना चाहिए, शिव पुराण पढ़ने का समय और शिव पुराण पढ़ने से क्या होता है आदि के बारे में जानकारी देने वाले है। तो आइये जानते है –

शिव पुराण कब पढ़ना चाहिए / शिव पुराण पढ़ने का समय (Shiv Puran Kab Padhna Chahiye)

वैसे तो किसी भी शुभ मुहूर्त में शिव पुराण का पाठ किया जा सकता है। लेकिन सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना है, इसलिए सावन के महीने में शिव पुराण का पाठ करना और सुनना बहुत ही लाभकारी होता है। इसके अलावा शिव पुराण का पाठ किसी भी सोमवार से किया जा सकता है।

शिव पुराण पढ़ने से क्या होता है (Shiv Puran Padhne Se Kya Hota Hai In Hindi)

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शिव पुराण पढ़ने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। दुखो से मुक्ति मिलती है, पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा निसंतान दम्पति को संतान की प्राप्ति होती है। वैवाहिक जीवन से जुड़ी परेशानियां हैं तो वे परेशानियां दूर हो जाती हैं।

शिव पुराण कैसे पढ़े (Shiv Puran Kaise Padhe)

श्रावण मास में शिव महापुराण का पाठ करना चाहिए। अगर आप पाठ नहीं कर सकते तो आपको शिव महापुराण सुनना चाहिए। भगवान शिव की पूजा में तीन प्रहर का विशेष महत्व है। व्रत भी तीन प्रहर का ही होता है।

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जहां तक संभव हो कथा तीन प्रहर से पहले सुननी और सुनानी चाहिए (शास्त्रों में कहा गया है कि तीन प्रहर तक कथा सुननी चाहिए)। आप इसका पाठ घर पर भी कर सकते हैं। शिव महापुराण में 11 खण्ड हैं, और सात संहिताएँ हैं। इसमें 24 हजार श्लोक हैं।

शिव महापुराणकलियुग के पापों से मुक्ति का ग्रन्थ है। इसलिए श्रावण मास में भगवान शंकर की कृपा पाने के लिए शिव महापुराण के श्रवण और पाठ का महत्व है। श्री शिव महापुराण का पाठ करने वालों को व्रत करना चाहिए।

प्रयास करना चाहिए कि शिव महापुराण श्रावण पूर्णिमा तक पूर्ण हो जाये। इसे शिवरात्रि तक पूरा कर लेना बेहतर है। प्रत्येक अध्याय के बाद भगवान शंकर का जलाभिषेक करें। यदि यह संभव न हो तो प्रत्येक सोमवार को रुद्राभिषेक करें।

शिव पुराण के पाठ के नियम –

शिव पुराण का पाठ सुनने से पहले किसी के प्रति मन में द्वेष, निंदा या चुगली न करें, अन्यथा आपके पुण्य नष्ट हो जायेंगे।

शिव पुराण के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस समय के दौरान व्यक्ति को जमीन पर सोना चाहिए।

पाठ का संकल्प करने के बाद सात्विक भोजन करना चाहिए और तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए।

शिव पुराण पढ़ने या सुनने से पहले अपने शरीर और मन को शुद्ध कर लें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।

शिव पुराण के दौरान मांस, शराब, लहसुन, प्याज, हींग और नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।

मन में भगवान शिव के प्रति श्रद्धा रखें और किसी भी प्रकार का पाप न करें।

कहानी सुनने से पहले बाल, नाखून आदि काट लें। अपने तन को शुद्ध करें और साफ कपड़े पहनें।

जमीन पर सोना चाहिए। कथा समाप्ति के बाद शिव पुराण और शिव परिवार का पूजन करें।

जो व्यक्ति कथा सुनने से पहले या बाद में किसी रोगी, विधवा, अनाथ, गाय आदि का दिल दुखाता है, वह पाप का भागी बनता है और उसके अच्छे कर्म नष्ट हो जाते हैं।

FAQs

शिव पुराण कौन पढ़ सकता है?
शिव पुराण कोई भी पढ़ सकता है।

शिव पुराण पढ़ने का सही समय क्या है?
शिव पुराण पढ़ने का सही समय श्रावण का महीना है।

शिव पुराण सुनने से क्या होता है?
शिव पुराण सुनने से दुखो से मुक्ति मिलती है, पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज के इस लेख में हमने शिव पुराण कब पढ़ना चाहिए, शिव पुराण पढ़ने का समय और शिव पुराण पढ़ने से क्या होता है आदि के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख शिव पुराण कब पढ़ना चाहिए (Shiv Puran Kab Padhna Chahiye) अच्छी लगी है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।

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