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माता सीता जी के कितने पुत्र थे, राम जी के कितने पुत्र थे, लक्ष्मण जी के कितने पुत्र थे – Lakshman Ke Kitne Putra The

Sita Ke Kitne Putra The: हिन्दू घरों में बच्चों को बचपन से ही रामायण ग्रंथ के बारे में बताया जाता है। क्योंकि भारत वर्ष में श्री राम से जुड़ा पर्व दीपावली बच्चों और बड़ों सभी का प्रिय पर्व है। ऐसे में रामायण और उसमें मौजूद देवी-देवताओं के बारे में जानना बेहद जरूरी है। खासकर रामायण के मुख्य पात्र श्रीराम और माता सीता के बारे में जानकारी बेहद जरूरी है। हिंदू धर्म का मुख्य ग्रंथ रामायण एक ऐसी रचना है जिसे महर्षि वाल्मीकि ने लिखा था। रामायण में भगवान श्री राम के चरित्र को एक आदर्श पुरुष के रूप में दर्शाया गया है। वहीं दूसरी तरफ रामायण में कई ऐसे दृश्य हैं जो मानव ह्रदय को झकझोर कर रख देते हैं जिनमें से माता सीता को महल से निकाले जाने का प्रसंग भी अत्यंत पीड़ादायक है।

अगर आपने रामायण के बारे में सुना या पढ़ा है तो आपको पता होगा कि, माता सीता ने वन में महर्षि वाल्मीकि जी के आश्रम में अपने पुत्रों को जन्म दिया था लेकिन कुछ दृश्यों में यह पूरी तरह से सही नहीं है। माता सीता के पुत्रों को लेकर अलग-अलग मत हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि माता सीता जी के कितने पुत्र थे, राम जी के कितने पुत्र थे और लक्ष्मण जी के कितने पुत्र थे।

माता सीता के कितने पुत्र थे, राम के कितने पुत्र थे, लक्ष्मण के कितने पुत्र थे, अगर आप इस विषय के बारे में नहीं जानते और जानना चाहते हैं तो इस लेख के साथ बने रहे। क्योंकि आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि सीता जी के कितने पुत्र थे, माता सीता ने कितने पुत्रों को जन्म दिया आदि। तो आइये शुरू करते है और जानते है –

सीता जी के कितने पुत्र थे (Sita Ji Ke Kitne Putra The)

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रामायण के कई प्रसंगों में देखा गया है कि भगवान श्रीराम के पुत्र लव और कुश का वर्णन रामायण में कई बार आता है। ऐसा भी देखा गया है कि लव और कुश दोनों ही भगवान श्रीराम के दरबार में रामायण का पाठ करते नजर आते हैं। लेकिन बात अगर माता सीता की करें तो कहा जाता है कि माता सीता ने दो पुत्रों को जन्म दिया, जिनका नाम लव और कुश था और ये दोनों ही माता सीता और भगवान श्री राम की संतान थी।

लेकिन यह भी देखा गया है की वन भेजे जाने के बाद माता सीता ने वाल्मीकि जी के आश्रम में केवल लव को जन्म दिया था, कुश का जन्म माता सीता जी ने नहीं, बल्कि कुश को वाल्मीकि जी ने अपनी मंत्र शक्ति से बनाया था।

कुश के जन्म की कहानी क्या है (Kush Ke Janm Ki Kahani)

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कुश के जन्म के प्रसंग में एक कथा सामने आती है कि एक बार माता सीता वन में लकड़ी बीनने जा रही थीं और जंगल में लकड़ी लेने जाने से पहले वे अपने पुत्र लव को वाल्मीकि जी की शरण में छोड़कर जा रही थीं, लेकिन जब माता सीता ने देखा कि वाल्मीकि जी अपने काम में सबसे ज्यादा मग्न हैं और उन्हें लव को संभालने का समय नहीं मिल रहा है तो वाल्मीकि जी को बताए बिना माता सीता लव को लेकर जंगल में लकड़ी लेने चली गईं।

लेकिन जब वाल्मीकि जी ने अपने चारों ओर देखा और लव को नहीं पाया तो उन्हें लगा कि शायद कोई जंगली जानवर लव को लेकर चला गया है और उन्हें चिंता होने लगी कि वे सीता को क्या जवाब देंगे इसलिए उन्होंने अपनी मंत्र शक्ति से पास ही रखी कुशा घास को नए शरीर में बदल दिया। वह शरीर बिल्कुल लव के जैसा था, जिसे देखकर यह समझना असंभव था कि लव और कुश में क्या अंतर है।

जब माता सीता वन से लौटीं और उन्होंने देखा कि लव वाल्मीकि जी के पास खेल रहे हैं तो उन्हें संदेह हुआ और उन्होंने महर्षि से पूछा कि यह क्या है, तब महर्षि वाल्मीकि जी ने सारी बात बताई और माता सीता को भी अपने पुत्र लव के दो रूपों को देखकर अपार स्नेह, ममता का मोह उत्पन्न हुआ, उसके बाद माता सीता के दो पुत्रों के नाम लव और कुश के नाम से जाने गए। यह कथा माता सीता के पुत्र कुश के जन्म की कथा है।

माता सीता का तीसरा पुत्र कौन था (Mata Sita Ka Tisara Putra)

माता सीता का कोई तीसरा पुत्र नहीं था। माता सीता के केवल 2 पुत्र थे जिनके नाम लव और कुश हैं, लोक कथाओं के अनुसार ऐसा देखा गया है और माना जाता है कि दोनों देवी सीता और भगवान श्री राम की संताने थी।

प्रभु श्री राम जी के कितने पुत्र थे (Ram Ji Ke Kitne Putra The)

श्री राम जी के दो पुत्र थे, राम जी के पुत्र के नाम लव और कुश है।

लक्ष्मण जी के कितने पुत्र थे (Lakshman Ji Ke Kitne Putra The)

वाल्मीकि रामायण के मुख्य पात्र भगवान श्री राम और माता सीता हैं। लेकिन श्रीराम के अनुज लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला को भुलाया नहीं जा सकता। वे माता सीता की छोटी बहन थीं। उनकी माता का नाम सुनैना और पिता का नाम जनक था। उनके दो पुत्र थे, जिनका नाम ‘अंगद और धर्मकेतु’ था।

रामायण के मुताबिक जब लक्ष्मण जी उर्मिला को छोड़कर श्रीराम व सीता के साथ 14 साल के वनवास पर जाने वाले थे, तब उर्मिला ने भी उनके साथ जाने की इच्छा जताई थी।

लक्ष्मण जी ने उर्मिला से कहा, ‘वहां प्रभु श्रीराम और सीता भी वन में होंगे। उनकी रक्षा करना मेरा कर्तव्य है। ऐसे में मैं आप पर ध्यान नहीं दे पाऊंगा। यह सुनकर उर्मिला मान गईं।

राम-रावण युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए तो हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने गए। तब उर्मिला ने हनुमानजी से कहा था कि लक्ष्मण जी के बेहोश होने का असली कारण क्या है।

आनंद रामायण के अनुसार जब हनुमानजी अपने बाएं हाथ में संजीवनी पर्वत लेकर भगवान राम के पास गए थे। तो वे नहीं जानते थे कि पर्वत में संजीवनी बूटी कौन-सी है?

जब हनुमानजी अयोध्या के निकट से जा रहे थे। तो उन्होंने अयोध्या में श्रीराम के परिवार के दर्शन करना उचित समझा। आधी रात का समय था।

अब तक उन्होंने सबके दर्शन किये थे पर लक्ष्मणजी की पत्नी उर्मिला के दर्शन नहीं किये थे। दरअसल वह एक खास साधना में लीन थी।

जिज्ञासा वश हनुमानजी ने ध्यान किया और देखा कि उर्मिला ने 14 वर्ष की अवधि के लिए विशेष साधन का संकल्प लिया है और वह विशेष साधना में पूर्ण समर्पण के साथ उसे पूरा कर रही हैं।

तभी मां उर्मिला ने उन्हें पुकारा। कुशलक्षेम पूछने के बाद उन्होंने कहा, मैंने आपको पहचान लिया है। और मुझे पता है कि मेरे पति इस समय बेहोशी की हालत (मूर्छा) में हैं। आप उन्हीं के लिए यह पर्वत ले जा रहे हैं, जिसमें संजीवनी बूटी है।

मेरे पति लक्ष्मण जी ने शबरी के जूठे बेर का अपमान किया था। उन जामुनों का बदला हुआ रूप संजीवनी उनकी मूर्छा दूर कर देगी। यह उनके लिए प्रायश्चित है।

FAQs For Ram Ke Kitne Putra The

सीता के माता-पिता का क्या नाम था?
सीता की माता का नाम भूमि और पिता का नाम राजा जनक था।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने आपको माता सीता जी के कितने पुत्र थे, राम जी के कितने पुत्र थे, लक्ष्मण जी के कितने पुत्र थे – Sita Ke Kitne Putra The, Ram Ke Kitne Putra The, Lakshman Ke Kitne Putra The के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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