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नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जीवन परिचय, जयंती, जन्म, परिवार, माता, पिता, पत्नी और मृत्यु – Netaji Subhash Chandra Bose Jivani

About Subhash Chandra Bose In Hindi: सुभाष चंद्र बोस भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, उन्होंने देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए बहुत कोशिश की। उड़ीसा के एक बंगाली परिवार में जन्मे सुभाष चंद्र बोस एक समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखते थे, लेकिन उन्हें अपने देश से बहुत प्यार था, इसलिए उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया था। उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। तो आइये जानते है सुभाष चन्द्र बोस के बारे में (Netaji Subhash Chandra Bose Biography In Hindi) –

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जीवन परिचय, जीवनी इन हिंदी (Netaji Subhash Chandra Bose Jivan Parichay In Hindi)

  • पूरा नाम- नेता जी सुभाषचंद्र बोस
  • जन्म – 23 जनवरी 1897
  • जन्म स्थान – कट, उड़ीसा
  • म्रत्यु – 18 अगस्त, 1945 जापान
  • माता – प्रभावती
  • पिता – जानकीनाथ बोस
  • पत्नी – एमिली
  • बेटी – अनीता

सुभाष चंद्र बोस जयंती 2024 (Subhas Chandra Bose Jayanti 2024)

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी को हुआ था, इसलिए इस दिन को हर साल सुभाष चंद्र बोस जयंती के रूप में मनाया जाता है। साल 2024 में 23 जनवरी को उनका 124वां जन्मदिन मनाया जाएगा।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का जन्म, परिवार व प्रारंभिक जीवन हिंदी में (Subhash Chandra Bose Birth, Family And Initial Life In Hindi)

सुभाषचंद्र जी का जन्म उड़ीसा के कटक के एक बंगाली परिवार में हुआ था, उनके 7 भाई और 6 बहनें थीं। वे अपने माता-पिता की 9वीं संतान थे, नेताजी अपने भाई शरदचंद्र के काफी करीब थे। सुभाषचंद्र जी के पिता जानकीनाथ कटक के एक प्रसिद्ध व सफल वकील थे, जिन्हें राय बहादुर की उपाधि दी गई थी।

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नेताजी को बचपन से ही पढ़ाई में बहुत रुचि थी, वे बहुत मेहनती और अपने गुरु के प्रिय थे। लेकिन नेताजी की खेलों में कभी रुचि नहीं रही। नेताजी ने कटक से ही स्कूली शिक्षा पूरी की थी. इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए कलकत्ता चले गए, जहां उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से फिलोसोफी में बीए किया। इस कॉलेज में एक अंग्रेज प्रोफेसर द्वारा भारतीयों पर अत्याचार का नेताजी खूब विरोध करते थे, उस समय जातिवाद का मुद्दा काफी उठता था। यह पहली बार था जब नेता जी के मन में अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध शुरू हुआ।

नेताजी सिविल सेवा करना चाहते थे, ब्रिटिश शासन के कारण भारतीयों के लिए सिविल सेवा में शामिल होना बहुत कठिन था, तब उनके पिता ने उन्हें भारतीय सिविल सेवा की तैयारी के लिए इंग्लैंड भेज दिया। इस परीक्षा में नेताजी चौथे स्थान पर आए, जिसमें उन्होंने अंग्रेजी में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए। नेताजी स्वामी विवेकानंद को अपना गुरु मानते थे, वे उनकी बातों का खूब पालन करते थे। नेताजी को देश से बहुत लगाव था, उन्हें इसकी आजादी की चिंता थी, जिसके चलते 1921 में उन्होंने भारतीय सिविल सेवा की नौकरी ठुकरा दी और भारत लौट आए।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का राजनीतिक जीवन (Subhas Chandra Bose Political Life)

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भारत लौटते ही नेताजी आजादी की लड़ाई में कूद पड़े, वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। प्रारंभ में, नेताजी कलकत्ता में कांग्रेस पार्टी के नेता थे, जो चित्तरंजन दास के नेतृत्व में काम कर रहे थे। नेता चितरंजन दास को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।

1922 में मोतीलाल नेहरू के साथ चितरंजन दास ने कांग्रेस छोड़ दी और अपनी पार्टी स्वराज पार्टी बनाई। चितरंजन दास जब अपनी पार्टी के साथ मिलकर रणनीति बना रहे थे, तब नेताजी ने कलकत्ता के युवाओं, छात्रों और मजदूरों के बीच अपनी एक खास जगह बना ली थी। वे जल्द से जल्द परतंत्र भारत को स्वतंत्र भारत के रूप में देखना चाहते थे।

अब सुभाषचंद्र जी को लोग उनके नाम से जानने लगे थे, उनके काम की चर्चा हर तरफ फैल रही थी। नेताजी एक युवा सोच लेकर आए थे, जिसके कारण वे युवा नेता के रूप में प्रसिद्ध हो रहे थे।

1928 में गुवाहाटी में कांग्रेस की एक बैठक के दौरान नए और पुराने सदस्यों के बीच मतभेद पैदा हो गया। नए युवा नेता किसी नियम का पालन नहीं करना चाहते थे, वे अपने नियमों का पालन करना चाहते थे, लेकिन पुराने नेता ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के साथ आगे बढ़ना चाहते थे।

सुभाष चंद्र और गांधीजी के विचार बिल्कुल अलग थे। नेताजी गांधीजी की अहिंसक विचारधारा से सहमत नहीं थे, उनकी सोच युवाओं की थी, जो हिंसा में भी विश्वास रखते थे। दोनों की विचारधारा अलग थी लेकिन उद्देश्य एक ही था जल्द से जल्द भारत की आजादी।

1939 में नेताजी राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए खड़े हुए, जिनके खिलाफ गांधी ने पट्टाभि सीताराम्या को उतारा था, जिन्हें नेताजी ने हरा दिया था। गांधी जी को अपनी हार का इतना दु:ख हुआ कि नेता जी की यह बात जानकर उन्होंने तुरंत अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। विचारों के बेमेल होने के कारण नेताजी लोगों की नजरों में गांधी विरोधी होते जा रहे थे, जिसके पश्चात उन्होंने स्वयं कांग्रेस छोड़ दी।

इंडियन नेशनल आर्मी में सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose In INA In Hind)

1939 में द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था, तब नेताजी ने वहां अपना पक्ष रखा, वे पूरी दुनिया से मदद लेना चाहते थे, ताकि अंग्रेजों पर ऊपर से दबाव पड़ेऔर वे देश छोड़कर चले जाएं। इसका उन्हें बहुत अच्छा प्रभाव देखने को मिला, जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया। जेल में करीब 2 सप्ताह तक उन्होंने न तो कुछ खाना खाया और न ही पानी पिया। सुभाष चंद्र बोस की बिगड़ती हालत को देखकर देश के युवा उग्र होने लगे और रिहाई की मांग करने लगे। तब सरकार ने उन्हें कलकत्ता में नजरबंद कर दिया था।

इस मध्य 1941 में नेताजी अपने भतीजे शिशिर की सहायता से वहां से भाग निकले। सबसे पहले वे बिहार के गोमाह पहुंचे, वहां से वे पाकिस्तान के पेशावर पहुंचे। इसके बाद वे सोवियत संघ होते हुए जर्मनी पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात वहां के शासक एडोल्फ हिटलर से हुई।

राजनीति में आने से पहले नेता ने दुनिया के कई हिस्सों की यात्रा की थी, उन्हें देश और दुनिया की अच्छी समझ थी, वे जानते थे कि इंग्लैंड हिटलर और पूरे जर्मनी का दुश्मन है, उन्हें यह कूटनीति सही लगी अंग्रेजों से बदला लेने और दुश्मन के दुश्मन को दोस्त बनाना उचित लगा। इसी दौरान उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की एमिली से शादी की, जिनके साथ वे बर्लिन में रहते थे, उनकी एक बेटी अनीता बोस भी थी।

1943 में नेताजी जर्मनी छोड़कर दक्षिण-पूर्व एशिया यानी जापान चले गए। यहां उनकी मुलाकात मोहन सिंह से हुई, जो उस समय आजाद हिंद फौज के प्रमुख थे। नेताजी मोहन सिंह और रास बिहारी बोस के साथ मिलकर ‘आजाद हिन्द फौज’ का पुनर्गठन किया। इसके साथ ही नेता ने ‘आजाद हिंद सरकार’ पार्टी भी बनाई। 1944 में नेताजी ने अपनी आजाद हिंद फौज को ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा दिया। जिसने पूरे देश में एक नई क्रांति ला दी।

नेता जी का इंग्लैंड दौरा (Netaji’s In England)

नेताजी इंग्लैंड गए जहां उन्होंने ब्रिटिश लेबर पार्टी के अध्यक्ष और राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की और भारत की स्वतंत्रता और उसके भविष्य के बारे में बात की। उन्होंने काफी हद तक अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मना भी लिया था।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु (Subhas Chandra Bose Death In Hindi )

1945 में जापान जाते समय नेताजी का विमान ताइवान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, लेकिन उनका शरीर नहीं मिला, कुछ समय बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस दुर्घटना पर भारत सरकार ने कई जाँच समितियाँ भी गठित की, लेकिन आज भी इस तथ्य की पुष्टि नहीं हो सकी है।

मई 1956 में कमेटी के नेता की मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए शाहनवाज जापान गए, लेकिन उनकी सरकार ने कोई मदद नहीं की, क्योंकि ताइवान से कोई खास राजनीतिक संबंध नहीं था। 2006 में, मुखर्जी आयोग ने संसद में कहा, ‘नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी, और रेंकोजी मंदिर में रखी उनकी अस्थियां उनकी नहीं हैं’। लेकिन भारत सरकार ने इस बात को खारिज कर दिया। आज भी इस मामले में जांच और विवाद चल रहा है।

नेता जी सुभाष चंद्र बोस के बारे में रोचक तथ्य हिंदी में (Subhas Chandra Bose Interesting Facts In Hindi)

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय सिविल परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था, लेकिन देश की आजादी को देखते हुए उन्होंने अपनी आरामदेह नौकरी को छोड़ने का फैसला लिया।

वर्ष 1942 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस हिटलर के पास गए और भारत को आजाद कराने का प्रस्ताव रखा, लेकिन हिटलर की भारत को आजाद कराने में कोई दिलचस्पी नहीं थी और उसने नेताजी को कोई स्पष्ट वादा नहीं दिया।

सुभाष चंद्र बोस जी स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह जी को बचाना चाहते थे और उन्होंने गांधी जी से अंग्रेजों से किए गए वादे को तोड़ने के लिए भी कहा, लेकिन वे अपने उद्देश्य में विफल रहे।

जलियांवाला बाग हत्याकांड के हृदय विदारक दृश्य से नेताजी बहुत व्यथित हुए और फिर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में स्वयं को जोड़ने से स्वयं को नहीं रोक सके।

नेताजी ने वर्ष 1943 में बर्लिन में आजाद हिंद रेडियो व फ्री इंडिया सेंट्रल की सफलतापूर्ण स्थापना की।

वर्ष 1943 में ही आजाद हिंद बैंक ने 10 रुपए से लेकर 1 लाख रुपए तक के सिक्के जारी किए थे और एक लाख रुपए के नोट में नेता सुभाष चंद्र जी की तस्वीर भी छपी थी।

महात्मा गांधी को नेताजी ने ही राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था।

1921 से 1941 के मध्य देश की अलग-अलग जेलों में सुभाष चंद्र बोस 11 बार कैद हुए।

नेता सुभाष चंद्र बोस दो बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुने गए थे।

नेता सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु आज तक एक रहस्य बनी हुई है और आज तक कोई भी इस पर से पर्दा नहीं उठा पाया है और भारत सरकार भी इस विषय पर कुछ भी चर्चा नहीं करना चाहती है।

FAQs For Subhash Chandra Bose Biography in Hindi

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म कब हुआ था?
23 जनवरी 1897 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था।

सुभाष चंद्र बोस कहाँ के रहने वाले हैं?
सुभाष चंद्र बोस ओडिशा के कटक के रहने वाले हैं।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पत्नी का नाम क्या था?
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पत्नी का नाम एमिली था।

सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु कब हुई थी?
18 अगस्त 1945 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु हो गयी थी।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कौन सा नारा दिया था?
दिल्ली चलो का नारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने दिया था।

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