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जीपीआरएस क्या है, और इसके फायदे – (GPRS In Hindi)

What Is GPRS In Hindi: आज के इस लेख में हम आपको जीपीआरएस क्या है, जीपीआरएस की परिभाषा, जीपीआरएस के फायदे, जीपीआरएस की विशेषताएं, जीपीआरएस का इतिहास और साथ ही जीएसएम और जीपीआरएस में अंतर भी बताने जा रहे है।

अगर आप जीपीआरएस के बारे में जानना चाहते है तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़े। तो चलिए शुरू करते है और जानते है की जीपीआरएस क्या है (GPRS Kya Hota Hai) –

जीपीआरएस का पूरा नाम जनरल पैकेट रेडियो सर्विस है। यह GSM नेटवर्क के लिए विकसित एक नॉन-वॉयस हाई-स्पीड पैकेट स्विचिंग सिस्टम है। यह एक पैकेट-संरेखित, बेतार संचार सेवा (वायरलेस कम्युनिकेशन सर्विस) है जो 3G और 2G सेलुलर ट्रांसमिशन नेटवर्क पर एक मोबाइल सिग्नल प्रसारित करती है।

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जीपीआरएस को जीएसएम-आईपी (GSM-IP) के रूप में भी जाना जाता है, जो एक ग्लोबल-सिस्टम मोबाइल कम्युनिकेशंस इंटरनेट प्रोटोकॉल है क्योंकि यह इस सिस्टम के उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन रखता है, वॉयस कॉल और इंटरनेट एक्सेस करने अनुमति भी देता है।

जीपीआरएस क्या है? (GPRS Kya Hai In Hindi)

जीपीआरएस का फुल फॉर्म जनरल पैकेट रेडियो सर्विस है। यह एक बेतार संचार नेटवर्क (वायरलेस कम्युनिकेशन नेटवर्क) है। किसी मोबाइल नेटवर्क में हम जीपीआरएस के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान में डेटा या सूचना भेज या प्राप्त कर सकते हैं।

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जीपीआरएस एक 2.5G नेटवर्क है क्योंकि यह दूसरी पीढ़ी और तीसरी पीढ़ी के बीच का नेटवर्क है। जीपीआरएस में डेटा की दर 56 kb/s से 114 kb/s तक होती है लेकिन वास्तव में जीपीआरएस की गति बहुत कम होती है। इसका उपयोग मोबाइल फोन से इंटरनेट एक्सेस करने के लिए किया जाता है और इससे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और मल्टीमीडिया वेबसाइटों तक भी पंहुचा जा सकता है।

जीपीआरएस का फुल फॉर्म क्या है? (What Is GPRS Full Form In Hindi )

जीपीआरएस का फुल फॉर्म जनरल पैकेट रेडियो सर्विस (General Packet Radio Service) है।

जीपीआरएस को हिंदी में क्या कहते है?

जीपीआरएस को हिंदी में “सामान्य पैकेट रेडियो सवाएं “ भी कहा जाता है।

जीपीआरएस की परिभाषा (Definition Of GPRS In Hindi)

जनरल पैकेट रेडियो सर्विस एक प्रकार की पैकेट-स्विचिंग तकनीक है जो मोबाइल कम्युनिकेशन्स (जीएसएम) के लिए सेलुलर नेटवर्क ग्लोबल सिस्टम के माध्यम से डेटा ट्रांसफर को सक्षम करती है, वहीँ एंड-टू-एंड, वाइड-एरिया वायरलेस आईपी कनेक्टिविटी प्रदान करती है।

जीपीआरएस ट्रांसमिशन रेट को 56 Kbps से 114 Kbps तक भी इम्प्रूव जा सकता है। साथ ही, इसमें इंटरमीडिएट कनवर्टर के तोर पर मौजूदा वायरलेस एप्लिकेशन की आवश्यकता नहीं होती है, जिसके कारण कनेक्शन और ट्रांसमिशन अधिक सुविधाजनक और आसान हो जाता है। इस तरह, उपयोगकर्ता आसानी से इंटरनेट पर लॉग ऑन कर सकते हैं, साथ ही साथ वे वीडियो कॉन्फ़्रेंस जैसे इंटरैक्टिव संचार में भाग ले सकते हैं और उपयोगकर्ता नेटवर्क के साथ बिना डायल-अप के उसी समान वीडियो नेटवर्क (VRN) से जुड़ सकते हैं।

जीपीआरएस किस तकनीक पर आधारित है?

जीपीआरएस मॉड्यूलेशन तकनीक पर आधारित है, जिसे GMSK (गॉसियन मिनिमम शिफ्ट कीइंग) के नाम से भी जाना जाता है। TDMA (टाइम डिवीजन मल्टीपल एक्सेस) या GSM ( ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन) या नेटवर्क पर जीपीआरएस की अनुमति देने के लिए, दो मुख्य मॉड्यूल होते हैं –

  • GGSN (Gateway GPRS Service Node)
  • SGSN (Serving GPRS Service Node)

जीपीआरएस का उपयोग इंटरनेट प्रोटोकॉल का उपयोग करके कम्यूनिकेट करने के लिए किया जा सकता है जो कंपनियों सहित वाणिज्यिक अनुप्रयोगों का समर्थन करते है।

जीपीआरएस का इतिहास (History Of GPRS In Hindi)

जीपीआरएस के इतिहास के बारे में जानना बहुत जरूरी है क्योंकि जीपीआरएस ने सबसे पहले GPS तकनीक के रूप में काम किया था। इसलिए धीरे-धीरे इसका नेटवर्क इंटरनेट आईपी से जोड़ दिया गया। बाद में इसे जीपीआरएस के नाम से जाना जाने लगा।

जीपीएस का आविष्कार बर्नहार्ड वाल्के और उनके छात्र पीटर डेकर ने किया था। दोनों का एक ही मकसद था दुनिया में इंटरनेट क्रांति लाना। जीपीआरएस को एक यूरोपीय कंपनी ईटीएसआई द्वारा प्रमाणित किया गया था।

साल 2000 में TECHNOLOGY की एक कंपनी आई। जिसका नाम ईजीडी था, जो जीपीआरएस का अपग्रेडेशन कर सकता था। इसके अपग्रेड के बाद, यह ही जीपीआरएस कहां जाने लगा? जैसे ही इसका अपग्रेडेशन हुआ।

इसकी स्पीड में काफी अंतर आया और इसकी स्पीड 384 Kbps प्रति सेकेंड हो गई। बाद में इस स्पीड को और बढ़ा कर 1 एमबी पर सेकेंड कर दिया गया।

जीपीआरएस को 2003 में 32 से 40 केबीपीएस पर एनालॉग वायरलेस टेलीफोन नेटवर्क में मॉडर्न कम कनेक्शन के रूप में शुरू किया गया था। इसे फोन की तरह ही बनाया गया था। धीरे-धीरे लोगों को इसकी जरूरत पड़ने लगी और जीपीआरएस में कई बदलाव किए गए।

आज यह कई क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण है और इसे संचालित करने के लिए इंटरनेट को जोड़ा गया है ताकि लोगों को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। आज हम किसी भी इलाके में खड़े होकर जीपीआरएस का इस्तेमाल कर सकते हैं।

जीपीआरएस की विशेषताएं (Features Of GPRS In Hindi)

जीपीआरएस को एक अच्छी तकनीक के साथ विकसित किया गया है। इसके अंदर कुछ फीचर डाले गए हैं। आइए जानते हैं –

  • जीपीआरएस के माध्यम से संदेश जल्दी प्राप्त किया जा सकता है।
  • एसएमएस और एमएमएस की सुविधा।
  • वायरलेस एप्लिकेशन प्रोटोकॉल की सुविधा।
  • दैनिक इंटरनेट की सुविधा।
  • इंस्टैंटली मेसेज की सुविधा।
  • प्वाइंट टू प्वाइंट सुविधा।

जीपीआरएस के फायदे (Advantages Of GPRS In Hindi)

आज बहुत से लोग जीपीआरएस और इसके फायदों के बारे में नहीं जानते हैं। जीपीआरएस के बहुत से फायदे हैं इसकी जानकारी हमने नीचे दी है जिसे जानना आपके लिए जरूरी है आइए जानते हैं जीपीआरएस के क्या फायदे हैं –

  • इसका फायदा यह है कि इसे चलाने के लिए हमें इंटरनेट की सुविधा दी गई है। पहले डेटा को जीपीआरएस द्वारा एक्सेस नहीं किया जा सकता था लेकिन जीपीआरएस के जन्म के बाद से डेटा को आसानी से एक्सेस किया जा सकता है।
  • जीपीआरएस अब एक तेज तकनीक के रूप में आ गया है। जीपीआरएस के अंदर पुराने वायरलेस एप्लिकेशन प्रोटोकॉल और नियमित जीएसएम सेवा को गति दी गई है।
  • जीपीआरएस प्रणाली की लागत बहुत कम है।
  • जीपीआरएस का एक और बड़ा फायदा यह है कि आप जिस भी स्थान पर हैं वहां आपको सिग्नल मिल जाएगा। व्यक्ति जहां है वहीं से इंटरनेट का उपयोग कर सकता है और इंटरनेट के माध्यम से जीपीआरएस को वायरलेस एक्सेस भी दे सकता है। इसके लिए मोबाइल नेटवर्क की जरूरत होगी।
  • जीपीआरएस प्रणाली का एक फायदा यह है कि यदि आप कॉल कर रहे हैं, तो जीएसएम नेटवर्क द्वारा आपकी कॉल को ब्लॉक नहीं किया जा सकता है।

जीपीआरएस का लक्ष्य (Target Of GPRS In Hindi)

जीपीआरएस एंड-टू-एंड वायरलेस इंफ्रास्ट्रक्चर का पहला कदम है और इसके कुछ लक्ष्य भी हैं, जिनके बारे में आइए जानते हैं –

  • ओपन आर्किटेक्चर का होना।
  • कंसिस्टेंट आईपी सेवाएं प्रदान करना।
  • समान इंफ्रास्ट्रक्चर वह भी अलग-अलग एयर इंटरफेस के लिए।
  • एकीकृत टेलीफोनी और इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर।
  • इसका सर्विस इनोवेशन इंफ्रास्ट्रक्चर से पूरी तरह स्वतंत्र है।

जीपीआरएस सर्विसेज (GPRS Services In Hindi)

अब जीपीआरएस द्वारा प्रदान की जाने वाली सर्विसेज के बारे में जानते हैं –

  • एसएमएस मेसेजिंग और ब्राडकास्टिंग
  • पुश-टू-टॉक ओवर सेलुलर
  • इंस्टेंट मेसेजिंग और प्रेसेंस
  • मल्टीमीडिया मेसेजिंग सर्विस
  • पॉइंट-टू-पॉइंट और पॉइंट-टू-मल्टीपॉइंट सर्विसेज

जीपीआरएस द्वारा समर्थित प्रोटोकॉल क्या हैं?

आइए अब जानते हैं कि वे कौन-कौन से प्रोटोकॉल हैं जो GPRS सपोर्ट करते हैं –

  • Internet Protocol (IP)
  • Point-To-Point Protocol (PPP)

जीपीआरएस में किस स्विचिंग का उपयोग किया जाता है?

जीपीआरएस तकनीक में पैकेट स्विच्ड डेटा का उपयोग किया जाता है। यह तकनीक उपलब्ध क्षमता का अधिक कुशल उपयोग करती है। इसका कारण यह है कि अधिकांश डेटा स्थानांतरण “बर्स्ट” फैशन में होते हैं।

जीपीआरएस कैसे काम करता है? (How Does GPRS Work In Hindi)

यह एक ऐसी सर्विस है जो रेडियो वेव्स (Radio Waves) के जरिए डेटा ट्रांसमिट करने का काम करती है। इसलिए जीपीआरएस को JSM-IP के नाम से भी जाना जाता है, जो एक ग्लोबल-सिस्टम मोबाइल कम्युनिकेशंस इंटरनेट प्रोटोकॉल है। इसके साथ ही यह इस सिस्टम के उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन रखता है, यह वॉयस कॉल करने और इंटरनेट एक्सेस करने की अनुमति प्रदान करता है। इसके अलावा, यह एक ऐसी प्रणाली है जिसका टाइम-डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (टीडीएमए) उपयोगकर्ता लाभ उठाते हैं, क्योंकि यह पैकेट रेडियो एक्सेस प्रदान करता है। वहीं, पीआरएस अब 2G, 3G और 4G सेवाओं के साथ व्यापक रूप से उपलब्ध हो गया है।

जीएसएम और जीपीआरएस में अंतर (Difference Between GSM And GPRS In Hindi)

  • GSM 2G प्रौद्योगिकियों का मानक वाहक है जबकि GPRS बेसिक जीएसएम फीचर का एक उन्नयन है। जीपीआरएस मोबाइल हैंडसेट को मानक जीएसएम की तुलना में बहुत अधिक डेटा गति प्राप्त करने में मदद करता है।
  • GSM का उपयोग सर्किट स्विचिंग ट्रैफिक के लिए किया जाता है जबकि GPRS का उपयोग पैकेट स्विचिंग ट्रैफिक के लिए किया जाता है।
  • GSM में लोकेशन एरिया कांसेप्ट का प्रयोग होता है जबकि GPRS में रूटिंग एरिया कांसेप्ट का प्रयोग होता है।
  • GSM में UE दो स्टेट में होती है जिसमें पहला IDLE और दूसरा READY है जबकि GPRS में UE तीन स्टेट में होती है जिसमें पहला IDLE है, दूसरा READY है और आखिरी STANDBY है।
  • GSM में ट्रैफिक और सिग्नलिंग विभिन्न मल्टी-फ्रेम स्ट्रक्चर को फॉलो करते हैं जबकि GPRS में ट्रैफिक और सिग्नलिंग दोनों एक ही मल्टी-फ्रेम स्ट्रक्चर को फॉलो करते हैं।
  • GSM में, अपलिंक और डाउनलिंक में टाइम स्लॉट आवंटित किए जाते हैं, इन रेडियो संसाधनों के आवंटन के कारण, जीएसएम को सममित (Symmetric) भी कहा जाता है, जबकि GPRS में, रेडियो संसाधन आवंटन असममित (Asymmetric) होता है, क्योंकि इसमें टाइम स्लॉट केवल डाउनलिंक या अललोकेट किया जा सकता है अपलिंक को नहीं।

FAQs

जीपीआरएस का पूरा नाम क्या है?
जीपीआरएस का पूरा नाम जनरल पैकेट रेडियो सर्विस है।

जीपीआरएस को हिंदी में क्या कहा जाता है?
जीपीआरएस को हिंदी में “सामान्य पैकेट रेडियो सवाएं “ भी कहा जाता है।

जीपीआरएस किस तकनीक पर काम करती है?
जीपीआरएस मॉड्यूलेशन तकनीक पर आधारित है।

जीपीआरएस में किस स्विचिंग का उपयोग किया जाता है?
जीपीआरएस तकनीक में पैकेट स्विच्ड डेटा का उपयोग किया जाता है।

जीपीआरएस का दूसरा नाम क्या है?
जीपीआरएस को JSM-IP के नाम से भी जाना जाता है।

यह भी पढ़ें – 

निष्कर्ष

जीपीआरएस क्या है पर लिखा गया यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। और आपको काफी जानकारी भी इस लेख से मिल गयी होगी।

अगर आपको यह लेख जीपीआरएस क्या होता है अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जरूर शेयर करे।

लेख के अंत तक बने रहने के लिए आपका धन्यवाद

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