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कंप्यूटर वायरस क्या है? इसका इतिहास और कंप्यूटर से वायरस कैसे हटाएं

Computer Virus Kya Hai In Hindi | What Is Computer Virus In Hindi: क्या आप जानना चाहते हैं कि कंप्यूटर वायरस क्या है? कंप्यूटर का उपयोग सभी लोग करते है और जो लोग इनका उपयोग करते हैं उन्होंने वायरस का नाम तो सुना ही होगा।

वायरस नाम इंटरनेट की दुनिया में एक जाना पहचाना नाम है। इसके साथ ही यह एक बहुत ही डरावना नाम भी है क्योंकि यह आपके कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के लिए बहुत हानिकारक है। यानी अगर यह एक बार सिस्टम में घुस जाए तो इसे खराब भी कर सकता है और आपके डेटा को भी नष्ट कर सकता है।

जैसे वायरस हमारे स्वास्थ्यके लिए अच्छे नहीं होते और ये हमारे शरीर में कई तरह की बीमारियां फैलाते हैं, उसी तरह कंप्यूटर सिस्टम को ये वायरस कई नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए सभी कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं के लिए इनके बारे में जानकारी होना अच्छा है।

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बहुत से लोगों को कंप्यूटर वायरस के बारे में पता होता है। लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने वायरस का नाम तो सुना है लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि वायरस आपके कंप्यूटर में क्या कर सकता है।

तो आज के इस लेख में कंप्यूटर वायरस क्या है, कंप्यूटर वायरस के प्रकार, सबसे पहला कंप्यूटर वायरस कौन सा था, कंप्यूटर वायरस आने के कारण और कैसे आप कंप्यूटर वायरस को ख़त्म कर सकते है, इसके बारे ने जानकारी देने वाले है। अगर आप कंप्यूटर वायरस से जुडी ये सभी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा अंत तक जरूर पढ़ें। तो चलिए शुरू करते है –

What Is Computer Virus In Hindi

  • कंप्यूटर वायरस क्या है?
  • कंप्यूटर वायरस का इतिहास
  • कंप्यूटर वायरस क्या कर सकता हैं?
  • मैलवेयर क्या है?
  • मैलवेयर के प्रकार
  • वायरस क्या है?
  • वायरस के प्रकार
  • सिस्टम में वायरस इन्फेक्शन के लक्षण
  • सिस्टम को वायरस और वॉर्म्स से कैसे बचाएं
  • कंप्यूटर वायरस से कैसे बचें
  • कंप्यूटर से वायरस कैसे हटाएं

कंप्यूटर वायरस क्या है? (Computer Virus Kya Hai?)

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कंप्यूटर वायरस एक छोटा सा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है जिसे कंप्यूटर के संचालन और कंप्यूटर के डेटा को नष्ट या क्षतिग्रस्त करने के लिए बनाया गया है।

हमारी जानकारी के बिना कंप्यूटर वायरस सिस्टम को इस तरह खराब कर सकता है कि इसे ठीक करना हमारे लिए संभव नहीं हो पाता। कई सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों के माध्यम से ही कंप्यूटर चलता है, बिना किसी प्रोग्राम के कंप्यूटर काम नहीं कर सकता।

कंप्यूटर के ठीक से कार्य करने के लिए सॉफ्टवेयर प्रोग्राम बनाए जाते हैं और कुछ प्रोग्राम कंप्यूटर के काम को खराब करने के लिए भी बनाए जाते हैं।

कंप्यूटर का आविष्कार मनुष्य ने किया। मनुष्य ने कंप्यूटर चलाने के लिए प्रोग्राम बनाया और जैसा कि मैंने कहा कि वायरस भी एक छोटा प्रोग्राम है, इसे भी मनुष्य ने ही बनाया है। कंप्यूटर वायरस प्राकृतिक नहीं है, यह अपने आप नहीं बनता है। यह प्रोग्रामर द्वारा जानबूझकर बनाया जाता है ताकि वे अन्य कंप्यूटरों को खराब कर सकें।

या हम यह भी कह सकते हैं कि वायरस वास्तव में कंप्यूटर प्रोग्राम हैं जो उत्पादक के बजाय विनाशकारी होते हैं। इसका मूल उद्देश्य मदद करने के बजाय नुकसान पहुंचाना है।

कंप्यूटर वायरस का इतिहास | History of Computer Viruses In Hindi

रॉबर्ट थॉमस, वह पहले इंजीनियर थे जिन्होंने 1971 में बीबीएन टेक्नोलॉजीज में काम करते हुए पहला कंप्यूटर वायरस विकसित किया था।

इस पहले वायरस को “क्रीपर” (Creeper) वायरस नाम दिया गया था और यह एक एक्सपेरिमेंटल प्रोग्राम था। जिसे थॉमस जी ने अर्पानेट के मेनफ्रेम को इन्फेक्ट करने के लिए किया था। वायरस सिस्टम को इन्फेक्ट करने के बाद, यह स्क्रीन पर निम्न संदेश प्रदर्शित करता था, “I’m the creeper: Catch me if you can.”

ओरिजिनल वाइल्ड कंप्यूटर वायरस जिसे पूरे कंप्यूटर वायरस के इतिहास में पहली बार ट्रैक किया गया था, वह था “एल्क क्लोनर। इस एल्क क्लोनर ने पहले Apple II ऑपरेटिंग सिस्टम को फ़्लॉपी डिस्क के माध्यम से इन्फेक्ट किया था। इस वायरस को रिचर्ड स्क्रेंटा ने 1982 में विकसित किया था, जो उस समय किशोर थे।

मान लीजिए कंप्यूटर वायरस को प्रैंक के हिसाब से डिजाइन किया गया था। लेकिन इससे यह पता चलता है कि अगर कंप्यूटर की मेमोरी में कोई मालिसियस प्रोग्राम इंस्टॉल हो जाता है तो यह कई ऐसे काम कर सकता है, जो यूजर को सिस्टम चलाने से रोक सकते हैं। और इन मालिसियस प्रोग्राम पर उनका जरा सा भी नियंत्रण नहीं होगा।

इन मालिसियस प्रोग्राम्स को “कंप्यूटर वायरस” नाम देने वाले पहले व्यक्ति फ्रेड कोहेन थे, जिन्होंने 1983 में इसका नाम रखा था। यह नाम तब सामने आया जब उन्होंने अपने एक अकादमिक पेपर में इन प्रोग्राम्स का नाम “Computer Viruses – Theory and Experiments” टाइटल किया था। जहां उन्होंने इन मालिसियस प्रोग्राम के बारे में पूरी जानकारी लिखी जैसे कि यह कैसे काम करता है, यह क्या कर सकता है आदि।

कंप्यूटर वायरस क्या कर सकता हैं?

कंप्यूटर वायरस कंप्यूटर में मौजूद डेटा को करप्ट या मिटा सकता है। आपके हार्ड डिस्क में संग्रहीत डेटा को पूरी तरह से समाप्त कर सकते हैं। कंप्यूटर वायरस ई-मेल अटैचमेंट के जरिए दूसरे कंप्यूटर में जाकर उनके कंप्यूटर को खराब कर देते हैं। वायरस आपके कंप्यूटर की स्पीड को स्लो कर देता है। यह आपकी फाइलों और प्रोग्राम को नष्ट कर देता है।

मैलवेयर क्या है? | Malware Kya Hai

मैलवेयर का पूरा नाम मालिसियस सॉफ़्टवेयर है। यह भी एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जो कंप्यूटर को नुकसान पहुंचाता है। मालिसियस सॉफ़्टवेयर का अर्थ है खराब सॉफ़्टवेयर जो बिल्कुल भी अच्छा या ठीक नहीं है और एक बार यह आपके सिस्टम में आ जाता है तो यह आपके सिस्टम को पूरी तरह से खराब कर सकता है। मालवेयर भी एक ऐसे वायरस का नाम है जो धीरे-धीरे आपके सिस्टम के डेटा को नष्ट करना शुरू कर देता है।

हमारे सिस्टम में मैलवेयर कई जगह से आ सकता है और आज के समय में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला कॉमन सोर्स इंटरनेट है। इंटरनेट पर हमें हर दिन कुछ न कुछ जानकारी मिलती रहती है। यदि हम किसी मालिसियस साइट पर जाकर वही जानकारी प्राप्त करते हैं या कहीं से भी पायरेटेड सॉफ़्टवेयर, गेम और मूवी डाउनलोड करते हैं, तो वहां से मैलवेयर हमारे कंप्यूटर में ऑनलाइन आ जाता है।

यह इस बारे में था कि ऑनलाइन मैलवेयर हमारे कंप्यूटर में कैसे आता है। अब हम जानेंगे कि ऑफ़लाइन मैलवेयर हमारे कंप्यूटर में कैसे जाता है।

हम सभी अपने कंप्यूटर में पेनड्राइव, सीडी, डीवीडी का इस्तेमाल करते हैं। जब हम अन्य जगहों से डेटा लेने के लिए पेनड्राइव और सीडी को अपने कंप्यूटर से जोड़ते हैं, तो इन सभी चीजों से मैलवेयर हमारे कंप्यूटर में आ जाता है और हमारा कंप्यूटर डेटा को नष्ट कर देता है।

मैलवेयर के प्रकार | Types of Malware In Hindi

मैलवेयर तीन प्रकार के होते हैं-

  • Virus
  • Worms
  • Trojan Horse

ये तीनों अलग हैं, इनका काम भी अलग है। ये तीनों आपके कंप्यूटर को अलग-अलग तरह से नुकसान पहुंचाते हैं। आइए जानते हैं इन तीनों के बारे में –

वायरस क्या है | Virus Kya Hai

वायरस आपके कंप्यूटर में मौजूद फाइलों और सॉफ्टवेयर को करप्ट कर सकता है। मान लीजिए आपके सिस्टम में कोई वर्ड डॉक्यूमेंट है जिसमें वायरस आ गया है तो यह आपके डॉक्यूमेंट का डेटा डिलीट कर देगा या उस डॉक्यूमेंट को करप्ट कर देगा जिससे आपको उससे कोई जानकारी नहीं मिल पाएगी।

या ऐसा भी हो सकता है कि यह वायरस आपके वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर को पूरी तरह से करप्ट कर सकता है। ऐसे में अगर आप किसी भी करप्टेड फाइल को कॉपी या शेयर करते हैं तो यह वायरस दूसरे कंप्यूटर में जाकर उसके सिस्टम को खराब कर देता है।

वायरस के प्रकार | Types Of Virus In Hindi

कंप्यूटर वायरस एक प्रकार का मैलवेयर है जो अगर कंप्यूटर की मेमोरी में प्रवेश कर गया तो यह खुद को गुणा कर सकता है और प्रोग्राम, एप्लिकेशन को भी बदल सकता है। यहां कंप्यूटर तब इन्फेक्ट हो जाते हैं जब ये मालिसियस कोड खुद को दोहराते रहते हैं। यहां आपको इन कंप्यूटर वायरस के प्रकारों के बारे में जानकारी दे रहे है –

बूट सेक्टर वायरस – इस प्रकार का वायरस मास्टर बूट रिकॉर्ड को इन्फेक्ट करता है और उन्हें हटाना बहुत मुश्किल होता है। अक्सर इन्हे हटाने के लिए सिस्टम को फॉर्मेट करना पड़ता है। ये मुख्य रूप से रिमूवेबल मीडिया के द्वारा फैलते हैं।

डायरेक्ट एक्शन वायरस – इन्हें रेजिडेंट वायरस भी कहा जाता है। एक बार इनस्टॉल हो जाने के बाद ये कंप्यूटर की मेमोरी में छिपे रहते हैं। यह उन विशिष्ट प्रकार की फाइलों से जुड़ा रहता है जिन्हें यह इन्फेक्ट करता है। वे उपयोगकर्ता के अनुभव और सिस्टम के प्रदर्शन को प्रभावित नहीं करते हैं।

रेजिडेंट वायरस – डायरेक्ट एक्शन वायरस की तरह, रेजिडेंट वायरस भी कंप्यूटर में इंस्टॉल हो जाते हैं। इसके अलावा इनकी पहचान करना भी उतना ही मुश्किल काम होता है।

यह वायरस कंप्यूटर की मेमोरी में खुद को इंप्लांट कर लेता है। मूल रूप से, किसी भी फाइल या प्रोग्राम को इन्फेक्ट करने के लिए इंफेक्क्शन के लिए ओरिजिनल वायरस प्रोग्राम की कोई आवश्यकता नहीं होती है। यदि आप ओरिजिनल वायरस को हटा भी देते हैं, तो इसका एक संस्करण मेमोरी में संग्रहीत हुआ होता है, जो स्वचालित रूप से सक्रिय हो जाता है। यह तब होता है जब कंप्यूटर ओएस कुछ एप्लिकेशन या फ़ंक्शन लोड करता है। चूंकि यह सिस्टम की रैम में छिपा होता है, इसलिए अक्सर इसे कोई एंटीवायरस या एंटीमैलवेयर डिटेक्ट नहीं कर पाता है।

मल्टीपार्टाइट वायरस – इस प्रकार का वायरस सिस्टम को कई तरह से प्रभावित कर सकता है। ये दोनों बूट सेक्टर और एक्सेक्यूटबल फाइल्स को एक साथ इन्फेक्ट करते हैं।

पोलीमॉर्फिक वायरस – ट्रेडिशनल एंटी-वायरस प्रोग्राम के लिए इस प्रकार के वायरस की पहचान करना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि ये वायरस जब भी खुद को दोहराते हैं तो अपने सिग्नेचर पैटर्न को बार-बार बदलते हैं।

इस तरह के वायरस का इस्तेमाल साइबर क्रिमिनल ज्यादा करते हैं। यह एक ऐसे प्रकार का मैलवेयर प्रकार है जो अपने अंतर्निहित कोड को आसानी से बदल सकता है या म्यूटेट कर सकता है। बिना किसी बेसिक फंक्शन या फीचर को बदले।इससे यह किस एंटी-मैलवेयर की चपेट में भी नहीं आता है। जब भी कोई एंटी मालवेयर इसका पता लगाता है, तो वह खुद को बदल लेता है जिससे उसे पकड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है।

ओवरराइट वायरस – इस प्रकार का वायरस उन सभी फाइलों को डिलीट कर देता है जिन्हें वे इन्फेक्ट करते हैं। सिस्टम से इन वायरस को हटाने के लिए, उपयोगकर्ता को सभी इन्फेक्ट फ़ाइलों को हटाना होगा, जिससे डेटा हानि होती है। इन वायरस की पहचान करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि ये ईमेल के जरिए फैलते हैं।

स्पेसफिलर वायरस – इन्हें “कैविटी वायरस” भी कहा जाता है। इन्हे यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि यह कोड में सभी रिक्त स्थान की भर देते है। इसलिए यह फाइलों को नुकसान नहीं पहुंचाता है।

फाइल इंफेक्टर्स वायरस – कुछ फाइल इंफेक्टर वायरस प्रोग्राम फाइलों से जुड़कर आते हैं, जैसे कि .com या .exe फाइलें। कुछ फाइल इन्फेक्ट वायरस .sys, .ovl, .prg, और .mnu वाली फ़ाइलों को भी इन्फेक्ट करते हैं। जब कोई पर्टिकुलर प्रोग्राम लोड होता है तो वायरस भी अपने आप लोड हो जाता है। ये वायरस यूजर्स के कंप्यूटर में ईमेल के साथ आ जाते हैं।

मैक्रो वायरस – जैसा कि नाम से पता चलता है, ये मैक्रो वायरस मुख्य रूप से मैक्रो लैंग्वेज कमांड को लक्षित करते हैं जैसे कि कुछ एप्लीकेशन में जैसे कि माइक्रोसॉफ्ट वर्ड । इन मैक्रो वायरस को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि वे आसानी से अपने मालिसियस कोड को वास्तविक मैक्रो अनुक्रमों में जोड़ देते हैं।

ओवरराइट वायरस – इस वायरस को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह खुद को ओवरराइट कर सकता है और किसी भी फाइल या एप्लिकेशन डेटा को नष्ट कर सकता है। एक बार जब यह हमला शुरू करता है, तो यह अपने कोड को ओवरराइट करना शुरू कर देता है।

रूटकिट वायरस – यह रूटकिट वायरस एक प्रकार का मैलवेयर प्रकार होता है जो गुप्त रूप से इन्फेक्टेड सिस्टम में एक इल्लीगल रूटकिट स्थापित कर देता है। इसके साथ ही यह उन अटैकर्स के लिए एक द्वार खोलता है जो उन्हें सिस्टम पर पूरा नियंत्रण देते हैं।

इसके साथ, अटैकर्स किसी भी प्रोग्राम या फ़ंक्शन को मौलिक रूप से आसानी से मॉडिफाई या अक्षम कर सकते हैं। ये रूटकिट वायरस आसानी से एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर को बायपास कर सकते हैं। इन्हें पकड़ने के लिए रूटकिट स्कैनर की जरूरत होती है।

सिस्टम या बूट-रिकॉर्ड इंफेक्टर्स वायरस – ये बूट-रिकॉर्ड इंफेक्टर्स निष्पादन योग्य कोड को इन्फेक्ट करते हैं जो डिस्क के स्पेसिफिक सिस्टम एरियाज में पाया जाता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, ये USB थंब ड्राइव और DOS बूट सेक्टर में अधिक इंफेक्स्ट करते हैं।

नेटवर्क वायरस – नेटवर्क वायरस इंटरनेट और लैन के माध्यम से फैलते हैं। इन वायरस को बनाने का उद्देश्य और कार्य नेटवर्क को धीमा करना है। इस तरह के वायरस नेटवर्क की परफॉर्मेंस को खराब कर देते हैं। एक बार जब ये वायरस नेटवर्क में फैल जाते हैं, तो नेटवर्क कनेक्शन स्थापित करना बहुत मुश्किल होता है।

वेब स्क्रिप्टिंग वायरस – वेब स्क्रिप्टिंग वायरस सबसे आम कंप्यूटर वायरस है। वे विज्ञापनों, लिंक, छवियों, ऑडियो, वीडियो आदि से जुड़े होते हैं। जब उपयोगकर्ता इन पर क्लिक करता है, तो वे डाउनलोड करना शुरू कर देते हैं और उपयोगकर्ता के कंप्यूटर तक पहुंच जाते हैं। जब ये वायरस कंप्यूटर में पहुंच जाते हैं तो कंप्यूटर की परफॉर्मेंस खराब होने लगती है।

ब्राउज़र हाई जेकर – इस प्रकार का वायरस वेब ब्राउजर को हाईजैक कर लेता है। वे उपयोगकर्ता की अनुमति के बिना ब्राउज़र की सेटिंग्स में हेरफेर करते हैं, जिससे उपयोगकर्ता एक संक्रमित वेबसाइट तक पहुंच जाता है। जब ये वायरस कंप्यूटर में प्रवेश करते हैं तो यूजर एड्रेस बार में अलग यूआरएल टाइप करता है और वह दूसरी वेबसाइट पर पहुंच जाता है। जब ब्राउज़र हाई जेकर वायरस कंप्यूटर में प्रवेश करता है तो आपको अधिक विज्ञापन दिखाई देते हैं।

Worms

वर्म्स भी वायरस की तरह होते हैं लेकिन वे खुद को गुणा करते हैं और जितना हो सके खुद को फैलाने की कोशिश करते हैं। यानी अगर आपके सिस्टम में वर्म्स आ जाते हैं तो वे अलग-अलग फाइलों की कई कॉपी बनाने लगते हैं, जिससे सिस्टम स्लो हो जाता है। अगर हम उन्हीं फाइलों को कॉपी करके दूसरे कंप्यूटर से शेयर करते हैं तो वर्म्स वहां जाकर भी फाइलों की कई कॉपी बनाकर उस कंप्यूटर को स्लो कर देंगे।

Trojan Horse

ट्रोजन हॉर्स एक बहुत ही खतरनाक मैलवेयर है। ये मैलवेयर अपनी पहचान छुपाकर आपके कंप्यूटर में आ जाते हैं।

उदाहरण के लिए, मान लीजिए आप इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं और आप किसी भी साइट पर गए हैं, वहां आपको “स्मार्टफोन जीतने के लिए यहां क्लिक करें” जैसा एक ऐड दिखाई देता है और आप उस पर क्लिक करते हैं, तो ट्रोजन हॉर्स मालवेयर आपके कंप्यूटर पर इसके माध्यम से ही आएगा। और आपको इसके बारे में पता भी नहीं चलेगा और आपका सिस्टम पूरी तरह से खराब हो जाएगा।

ये इंटरनेट पर कई सॉफ्टवेयर के रूप में भी मौजूद होते हैं। आपको लगेगा कि यह असली सॉफ्टवेयर है लेकिन असल में यह एक ट्रोजन है जो उस सॉफ्टवेयर के अंदर छिपा होता है। एक बार यह आपके कंप्यूटर में आ जाए तो यह आपके कंप्यूटर को स्लो करना शुरू कर देता है। इसके साथ ही वह एक दरवाजा खोल देता जिससे और भी तरह तरह के वायरस और वर्म्स आपके कंप्यूटर में आ जाते हैं।

सिस्टम में वायरस इन्फेक्शन के लक्षण

कैसे पता करें कि आपका सिस्टम वायरस से इन्फेक्टेड है या नहीं। इसीलिए कुछ चेतावनी के संकेत के बारे में बताने जा रहे जो सभी कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं के लिए जानना बहुत जरूरी है –

  • स्लो सिस्टम परफॉरमेंस।
  • स्क्रीन पर बार-बार पॉप-अप का आना।
  • अपने आप प्रोग्राम का चलना।
  • फ़ाइलों को स्वचालित रूप से गुणा/डुप्लिकेट होना।
  • कंप्यूटर में नई फ़ाइलें और प्रोग्राम स्वचालित रूप से स्थापित हो जाना।
  • फ़ाइलों, फ़ोल्डरों या प्रोग्रामों का स्वचालित रूप से डिलीट और करप्ट हो जाना।
  • हार्ड ड्राइव से अजीब सा साउंड आना।

अगर आपके सिस्टम में ऐसी चेतावनियां दिखाई देती हैं तो आपको जान लेना चाहिए कि आपका सिस्टम वायरस से संक्रमित हो सकता है। तो जल्द ही एक अच्छा एंटीवायरस सॉफ्टवेयर डाउनलोड और स्कैन करें।

सिस्टम को वायरस और वॉर्म्स से कैसे बचाएं

क्या करे –

  • अपने सिस्टम में हमेशा एक अच्छा एंटीवायरस इंस्टॉल करें और उसे समय-समय पर अपडेट करते रहें।
  • अगर आपको किसी ईमेल के बारे में पता नहीं है तो उसे न खोले।
  • अनधिकृत वेबसाइटों जैसे एमपी3, मूवीज, सॉफ्टवेयर आदि से कुछ भी डाउनलोड न करें।
  • डाउनलोड की गई सभी चीजों को अच्छी तरह स्कैन कर लें। क्योंकि उनमें वायरस होने की संभावना अधिक होती है।
  • स्कैन करने के बाद ही पेनड्राइव, डिस्क जैसे रिमूवेबल मीडिया का इस्तेमाल करें।
  • अगर आप किसी वेबसाइट पर जाते हैं तो एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह एक पॉपुलर और रजिस्टर्ड वेबसाइट हो और ऐसे किसी लिंक पर क्लिक न करें, जिससे आपको बाद में परेशानी हो।

क्या न करे –

  • कभी भी कोई ईमेल अटैचमेंट न खोलें। जिसके बारे में आप न जानते हो।
  • किसी भी अवांछित निष्पादन योग्य फ़ाइल, दस्तावेज़, स्प्रेडशीट को स्कैन किए बिना खोलने का प्रयास न करें।
  • अविश्वसनीय वेबसाइटों से दस्तावेज़ या निष्पादन योग्य सॉफ़्टवेयर डाउनलोड न करें।
  • ऐसे विज्ञापन जो आपको यहां क्लिक करने और लॉटरी जीतने का लालच देते हैं। ऐसे ऐड पर कभी भी क्लिक न करें। इसी तरह का लालच हमारे पास ई-मेल में भी आता है इसलिए उस मेल को कभी भी न खोलें क्योंकि उसमें मालवेयर होने की संभावना ज्यादा होती है।

कंप्यूटर वायरस से कैसे बचें

  • एक प्रीमियम एंटीवायरस का प्रयोग करें।
  • किसी भी विश्वसनीय वेबसाइट से ही इंटरनेट से थर्ड पार्टी एप्लिकेशन डाउनलोड करें।
  • ऑपरेटिंग सिस्टम को हमेशा अपडेट करते रहें।
  • आकर्षक विज्ञापनों पर क्लिक करने से बचें।
  • अनावश्यक ईमेल में फाइल या लिंक खोलने से बचें
  • एक्सटर्नल स्टोरेज डिवाइस को कंप्यूटर से कनेक्ट करने से पहले ध्यान रखें कि आपके पास एक अच्छा एंटीवायरस हो।
  • फ़ाइल साझा करते समय सावधान रहें।

कंप्यूटर से वायरस कैसे हटाएं

अगर आपके कंप्यूटर में कोई वायरस आ गया है तो सबसे पहले उस कंप्यूटर को नेटवर्क से अलग कर लें। अगर आपके कंप्यूटर में एंटीवायरस इंस्टॉल है, तो एंटीवायरस को अपडेट करें और कंप्यूटर को फुल स्कैन पर रखें। यदि आपके पास लाइसेंस प्राप्त एंटीवायरस नहीं है, तो एक प्रीमियम एंटीवायरस इनस्टॉल करें। हमेशा एक अच्छे एंटीवायरस का इस्तेमाल करें क्योंकि फ्री एंटीवायरस आपके कंप्यूटर को नुकसान पहुंचा सकता है।

FAQ

वायरस का फुल फॉर्म क्या है?
वायरस का फुल फॉर्म वाइटल इंफॉर्मेशन रिसोर्सेज अंडर सीज है।

वायरस का पता कैसे लगाया जाता है?
एंटीवायरस का उपयोग करके वायरस का पता लगाया जाता है।

पहला कंप्यूटर वायरस कौन सा था?
पहला कंप्यूटर वायरस क्रीपर था जिसे बॉब थॉमस ने 1970 में विकसित किया था।

क्या कर सकते कंप्यूटर वायरस हैं?
कंप्यूटर वायरस कंप्यूटर में मौजूद डेटा को करप्ट या मिटा सकते है।

कंप्यूटर वायरस क्या है?
कंप्यूटर वायरस एक छोटा सा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जिसे आपके कंप्यूटर के संचालन और कंप्यूटर के डेटा को नष्ट या क्षतिग्रस्त करने के लिए बनाया गया है।

कंप्यूटर वायरस किसे कहते हैं कितने प्रकार के होते हैं?
कंप्यूटर वायरस एक छोटा सा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जिसे कंप्यूटर के संचालन और कंप्यूटर के डेटा को नष्ट या क्षतिग्रस्त करने के लिए बनाया गया है। और ये कई प्रकार के होते है।

कंप्यूटर वायरस क्या है समझाइए?
कंप्यूटर वायरस एक छोटा सा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जिसे आपके कंप्यूटर के संचालन और कंप्यूटर के डेटा को नष्ट या क्षतिग्रस्त करने के लिए बनाया गया है। कंप्यूटर वायरस हमारी जानकारी के बिना सिस्टम को इस तरह खराब कर सकता है कि इसे ठीक करना हमारे लिए संभव नहीं होता। कंप्यूटर कई सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों के माध्यम से ही चलता है, बिना किसी प्रोग्राम के कंप्यूटर काम नहीं कर सकता।

कंप्यूटर वायरस कहां से आते हैं?
ईमेल, मैसेजिंग ऐप या मालिसियस वेबसाइटों के लिंक पर क्लिक करने से आ सकते है।

कंप्यूटर वायरस क्यों बनाए जाते हैं?
कंप्यूटर वायरस पैसा कमाने, खाते की जानकारी चुराने, दूसरों के लिए परेशानी पैदा करने के लिए बनाए जाते हैं।

निष्कर्ष

उम्मीद है की आपको यह जानकारी (Computer Virus Kya Hai | Computer Virus In Hindi) पसंद आयी होगी। अगर आपको यह लेख (Computer Virus Kya Hai | Computer Virus In Hindi) मददगार लगा है तो आप इस लेख (Computer Virus Kya Hai | Computer Virus In Hindi) को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें । और अगर आपका इस लेख (Computer Virus Kya Hai | Computer Virus In Hindi) से सम्बंधित कोई सवाल है तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।

लेख के अंत तक बने रहने के लिए आपका धन्यवाद

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