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पीपल की पूजा कब नहीं करनी चाहिए / पीपल की पूजा किस दिन नहीं करनी चाहिए

पीपल की पूजा कब नहीं करनी चाहिए – सनातन धर्म में देवी-देवताओं के साथ-साथ कई पेड़-पौधों को भी दैवीय माना गया है। इन्हीं में से एक है पीपल का पेड़। शास्त्रों में पीपल की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ पर देवी-देवताओं के साथ-साथ भूत-प्रेत और पितरों का भी वास होता है। ऐसा माना जाता है कि शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के सामने दीपक जलाने से शनि दोष से राहत मिलती है। पीपल के पेड़ की पूजा के लिए शनिवार का दिन सर्वोत्तम है, जबकि रविवार के दिन इसकी पूजा करना अशुभ माना जाता है। तो आइये जानते है –

पीपल की पूजा कब नहीं करनी चाहिए / पीपल की पूजा किस दिन नहीं करनी चाहिए

शास्त्रों के अनुसार पीपल की पूजा हमेशा सूर्योदय के बाद करनी चाहिए। कभी भी सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ की पूजा नहीं करनी चाहिए। इससे घर में दरिद्रता का वास होता है। शास्त्रों के अनुसार पीपल के पेड़ पर सूर्योदय से पहले देवी अलक्ष्मी का वास होता है, जिसे दरिद्रता का प्रतीक माना जाता है।

इसके अलावा अगर आप पीपल के पेड़ की पूजा सूर्योदय से पहले करते हैं तो घर में हमेशा दरिद्रता और जीवन में परेशानियां बनी रहती हैं। इसलिए सूर्योदय से पहले न तो पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और न ही इसके पास जाना चाहिए।

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इसके अलावा पीपल की पूजा रविवार के दिन भूलकर भी नहीं करनी चाहिए, और न ही इस दिन जल चढ़ाना चाहिए। रविवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना अशुभ माना जाता है। रविवार के दिन इसकी पूजा करने से आर्थिक स्थिति खराब होने के साथ-साथ शारीरिक परेशानियां भी होती हैं। रविवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा न करने के पीछे एक पौराणिक कथा है। इसके अनुसार माता लक्ष्मी और उनकी बहन अलक्ष्मी दोनों समुद्र मंथन से निकली थीं। दोनों बहनों ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की और रहने के लिए जगह मांगी।

पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी और उनकी बहन दरिद्रा दोनों को पीपल के पेड़ पर निवास करने का स्थान दिया था। इस प्रकार दोनों बहनें पीपल के पेड़ पर रहने लगीं। जब एक बार भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) ने देवी लक्ष्मी के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने सर्वप्रथम अपनी बहन दरिद्रा के विवाह का आग्रह किया। अलक्ष्मी की इच्छा थी कि उनकी शादी किसी ऐसे व्यक्ति से हो जो पूजा नहीं करता हो।

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दरिद्रा की इच्छा के अनुसार भगवान विष्णु ने उसका विवाह एक ऐसे ऋषि से करा दिया। विवाह के बाद भगवान विष्णु ने दरिद्रा और उसके पति ऋषि को रविवार के दिन अपने निवास स्थान पीपल में रहने के लिए स्थान दिया। तभी से यह माना जाता है कि रविवार के दिन पीपल के पेड़ पर दरिद्रा यानी अलक्ष्मी का वास होता है। रविवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से अलक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में दरिद्रता आती है। इसलिए रविवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा नहीं करनी चाहिए।

FAQs

पीपल की पूजा कौन से दिन नहीं करनी चाहिए?
पीपल की पूजा रविवार (Sunday) के दिन नहीं करनी चाहिए।

पीपल के पेड़ में जल कब नहीं चढ़ाना चाहिए?
सूर्योदय से पहले, सूर्योदय के बाद और रविवार के दिन जल नहीं चढ़ाना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज के इस लेख में हमने आपको पीपल की पूजा कब नहीं करनी चाहिए / पीपल की पूजा किस दिन नहीं करनी चाहिए के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख पीपल की पूजा कब नहीं करनी चाहिए (Pipal Ki Puja Kab Nahi Karni Chahiye) अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।

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