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एक जिले में कितने एसडीएम होते हैं और एसडीएम कैसे बने?

एक जिले में कितने एसडीएम होते हैं – सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM), जो एक सब डिविजन का मुख्य अधिकारी होता है। एसडीएम एक प्रशासनिक अधिकारी होता है, जो देश की सरकारी संरचना के आधार पर जिला स्तर से नीचे होता है।

एसडीएम आमतौर पर एक पीसीएस रैंकिंग अधिकारी होता है। प्रत्येक जिले को तहसील में विभाजित किया गया है, जिसे कर निरीक्षक, कलेक्टर मजिस्ट्रेट द्वारा अधिकार दिया जाता है। एसडीएम एक उप-विभाग (तहसील) का प्रभारी होता है।

लेकिन क्या आप जानते है एक जिले में कितने एसडीएम होते हैं और एक तहसील में कितने एसडीएम होते हैं? अगर नहीं तो आज के इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़े। तो आइये जानते है –

एक जिले में कितने एसडीएम होते हैं (Ek Jile Mein Kitne SDM Hote Hain)

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एक जिले में कितने एसडीएम अधिकारी हो सकते हैं यह इस बात इस पर निर्भर करता है कि वह जिला कितना बड़ा है। जिला जितना बड़ा होगा, उसमें उतने अधिक सबडिवीज़न और उन्हें संभालने के लिए उतने ही अधिक एसडीएम अधिकारी हो सकते है।

बता दे की किसी जिले में एसडीएम अधिकारियों की संख्या निश्चित नहीं है, आमतौर पर जिले में एक से अधिक एसडीएम होते हैं। किसी जिले में एक से अधिक (10 से 15) एसडीएम हो सकते हैं। दरअसल, किसी जिले में जितनी तहसीलों की संख्या है, उतनी ही संख्या में एसडीएम अधिकारी भी हो सकते हैं।

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किसी भी एक जिले में कई अलग-अलग तहसीलें होती हैं। इसे ब्लॉक (प्रखंड) के नाम से जानते हैं। अब जिले के कई ब्लॉकों को मिलाकर एक सबडिवीज़न (उपखंड) बनाया जाता है। इस उपखंड का प्रभारी एक अधिकारी होता है, जिसे एसडीएम के नाम से जानते हैं। यह जिले में डीएम से नीचे का पद है।

एसडीएम का पूरा नाम सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (Sub Divisional Magistrate) होता है। जिस तरह एक जिला मजिस्ट्रेट पूरे जिले की निगरानी के लिए जिम्मेदार होता है, उसी तरह एक उपखंड की निगरानी के लिए एसडीएम यानी सब डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट जिम्मेदार होता है। जिसमें उसे राज्य के अपने सब डिवीजन के तहत भूमि रिकॉर्ड के सभी विवरण, भूमि का सीमांकन आदि का ध्यान रखना होता है।

एसडीएम कई अन्य कार्यों के लिए भी जिम्मेदार होता है, वह नागरिकों के लिए आवश्यक प्रमाण पत्र भी जारी करता है।

एसडीएम कैसे बने (SDM Kaise Bane)

एसडीएम दो तरीके से बन सकते हैं – पहला यूपीएससी के माध्यम से और दूसरा स्टेट पीसीएस के माध्यम से।

1) यूपीएससी (UPSC)

सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र इस बात से वाकिफ हैं। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों को उनकी श्रेणी और रैंक के अनुसार विभिन्न पदों पर नियुक्ति मिलती है।

यूपीएससी के टॉप रैंकर्स को आईएएस में नियुक्ति मिलती है और उन्हें डीएम जैसे पदों पर नियुक्त किया जाता है। एसडीएम, डीएम से नीचे का पद है, इसलिए जिन छात्रों की रैंक थोड़ी ऊंची होती है उन्हें एसडीएम का पद मिलता है।

2) पीसीएस (PCS)

आप स्टेट पीसीएस पास करके एसडीएम अधिकारी बन सकते हैं। स्टेट पीसीएस में एसडीएम सबसे सर्वोच्च पद होता है, इसलिए राज्य पीसीएस में टॉप करने वाले छात्रों को एसडीएम के पद पर नियुक्ति मिलती है।

यूपीएससी पास करने के बाद जो छात्र एसडीएम बनते हैं, उन्हें दो साल के भीतर ही एडीएम और फिर डीएम के पद पर प्रमोट कर दिया जाता है।

वहीं अगर आप स्टेट पीसीएस पास करके एसडीएम बन जाते हैं तो आपके प्रमोशन में कुछ देरी होती है, कुछ साल काम करने के बाद आप एडीएम और डीएम के पद पर पहुंच जाते हैं।

एसडीएम के मुख्य कार्य –

एसडीएम का सबसे महत्वपूर्ण कार्य राज्य के भूमि रिकॉर्ड के सभी विवरणों की देख-रेख करना है।

एसडीएम का दूसरा प्रमुख कार्य जिले के नागरिकों को आवश्यक प्रमाण पत्र जारी करना है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़ा वर्ग को वैधानिक प्रमाण पत्र जारी करने का कार्य भी एसडीएम द्वारा किया जाता है।

एसडीएम का सबसे महत्वपूर्ण कार्य संभागीय क्षेत्र में चुनावों को सफलतापूर्वक आयोजित करना है, इसके अलावा एसडीएम चुनाव संबंधी सभी कार्यों को संभालते हैं।

एसडीएम के महत्वपूर्ण कार्यों में से एक मजिस्ट्रेट से संबंधित कार्य होते हैं, जिन्हें संभालने की पूरी जिम्मेदारी एसडीएम की होती है।

एसडीएम का एक मुख्य कार्य जिले की सभी जमीनों का दस्तावेजीकरण करना होता है और उन जमीनों का हिसाब-किताब भी एसडीएम के अंतर्गत आता है।

एसडीएम के सभी महत्वपूर्ण और जिम्मेदार कार्यों में से, अनुविभागीय क्षेत्र के अंतर्गत होने वाले सभी विवाहों का पंजीकरण करने का कार्य भी एसडीएम द्वारा किया जाता है। क्योंकि विवाह पंजीकरण एक निश्चित समय सीमा के अंदर कराना जरूरी है।

एसडीएम के मुख्य कार्यों में से एक राजस्व संबंधी कार्यों की जिम्मेदारी भी एसडीएम के कंधों पर होती है।

तहसीलदार, एसडीएम के अधीन आता है, ऐसे में तहसीलदार कोई भी राजस्व संबंधी कार्य एसडीएम से पूछे बिना नहीं कर सकता, तहसील को एसडीएम के दिशानिर्देशों का पालन करना होता है।

जिले में होने वाली अवैध गतिविधियों पर नजर रखने और उन्हें रोकने का काम भी एसडीएम ही करते हैं। जितने भी अवैध कार्य हो रहे हैं उन्हें तुरंत रोकने और उन्हें जेल भेजने में एसडीएम की बड़ी भूमिका होती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज के इस लेख में हमने आपको एक जिले में कितने एसडीएम होते हैं आदि के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख एक जिले में कितने एसडीएम होते हैं (Ek Jile Mein Kitne SDM Hote Hain) अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।

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