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जन्माष्टमी व्रत में पानी कब पीना चाहिए, जन्माष्टमी के व्रत में पानी पी सकते हैं या नहीं

जन्माष्टमी व्रत में पानी कब पीना चाहिए – हिंदू धर्म में जन्माष्टमी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत एक हजार एकादशियों के व्रत के बराबर है। आपको बता दें कि इस दिन कृष्ण भक्त पूजा-अर्चना के साथ-साथ पूरे दिन व्रत रखते हैं और रात 12 बजे भगवान के जन्म के बाद व्रत पारण हैं। लेकिन

जन्माष्टमी व्रत को लेकर कुछ नियमो का पालन करना होता है, जिनमे से एक है जन्माष्टमी व्रत में पानी कब पीना चाहिए, जन्माष्टमी व्रत में पानी पीना चाहिए या नहीं। इस बात को लेकर लोग असमंजस  में पड़ जाते हैं। तो आइए आज हम आपको इस दिन पानी कब पीना चाहिए –

जन्माष्टमी व्रत में पानी कब पीना चाहिए (Janmashtami Vrat Me Pani Kab Peena Chahiye)

जन्माष्टमी व्रत में पुरे दिन पानी पी सकते है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जन्माष्टमी के दिन पूरे दिन जल ग्रहण किया जा सकता है, इसे लेकर किसी भी प्रकार की कोई मनाही नहीं है। लेकिन सूर्यास्त के बाद से भगवान कृष्ण के जन्म के समय तक जल ग्रहण करना वर्जित है। दरअसल, भगवान कृष्ण का जन्म रात में हुआ था और उनकी पूजा की तैयारियां सूर्यास्त के बाद शुरू की जाती हैं। इस दौरान उनके जन्म तक पानी का सेवन करना वर्जित माना जाता है। इसलिए इस दौरान पानी नहीं पीना चाहिए।

जन्माष्टमी व्रत के नियम (Janmashtami Vrat Ke Niyam Hindi Me)

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जन्माष्टमी के दिन सात्विक भोजन के साथ-साथ सात्विक विचार भी रखना चाहिए। विशेषकर व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरे दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए।

भूलकर भी किसी स्त्री या गरीब व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए।

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कोशिश करें कि जन्माष्टमी के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान दें। इस दिन दान-पुण्य करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और लोगों पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है।

इस दिन लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है और उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। जन्म के बाद उन्हें सजाने और झुलाने की भी परंपरा है। इसलिए घर के सभी सदस्यों को लड्डू गोपाल को झूला झुलाना चाहिए।

ध्यान रखें कि जन्माष्टमी व्रत के दौरान शाम को पूजा से पहले स्नान कर लें और उसके बाद ही पूजा की तैयारी शुरू करें।

जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराया जाता है। इसके बाद उन्हें नए कपड़े पहनाकर तैयार किया जाता है। पूजा के बाद सबसे पहले पंचामृत प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।

जन्माष्टमी व्रत का महत्व 

इस दिन लोग बाल गोपाल के जन्मदिन पर व्रत रखते हैं। हिंदू धर्म में जन्माष्टमी व्रत का भी बहुत महत्व है। इस दिन लहसुन, प्याज, बैंगन, मूली आदि तामसिक भोजन का त्याग करना चाहिए और सात्विक भोजन करके ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। जन्माष्टमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करके साफ कपड़े पहनना चाहिए और जन्माष्टमी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

पूरे दिन फल खाएं और रात 12 बजे भगवान के जन्म के बाद व्रत खोलें। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूरे दिन जल ग्रहण करने की अनुमति होती है, लेकिन सूर्यास्त के बाद भगवान के जन्म के समय तक जल ग्रहण करना वर्जित होता है।

जन्माष्टमी पूजा विधि 

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूजा करने से पहले भगवान श्री कृष्ण का पूरा श्रृंगार किया जाता है। उन्हें झूले में बिठाया जाता है, उनका श्रृंगार करने के बाद अक्षत और रोली का तिलक लगाएं। भगवान कृष्ण को वैजयंती के फूल चढ़ाना सबसे शुभ माना जाता है।श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री और पंचामृत का भोग अवश्य लगाएं। कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा करते समय कृष्ण के विशेष मंत्रों का जाप जरूर करें। पूजा के बाद भगवान श्री कृष्ण को लगाया गया भोजन प्रसाद के रूप में सभी को देना चाहिए।

FAQs 

जन्माष्टमी के व्रत में पानी पी सकते हैं या नहीं
जन्माष्टमी के व्रत में पानी पी सकते हैं।

क्या जन्माष्टमी व्रत में पानी पी सकते हैं?
हाँ, जन्माष्टमी व्रत में पानी पी सकते हैं,  लेकिन सूर्यास्त के बाद से भगवान कृष्ण के जन्म के समय तक जल ग्रहण करना वर्जित है।

जन्माष्टमी का व्रत कितने बजे खुलता है?
जन्माष्टमी का व्रत रात में 12 बजे श्री कृष्ण जन्म के बाद खुलता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज के इस लेख में हमने आपको जन्माष्टमी व्रत में पानी कब पीना चाहिए, जन्माष्टमी के व्रत में पानी पी सकते हैं या नहीं के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख जन्माष्टमी व्रत में पानी कब पीना चाहिए (Janmashtami Vrat Me Pani Kab Peena Chahiye) अच्छा लगा है तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।

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