पितृ दोष की पूजा कहां पर होती है, पितृ दोष की पूजा कब करनी चाहिए?

पितृ दोष की पूजा कहां पर होती है – हिंदू धर्म में मौजूद ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य की कुंडली में पाए जाने वाले कई दोषों के बारे में बताया गया है। इन दोषों के साथ-साथ उनका समाधान भी दिया गया है, जैसे मांगलिक दोष, पितृ दोष, कालसर्प दोष, नाड़ी दोष आदि। लेकिन आज हम बात करने वाले है पितृ दोष के बारे में।

हर किसी का जीवन पितरों से भी प्रभावित होता है। मनुष्य के जीवन में पितर बहुत गहरा प्रभाव डालते हैं, इन्हें खुश करने के लिए लोग हर संभव कोशिश करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कहा जाता है कि अगर पितर खुश नहीं हैं तो वो आपको भी खुश नहीं रहने देते। ऐसे में पितरों को प्रसन्न करना बहुत जरूरी है, अन्यथा इससे घर की सुख-शांति प्रभावित होती है, साथ ही बनते काम भी बिगड़ने लगते हैं।

ऐसे में पितृ दोष को खत्म करना बहुत जरूरी हो जाता है। इसे ख़त्म करने के लिए पितृ दोष की पूजा की जाती है। यह पूजा अमावस्या या पितृ पक्ष में कभी भी की जा सकती है। इसके बाद व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है।

आज के इस लेख में हम आपको पितृ दोष की पूजा कहां पर होती है, पितृ दोष की पूजा कब करनी चाहिए के बारे में जानकारी देने वाले है, तो आइये जानते है –

पितृ दोष की पूजा कहां पर होती है (Pitra Dosh Ki Puja Kahan Par Hoti Hai)

पितृ दोष को जड़ से खत्म करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं जिनमें पूजा-पाठ प्रमुख है। अगर किसी को पितृ दोष है तो इसका मतलब है कि उसके पूर्वज उससे नाराज हैं और इस दोष को दूर करने के लिए उसे पितृ दोष निवारण पूजा करवानी होगी। यह पूजा किसी पवित्र नदी के तट पर, पीपल के पेड़ के नीचे की जाती है। यह पूजा लोग विशेष रूप से त्र्यंबकेश्वर और उज्जैन में करवाते हैं।

पितृ दोष की पूजा कब करनी चाहिए (Pitra Dosh Ki Puja Kab Karni Chahiye)

अगर यह पूजा अमावस्या के दिन की जाए तो इसका विशेष लाभ मिलता है। इसके साथ ही पितृ पक्ष के दौरान किसी भी समय पितृ दोष निवारण पूजा की जा सकती है। यह पूजा मुख्य रूप से दोपहर के समय की जानी चाहिए, तभी व्यक्ति पितृ दोष से मुक्त होगा।

पितृ दोष निवारन मंत्र (Pitra Dosh Nivaran Mantra)

“ओम श्रीम् सर्व पितृ दोषो निवारनाय कालेशं हं सुख शांतिं देहि चरण स्वाहा” इस मन्त्र का जाप 16 बार करना होता है।

इस मंत्र के जाप के अलावा दान करने, बड़ों का सम्मान करने, समय पर पितरों का श्राद्ध करने से इस दोष का प्रभाव कम होता है।

पितृ दोष के परिणाम (Pitra Dosh Ke Parinaam)

  • पितृ दोष के कारण जन्म से ही मानसिक या शारीरिक अंगों का विकास ठीक से नहीं हो पाता है।
  • बचपन में शरीर में अनेक रोग और व्याधियाँ व्याप्त हो जाती हैं।
  • कौमार्य में पढ़ाई में रुचि नहीं रहती या पढ़ाई में बार-बार बदलाव होता रहता है।
  • किशोरावस्था में लत लग जाती है। बीच में पढ़ाई अधूरी रह जाती है।
  • वयस्कता में नौकरी, व्यवसाय और विवाह में स्थिरता नहीं रहती है।
  • नौकरी में परिवर्तन, पदोन्नति न मिलना, व्यापार में घाटा, विवाह होने में परेशानी।
  • शादी के बाद पति-पत्नी के रिश्ते में तनाव, विवाद और झगड़ा रहता है।
  • महिलाओं को गर्भधारण में समस्या होती है या गर्भपात होने का खतरा रहता है।
  • पितृ दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में सफलता नहीं मिलती, धन की कमी, कर्ज में डूबना, ऐसी कई परेशानियां आती हैं।
  • पितृ दोष के कारण हमारे पूर्वज सपने में आकर हमसे भोजन या वस्त्र मांगते हैं।
  • पितृ दोष के कारण सपने में सांप दिखाई देता है, जो हमारा पीछा करता है।

पितृ दोष की शांति के उपाय (Pitra Dosh Shanti Ke Upay)

1) पितृ दोष निवारण पूजा के लिए सोमवती अमावस्या का दिन सबसे अच्छा माना जाता है। इस दिन पितृ पूजा करने से पितृ दोष दूर हो जाता है।

2) पितृ दोष निवारण पूजा अमावस्या तिथि या पितृ पक्ष के दौरान किसी भी दिन की जा सकती है। इस पूजा के लिए दोपहर का समय सर्वोत्तम है।

3) पितृ पक्ष में पितरों की शांति के लिए प्रतिदिन पितरों को जल, जौ और काले तिल और फूल अर्पित करने से पितृ दोष दूर होता है।

4) यदि पूर्वजों की मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध करना चाहिए, जिसके प्रभाव से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

5) सर्व पितृ अमावस्या और प्रत्येक अमावस्या के दिन 13 ब्राह्मणों को भोजन कराएं और इच्छानुसार दक्षिणा देकर आशीर्वाद लेने से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।

6) पितृ पक्ष में कौओं को भोजन कराने से पितृ दोष में राहत मिलती है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज कौवे का रूप धारण करके पृथ्वी पर अपने परिवार के वंशजों के पास भोजन लेने जाते हैं।

7) पितृ पक्ष में गाय की सेवा करने से पितरों को शांति मिलती है और गाय को भोजन कराने से विशेष लाभ मिलता है।

8) 21 सोमवार तक महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से पितृ दोष का प्रभाव कम हो जाता है।

9) इष्टदेव और कुलदेवता की पूजा के साथ-साथ प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से भी पितृ दोष के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।

10) लगातार 108 दिनों तक पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करें और पितरों को याद कर उनसे आशीर्वाद लें।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज के इस लेख में हमने आपको पितृ दोष की पूजा कहां पर होती है, पितृ दोष की पूजा कब करनी चाहिए के साथ साथ पितृ दोष के परिणाम, पितृ दोष निवारन मंत्र और पितृ दोष की शांति के उपाय के बारे में जानकारी दी है। हमे उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा, अगर आपको यह लेख पितृ दोष की पूजा कहां पर होती है, पितृ दोष की पूजा कब करनी चाहिए अच्छा लगा है, तो इसे अपनों के साथ भी शेयर करे।

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