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शतरंज क्या है, शतरंज कैसे खेला जाता है, शतरंज के नियम क्या है हिंदी में – Shatranj Ke Niyam

What Is Chess In Hindi: शतरंज को एक बेहतरीन खेल माना जाता है। दिमाग और अच्छे निर्णय से ही इस खेल को जीता जा सकता है। सही मायनों में इसे खेलने वाले खिलाड़ियों के दिमाग की काफी कसरत हो जाती है। शतरंज पूरी दुनिया में मशहूर है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस खेल का जनक कोई और नहीं बल्कि भारत है।

इस लेख के माध्यम से हम आपको शतरंज क्या है, शतरंज का इतिहास क्या है, शतरंज कैसे खेला जाता है, शतरंज के नियम क्या है हिंदी में बताएँगे। तो आइये जानते है (Chess Rules In Hindi) –

शतरंज क्या है (Shatranj Kya Hai In Hindi)

शतरंज एक दिमागी खेल है, जिसे खेलने से मानसिक व्यायाम होता है। शतरंज, जिसे चेस के नाम से भी जाना जाता है, बहुत पुराना खेल है। इस खेल को चेसबोर्ड में 2 लोग खेलते हैं, जिसे समझने के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है।

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शतरंज एक एक इनडोर गेम है जो एक चौपाट/बोर्ड पर दो व्यक्तियों के बीच खेला जाने वाला एक दिलचस्प खेल है। शतरंज बोर्ड पर 64 सेल बने होते हैं, जिसमें 32 सेल सफेद और 32 सेल ब्लैक कलर के होते हैं। बोर्ड पर खेलने के लिए 32 मोहरे होती हैं। प्रत्येक खिलाड़ी के पास 1 राजा, 1 रानी/वज़ीर, 2 हाथी, 2 ऊँट, 2 घोड़े, 8 प्यादे या सैनिक समेत सोलह मोहरे होती हैं।

इस खेल में प्रत्येक मोहरे की अपनी सीमित शक्तियाँ होती हैं या यूँ कहें कि प्रत्येक मोहरे को चलाने के कुछ नियम होते हैं। दोनों खिलाड़ियों का लक्ष्य अपने स्वयं के राजा का बचाव करना और एक दूसरे के राजा को मारना या मात देना होता है। जिस विरोधी के पास राजा की रक्षा करने के लिए कोई चाल नहीं रह जाती, वह हार जाता है।

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शतरंज खेलने से मानसिक व्यायाम होता है। यह एक ऐसा इनडोर गेम है जिसे कोई भी किसी भी उम्र में खेल सकता है और आनंद ले सकता है। यह खेल प्राचीन काल से खेला जाता आ रहा है।

शतरंज कैसे खेला जाता है (Shatranj Kaise Khela Jata Hai)

शतरंज का खेल शतरंज की बिसात पर मोहरों को रखकर शुरू होता है, शतरंज की बिसात पर रखते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि दोनों खिलाड़ियों के दाहिनी ओर का अंतिम खाना सफेद होना चाहिए। शतरंज के खेल में 32 गोटियाँ होती हैं जिनमें 16 गोटियाँ सफेद और 16 गोटियाँ काली होती हैं। 16-16 के विभाजन में, गोटियाँ को दो खिलाड़ियों के बीच नियमों के अनुसार विभाजित किया जाता है और शतरंज बोर्ड पर रखा जाता है।

शतरंज की बिसात पर गोटियाँ ऐसे ही नहीं चली जा सकती, गोटियों को चलाने के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं, जिनका पालन दोनों शतरंज खिलाड़ी करते हैं।नियमों के अनुसार जिस खाने में पहले से ही एक मोहरा हो उस पर आप किसी अन्य मोहरे को नहीं चला सकते, यदि वह शत्रु का मोहरा है तो आप उस मोहरे को मार सकते हैं। प्रत्येक मोहरे की अपनी विशेष शक्तियाँ होती हैं जिसके अनुसार वह आगे बढ़ता है।

शतरंज के नियम (Chess Rules In Hindi)

कैसलिंग – यह एक विशेष नियम है। इसमें आप एक साथ 2 काम कर सकते हैं, आप राजा को बचा सकते हैं, साथ ही आप हाथी को कोने से हटाकर बीच खेल में ला सकते हैं। इसमें खिलाड़ी अपने राजा को एक वर्ग के स्थान पर 2 वर्ग आगे बढ़ा सकता है, साथ ही हाथी को राजा के बगल में रख सकता है। कैसलिंग के लिए इन बातों का होना जरूरी है-

कैसलिंग राजा द्वारा केवल एक बार की जा सकती है। यह राजा की पहली चाल होनी चाहिए। यह हाथी की पहली चाल होनी चाहिए। राजा और हाथी के बीच कोई मोहरा नहीं होना चाहिए। राजा पर कोई शह या मात नहीं होनी चाहिए।

शह या मात – जब राजा को चारों ओर से रोक लिया जाता है और राजा उससे बच नहीं सकता तो उसे शह – मात कहते हैं। चेकमेट से बाहर निकलने के उपाय-

राजा को उस स्थान से हटाए, चेक के बीच में एक और मोहरा ले आये, उस मोहरे को मार डाले।

यदि राजा चेकमेट से बच नहीं पाता है, तो खेल वहीं समाप्त हो जाता है।

टाई (ड्रा) – यदि खेल में कोई विजेता नहीं होता है, तो उस स्थिति में खेल ड्रॉ हो जाता है। ड्रा बनने के पांच कारण हो सकते हैं।

दोनों खिलाड़ी राजी हो जाते हैं और खेल को बंद कर दें।

यदि शह और मात के लिए बोर्ड पर कोई गोटियाँ नहीं बची हो।

खिलाड़ी, ड्रॉ कॉल कर सकता है जब एक ही स्थिति लगातार तीन बार बनती हो।

यदि कोई खिलाड़ी चाल चलता है, लेकिन उसके राजा को शह, मात नहीं है, लेकिन फिर भी उसके पास और चाल चलने के लिए जगह नहीं है।

शतरंज के मोहरों के बारे में (About Chess Pieces In Hindi)

राजा – इस खेल में राजा की सबसे बड़ी भूमिका होती है। राजा सिर्फ एक साधारण मोहरा नहीं है बल्कि पूरे खेल की जान है। यदि आप अपने राजा को बचाने में असमर्थ हैं तो आप गेम हार जाते हैं। राजा की विशेषता यह है कि वह किसी भी दिशा में आगे, पीछे, दाएं/बाएं केवल एक कदम (खाना/वर्ग ) चलता है और कैसलिंग नियम के तहत एक विशेष चाल भी चलता है।

रानी/बजीर – शतरंज में सबसे शक्तिशाली मोहरा रानी होती है, जिसे बजीर भी कहा जाता है। रानी/बजीर के मरने के बाद खेल को जीतना बहुत मुश्किल हो जाता है। रानी की चाल की बात करें तो इसमें मोहरों की सारी शक्तियां होती हैं, यानी रानी किसी भी दिशा में कितनी भी कदम/वर्ग/खाने आगे, पीछे, दाएं/बाएं, तिरछे चल सकती हैं।

हाथी – शतरंज के खेल में, हाथी का मोहरा भी महत्वपूर्ण होता है, हाथी किसी भी दिशा में आगे, पीछे, खड़ा, आडा कितने भी वर्ग चला सकता है। लेकिन हाथी की कमजोरी यह है कि उसे तिरछा नहीं चलाया जा सकता है।

ऊंट – इस खेल में ऊंट की अहम भूमिका होती है, दोनों प्रतियोगियों के पास 2-2 ऊंट होते हैं। ऊँट अपने ही रंग के वर्ग में चल सकता है यानी काला ऊँट काले वर्ग में और सफ़ेद ऊँट सफ़ेद वर्ग में। ऊँट किसी भी दिशा में कितने ही कदम क्यों न चल ले, तिरछा ही चलता है।

घोडा – इस खेल में घोड़ा भी बहुत खास होता है क्योंकि वह बाकी गोटियों की तरह नहीं चलता बल्कि गोटियों के ऊपर से घोड़ा चल सकता है। या आप कह सकते हैं कि यही एकमात्र मोहरा है जो बाकी मोहरो के ऊपर से कूद कर चल सकता है। इसकी चाल “L” के आकार में होती है।

प्यादा या सैनिक – शतरंज के इस युद्ध में प्यादा सबसे कमजोर मोहरा होता है। लेकिन इसकी कुछ खासियत भी है जो इसे अन्य मोहरो से थोड़ा अलग बनाती है। दोनों खिलाड़ियों के पास 8-8 प्यादे होते हैं। प्यादा केवल शुरुआत में 2 वर्ग चलता है। जबकि बाकी चालों में केवल एक ही कदम उठाया जाता है। प्यादे को कभी भी पीछे नहीं ले जाया जा सकता। और प्यादा तिरछे चल सकता है और प्रतिबंध के मोहरे को मार सकता है। प्यादे की एक विशेष चाल होती है जिसमें यदि वह आगे बढ़ते हुए प्रतिबंध के अंतिम वर्ग तक पहुँच जाता है तो आप उसे किसी भी मोहरे में बदल सकते हैं।

शतरंज का इतिहास (Chess History In Hindi)

भारत में जब शतरंज के खेल की शुरुआत हुई थी तो उसका यह नाम नहीं था। उस समय इसे ‘चतुरंग’ के नाम से जाना जाता था। लेकिन समय के साथ इसका नाम बदला और वर्तमान में इसे हिंदी में ‘शतरंज’ कहा जाता है। हालांकि पूरी दुनिया में इसे ‘चेस’ के नाम से जाना जाता है। भारत से ईरान होते हुए विश्व में फैलने के बाद यूरोपीय देशों द्वारा इसे चेस नाम दिया गया है।

शतरंज के खेल की उत्पत्ति के संबंध में इसकी प्राचीनता महाभारत के समय से भी जुड़ी हुई है। यद्यपि यह गुप्त काल में अधिक प्रचलित था। इतना ही नहीं, ऐसे और भी कई खेलों की उत्पत्ति प्राचीन काल में भारत में ही हुई थी। शतरंज खेल के रूप में विश्व को भारत की ओर से एक महान उपहार है।

शतरंज का राजा और सेना से संबंध – शतरंज एक प्रकार का युद्ध खेल है। गौरतलब है कि उस दौर में भारत में राजा हुआ करते थे और उनमें अक्सर लड़ाई होती रहती थी। ऐसे में इस गेम के जरिए वह न सिर्फ अपना मनोरंजन करते थे बल्कि खुद को मानसिक रूप से भी मजबूत करते थे।

इसमें दो अलग-अलग पक्षों के मोहरे होते हैं जिनका मुख्य लक्ष्य एक दूसरे के पक्ष के राजा मोहरे को मारना होता है। इसे खेलने वाले व्यक्ति को मानसिक रूप से काफी सतर्क रहना पड़ता है। इस खेल की एक खास बात यह है कि इसमें रानी की मोहर बहुत शक्तिशाली होती है।

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