https://www.fapjunk.com https://fapmeister.com

Kamika Ekadashi 2023 Date: कामिका एकादशी कब है 2023, जानिए तिथि, मुहूर्त, व्रत की विधि और महत्व

Kamika Ekadashi Kab Hai 2023: सावन के महीने में हिंदू धर्म के कई महत्वपूर्ण व्रत और पर्व आते हैं। इनमें कामिका एकादशी का व्रत भी सावन के महीने में आता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार कामिका एकादशी का व्रत हर साल सावन के महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है।   धार्मिक रूप से कामिका एकादशी के दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह तिथि पूर्ण रूप से जगत के पालनहार को ही समर्पित होती है। हालांकि भगवान विष्णु इस समय निद्रासन में रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त कामिका एकादशी का व्रत सच्चे मन और विधि-विधान से करता है, उसे विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। कामिका एकादशी के दिन शंख, चक्र गदा धारण करने वाले भगवान विष्णु की भक्ति भाव से श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव और मधुसूदन आदि नामों से पूजा करनी चाहिए। भगवान कृष्ण ने कहा है कि कामिका एकादशी के दिन, जो व्यक्ति भगवान के सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाता है, उसके पुण्यों की गिनती चित्रगुप्त भी नहीं कर सकते हैं।

कामिका एकादशी कब की है 2023 (Kamika Ekadashi Kab Ki Hai 2023)

हिंदू कैलेंडर के अनुसार कामिका एकादशी का व्रत हर साल सावन के महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस बार कामिका एकादशी का व्रत 13 जुलाई 2023, गुरुवार को रखा जाएगा।

कामिका एकादशी तिथि 2023 (Kamika Ekadashi Tithi 2023)

दिन – गुरुवार, 13 जुलाई 2023
एकादशी तिथि आरम्भ – 12 जुलाई 2023 को शाम 05:59 बजे
एकादशी तिथि समाप्त – 13 जुलाई 2023 को शाम 06:24 बजे

कामिका एकादशी व्रत विधि (Kamika Ekadashi Vrat Vidhi 2023)

- Advertisement -

सुबह जल्दी उठें। स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। अब भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं। अब दीपक प्रज्जवलित उनका स्मरण करें व भगवान विष्णु की पूजा में उनकी स्तुति करें। साथ ही पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग करें और पूजा के अंत में विष्णु आरती करें। शाम को भी भगवान विष्णु के सामने दीपक जलाकर उनकी पूजा करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। द्वादशी के समय शुद्ध होकर पारन मुहूर्त के समय व्रत तोड़ें। लोगों में प्रसाद बांटें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दान और दक्षिणा दें।

कामिका एकादशी व्रत का महत्व (Kamika Ekadashi Vrat Ka Mahtav)

एकादशी का व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। भगवान विष्णु सभी कष्टों को दूर करते हैं। कामिका एकादशी का व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन तीर्थ स्थलों पर स्नान, दान-पुण्य का भी प्रावधान है। कामिका एकादशी के व्रत का फल अश्वमेध यज्ञ से प्राप्त फल के बराबर माना जाता है। कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पित्त प्रसन्न होते है। जिससे व्यक्ति के जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं। इस एकादशी पर जो लोग सावन के महीने में भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उनके द्वारा गंधर्वों और नागों की पूजा भी संपन्न हो जाती है। कामिका एकादशी की कथा सुनने मात्र से यज्ञ करने के समान फल मिलता है।

- Advertisement -

श्री कृष्ण द्वारा कामिका एकादशी का महत्व – पद्म पुराण के मुताबिक युधिष्ठिर को भगवान कृष्ण ने एकादशी तिथि का महत्व समझाया है और कहा है कि जैसे नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरुड़, देवताओं में श्री विष्णु, वृक्षों में पीपल और मनुष्यों में ब्राह्मण, उसी प्रकार एकादशी सभी व्रतों में श्रेष्ठ है। है। सभी एकादशियों में नारायण जैसे फल देने की शक्ति होती है। इस व्रत को करने के बाद किसी और पूजा की आवश्यकता नहीं होती है। इनमें से श्रावण मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी जिसका नाम ‘कामिका’ है, वाजपेय यज्ञ का फल देती है।

कामिका एकादशी व्रत कथा (Kamika Ekadashi Vrat Katha)

प्राचीन काल में एक गांव में एक ठाकुर जी रहते थे। ठाकुर जी का एक ब्राह्मण से झगड़ा हुआ और क्रोध में ठाकुर जी ने ब्राह्मण की हत्या कर दी। बाद में उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा। ठाकुर अपराध के लिए माफी माँगने के लिए ब्राह्मण का क्रिया कर्म करना चाहा। लेकिन पंडितों ने क्रिया कर्म में शामिल होने से इनकार कर दिया और वह ब्रह्म हत्या का दोषी बन गया। तब ठाकुर ने एक ऋषि से अनुरोध किया कि हे भगवान, मेरा पाप कैसे दूर हो सकता है।

इस पर ऋषि ने उन्हें कामिका एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। ठाकुर ने नियमानुसार एकादशी का व्रत किया। रात में जब वह भगवान की मूर्ति के पास सो रहे थे तभी उन्हें सपने में भगवान के दर्शन हुए। भगवान ने कहा कि मैंने तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दिया है। इस प्रकार ठाकुर ब्राह्मण को मारने के पाप से मुक्त हो गए।

एकादशी तिथि पर क्या करें (Kamika Tithi Par Kya Kare) 

  • एकादशी व्रत के दिन दान अवश्य करना चाहिए। इस दिन दान करने से कई गुना फल मिलता है। विवाह के लिए एकादशी के दिन केसर, केला या हल्दी का दान करें।
  • एकादशी के व्रत में हो सके तो गंगा स्नान करना शुभ होता है। नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर आप स्नान भी कर सकते हैं।
  • एकादशी का व्रत मनोकामना पूर्ण करने के साथ ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को भी प्रसन्न करता है। इस दिन व्रत करने से धन, मान सम्मान, अच्छा स्वास्थ्य, ज्ञान, संतान सुख, पारिवारिक सुख और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और हमारे पूर्वजों को स्वर्ग में स्थान मिलता है।
  • एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की भक्ति को दर्शाता है। एकादशी के दिन भोजन और व्यवहार में संयम और सात्विकता का पालन करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन पति-पत्नी को संयम से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, इसलिए इस दिन शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।

एकादशी तिथि पर क्या न करें (Kamika Tithi Par Kya N Kare) 

धार्मिक शास्त्रों में सभी 24 एकादशियों को चावल खाना वर्जित बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेता है इसलिए इस दिन चावल का सेवन न करे ।

सभी तिथियों में एकादशी की तिथि बहुत ही शुभ मानी जाती है। एकादशी का लाभ पाने के लिए इस दिन कठोर वचन नहीं बोलना चाहिए। झगड़ों से बचना चाहिए।

एकादशी का दिन भगवान की पूजा का दिन है, इसलिए इस दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और शाम को भी नहीं सोना चाहिए। इसके अलावा इस दिन न तो क्रोध करना चाहिए और न ही झूठ बोलना चाहिए।

कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु को ऐसे करें प्रसन्न

 क्षीरसागर में शेषनाग शय्या पर निवास करने वाले, कमल, शंख, चक्र गदा धारण करने वाले भगवान विष्णु की श्री नारायण, श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव और मधुसूदन आदि नामों से श्रद्धापूर्वक पूजा करनी चाहिए। इस एकादशी व्रत का पालन दशमी से ही शुरू हो जाता है। इस दिन से ही व्रत रखने वाले व्यक्ति को सात्विक भोजन करना चाहिए और अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि कामिका एकादशी के दिन जो व्यक्ति भगवान के सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाता है, उसके पुण्यो की गणना चित्रगुप्त भी नहीं कर पाते हैं। एकादशी के दिन सुबह स्नान करके धूप, दीपक, फल, फूल और नैवेद्य से भगवान विष्णु की पूजा करने से बहुत अच्छा फल मिलता है।

पूजा में तुलसी के पत्ते चढ़ाएं। लाल रत्न, मोती, मूंगा आदि अमूल्य रत्नों से पूजित होकर भी भगवान विष्णु वैसे संतुष्ट नहीं होते हैं जैसे तुलसीदल से पूजित होने पर होते हैं। श्री केशव की पूजा तुलसी की मंजरी से करने से प्राणी के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। जितना हो सके भगवान विष्णु के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें और शुभ फल पाने के लिए इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। शास्त्रों के अनुसार कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) का व्रत करने वाला व्यक्ति रात में जागरण करके न तो यमराज का दर्शन होता है और न ही उसे कभी नर्क में जाना पड़ता है। व्रत करने वाले व्यक्ति को एकादशी की कथा पढ़ना या सुनना चाहिए।

कामिका एकादशी का व्रत देता है पुण्य

कामिका एकादशी के व्रत से वही पुण्य मिलता है जो पूरी पृथ्वी का दान करने से प्राप्त होता है। इस दिन श्री हरि की पूजा करने से जो फल मिलता है वह गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर क्षेत्र में भी नहीं मिलता है। जो ब्यायी हुई गाय को अन्यान्य सामग्रियों सहित दान करता है। उस मनुष्य को जिस फल की प्राप्ति होती है। वही कामिका एकादशी का व्रत करने वाले को फल प्राप्त होता है। जो व्यक्ति शिव के प्रिय श्रावण मास में भगवान श्रीधर की पूजा करता है, उसके माध्यम से गंधर्वों और नागों सहित सभी देवताओं की पूजा हो जाती है। यह एकादशी स्वर्ग और महान पुण्य देने वाली है। जो व्यक्ति श्रद्धा से इसकी महिमा को सुनता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है और श्री विष्णु लोक में जाता है।

कामिका एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी बुरे कार्य समाप्त हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी देवताओं, गंधर्वों और नागों की पूजा की जाती है। कामिका एकादशी का व्रत करना यज्ञ करने के समान है।

पौराणिक कथा के अनुसार यह व्रत भगवान कृष्ण और युधिष्ठिर के बीच हुई बातचीत से जुड़ा है। जिसमें ब्रह्मा ने स्वयं नारदजी को कामिका एकादशी की महिमा के बारे में बताया था।

ब्रह्मा जी नारदजी से कहते हैं कि गंगा, काशी और पुष्कर में स्नान करने से जो फल मिलता है वह भगवान विष्णु की पूजा से प्राप्त होता है।

सावन मास की कृष्ण एकादशी बहुत ही विशेष और चमत्कारी एकादशी है क्योंकि इस एकादशी को करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। मान्यता के अनुसार इस व्रत में साफ-सफाई का विशेष महत्व है। जो व्यक्ति व्रत का पालन कर रहा है उसे सुबह स्नान करना चाहिए और फिर भगवान विष्णु की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए। पंचामृत से स्नान करने से पहले मूर्ति को शुद्ध गंगा जल से स्नान कराना चाहिए।

कामिका एकादशी व्रत के फल

कामिका एकादशी के व्रत से वही पुण्य मिलता है जो पूरी पृथ्वी का दान करने से प्राप्त होता है। इस दिन श्री हरि की पूजा करने से जो फल मिलता है वह गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर क्षेत्रों में भी नहीं मिलता है। जो व्यक्ति ब्याही हुई गाय को अन्य सामग्री सहित दान करता है, उसे वही फल मिलता है। जो कामिका एकादशी का व्रत करने वाले को फल प्राप्त होता है। जो व्यक्ति शिव के प्रिय श्रावण मास में भगवान श्रीधर की पूजा करता है। उसके द्वारा गंधर्वों और नागों सहित सम्पूर्ण देवताओं की पूजा हो जाती है। यह एकादशी स्वर्ग और महान पुण्य देने वाली है। जो व्यक्ति श्रद्धा से इसकी महिमा को सुनता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है और श्री विष्णु लोक में जाता है।

कामदा एकादशी उपाय (Kamika Ekadashi Upay)

कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें। ऐसा माना जाता है कि इस दिन जगत के पालनहार भगवान की पूजा करने से लोगों को सभी प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा में उन्हें पीले फूल चढ़ाने चाहिए। हो सके तो उन्हें गेंदा या केवड़ा का फूल चढ़ाएं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से जातक को जीवन में काफी तरक्की मिलती है।

कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को खरबूजा, आम, तिल, दूध और पेड़ा चढ़ाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु को उपरोक्त चीजें अर्पित करने से भगवान विष्णु सफलता का आशीर्वाद देते हैं।

काम-व्यापार और नौकरी में सफलता पाने के लिए कामदा एकादशी के दिन पूजा के समय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। यह उपाय काफी कारगर माना जाता है।

कामदा एकादशी के दिन पीले रंग का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए इस दिन ब्राह्मणों को पीला भोजन कराना चाहिए। साथ ही पीले वस्त्र, पीले रंग की मिठाई का दान करना चाहिए। ऐसा करने से जातक का भाग्य प्रबल होता है।

यदि कोई व्यक्ति विवाह के योग्य है लेकिन विवाह में देरी या विवाह संबंधी अन्य समस्याओं का सामना कर रहा है, तो उस व्यक्ति को कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को हल्दी की गांठें अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से मनोकामना पूर्ण होती है।

कामिका एकादशी के दिन भूल से भी नहीं करना चाहिए ये काम

  • एकादशी के दिन भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार एकादशी के दिन चावल खाने से मन में बेचैनी होती है जिससे मन भटकता है इसलिए चावल खाना वर्जित है।
  • एकादशी का व्रत करने पर इस दिन शराब, धूम्रपान जैसे नशीले पदार्थों से बचना चाहिए।
  • जिस दिन एकादशी का व्रत किया जाता है उस दिन क्रोध और तनाव से बचना चाहिए। क्रोध और तनाव से मन में नकारात्मक विचार आते हैं, जिससे पूजा में मन ठीक नहीं लगता।
  • एकादशी के दिन कभी भी दातुन से दांत साफ नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि एकादशी के दिन एक पेड़ की टहनियां तोड़ने से भगवान विष्णु नाराज हो जाते हैं।
  • एकादशी व्रत की रात को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए। व्रत का पुण्य लाभ अर्जित करने के लिए जमीन पर ही सोएं।
- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay in Touch

spot_img

Related Articles

You cannot copy content of this page