दिवाली कब है 2024 (Diwali Kab Hai 2024) – When Is Diwali In Hindi 2024

Diwali Kab Hai 2024: दिवाली या दीपावली एक बहुत ही पवित्र त्योहार है। दिवाली का त्यौहार पूरे भारत में और दुनिया के कई देशों में बहुत खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाता है। खासकर भारत में इसे बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

दिवाली को रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ गणपति गणेश जी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी और गणपति जी की पूजा करने से धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

दिवाली या यूं कहें कि दीपावली भारत में मनाया जाने वाला हिंदुओं का एक ऐसा त्योहार है। जिसके बारे में लगभग सभी जानते हैं। भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने पर लोगों ने घी के दीपक जलाकर भगवान श्रीराम का स्वागत किया। जिससे अमावस्या की काली रात भी जगमगा उठी। अन्धकार मिटकर प्रकाश छा गया अर्थात् अज्ञान रूपी अन्धकार मिटकर ज्ञान का प्रकाश चारों ओर फैलने लगा। इसलिए दिवाली को रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है।

दिवाली का त्यौहार जब आता है तो अपने साथ कई त्यौहार लेकर आता है। एक तरफ यह जीवन में ज्ञान का प्रकाश लाने वाला है, वहीं सुख-समृद्धि की कामना के लिए दिवाली से बड़ा कोई त्योहार नहीं है, इसलिए इस अवसर पर लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। दिवाली के साथ दीपदान, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज आदि त्योहार मनाए जाते हैं। दिवाली सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक हर दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। सभी धर्मों के लोग इसे अपने-अपने तरीके से मनाने लगे हैं। वैसे तो दीपावली जैसे त्योहारों को पूरी दुनिया में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, लेकिन भारत में खासकर हिंदुओं के बीच दिवाली के त्योहार का विशेष महत्व है।

दिवाली कब है 2024 (When Is Diwali 2024)

कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। इसलिए इस साल दीपावली का त्यौहार 1 नवंबर, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा।

दिवाली तिथि 2024 (Diwali Date 2024)

दिन – शुक्रवार, 1 नवंबर 2024
अमावस्या तिथि प्रारंभ – 31 अक्टूबर 2024 को 15:55 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – 1 नवंबर 2024 को 18:15 बजे

दिवाली महानिशीथ काल मुहूर्त 2024 (Diwali Mahanishith Kaal Muhurat 2024)

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त – कोई नहीं
अवधि – 0 घंटे 0 मिनट
महानिशीथ काल – 23:38:56 से 24:30:50 तक
सिंह काल – 24:52:58 से 27:10:38 तक

दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त 2024 (Diwali Shubh Choghadiy Muhurat 2024)

प्रातःकाल मुहूर्त्त (चल, लाभ, अमृत): 06:33:26 से 10:41:45 तक
अपराह्न मुहूर्त्त (शुभ): 12:04:32 से 13:27:18 तक
सायंकाल मुहूर्त्त (चल): 16:12:51 से 17:35:37 तक

दिवाली पूजन सामग्री (Diwali Worship Material In Hindi)

  • माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा
  • कुमुकम
  • रोली
  • सुपारी
  • नारियल
  • अक्षत (चावल)
  • अशोक या आम के पत्ते
  • हल्दी
  • दीप-धूप
  • कपूर
  • रूई
  • मिटटी के दीपक और पीतल का दीपक
  • कलावा
  • दही
  • शहद
  • गंगाजल
  • फूल
  • फल
  • गेहूं-जौ
  • दूर्वा
  • सिंदूर-चंदन
  • पंचामृत
  • बताशे
  • खील
  • लाल वस्त्र
  • चौकी
  • कमल गट्टे की माला
    कलश
  • शंख
  • थाली
  • चांदी का सिक्का
  • बैठने के लिए आसन
  • प्रसाद

दिवाली लक्ष्मी पूजा की तैयारी (Preparation For Diwali Lakshmi Puja 2024) 

सबसे पहले जानिए लक्ष्मी पूजा की तैयारी कैसे करें –

  • मां लक्ष्मी का वास स्वच्छ स्थान में होता है, इसलिए सबसे पहले सुबह उठकर घर की अच्छी तरह से सफाई करें।
  • स्नान के पश्चात घर के मंदिर में दीपक जलाएं।
  • शाम को पूजा करने से पहले गंगाजल छिड़क कर घर की शुद्धि करें।
  • इसके बाद एक चौकी रखें और चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा दें।
  • कपड़े के बीच में मुट्ठी भर गेहूं रखें और गेहूं के ऊपर जल से भरा कलश रखें।
  • अब कलश के अंदर एक सिक्का, सुपारी, गेंदा का फूल और अक्षत डालें।
  • कलश पर आम या अशोक के पांच पत्ते रखें। – अब कलश को एक छोटी प्लेट से ढक दें, जिस पर चावल रखें।
  • इसके बाद कलश के बगल में चौकी में बचे हुए स्थान पर हल्दी से चौक बनाएं और उस पर देवी लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
  • ध्यान रहे गणेश जी की मूर्ति को देवी लक्ष्मी के दाहिनी ओर रखना चाहिए।
  • इसके बाद एक थाली में हल्दी, कुमकुम और अक्षत रख दें और दीया भी जलाकर रखें।

दिवाली लक्ष्मी पूजा विधि (Diwali Laxmi Puja Vidhi)

पूजा की तैयारी के बाद अब पूजा की विधि पर आते हैं। ऐसे शुरू करें पूजन विधि-

  • तैयारी के बाद सर्वप्रथम कलश पर तिलक लगाकर पूजा आरम्भ करें।
  • इसके बाद हाथ में फूल और चावल लेकर देवी लक्ष्मी का ध्यान करें।
  • ध्यान के पश्चात भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्तियों को फूल और अक्षत चढ़ाएं।
  • अब दोनों मूर्तियों को चौकी से उठाकर एक थाली में रख दें और दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं।
  • इसके बाद साफ पानी से स्नान कराकर वापस चौकी पर विराजित कर दें ।
  • इसके बाद लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति पर टीका लगाएं। फिर लक्ष्मी गणेश जी को हार पहनाएं।
  • इसके बाद लक्ष्मी गणेश जी के सामने खीले-खिलौने, मिठाई, मीठे फल, पैसे और सोने के आभूषण रखें।
  • इसके बाद पूरा परिवार मिलकर गणेश और लक्ष्मी माता की कथा सुने और फिर देवी लक्ष्मी की आरती करे।

दिवाली पौराणिक कथा (Diwali Story In Hindi)

दिवाली को लेकर हिंदुओं में देवी लक्ष्मी की एक कथा बहुत लोकप्रिय है। एक बार कार्तिक मास की अमावस्या को लक्ष्मीजी भ्रमण पर निकली थीं, लेकिन चारों ओर अँधेरा छाया हुआ था। जब वह अपना रास्ता भूल गई, तो उन्होंने फैसला किया कि वह मृत्युलोक में रात बिताएगी और सूर्योदय के बाद बैकुंठधाम लौट जाएंगी। लेकिन उन्होंने पाया कि सभी लोग अपने घरों में दरवाजे बंद करके सो रहे थे। लेकिन इस अंधेरे में माता लक्ष्मी ने एक दरवाजा खुला देखा। जिसमें एक दीये की लौ टिमटिमा रही थी। वह उस प्रकाश की ओर बढ़ी जहाँ उसने एक बूढ़ी औरत को चरखा चलाते हुए देखा। रात्रि विश्राम की अनुमति लेकर माँ उसी झोंपड़ी में रुकी। बूढ़ी मां लक्ष्मी देवी को बिस्तर आदि देकर काम पर जुट गई। चरखा चलाते-चलाते बुढ़िया की आँखें लग गयी। अगली सुबह जब वह उठी तो देखा कि अतिथि जा चुकी है। लेकिन झोपड़ी की जगह पर एक शानदार महल खड़ा था। हर ओर धन-धान्य, रत्न-जेवरात बिखरे थे। तभी से कार्तिक अमावस्या की रात को दीप जलाने की प्रथा चल आ रही है। लोग दरवाजा खोलकर लक्ष्मीदेवी के आने का इंतजार करते हैं।

दिवाली का महत्त्व (Importance Of Diwali In Hindi)

दिवाली का त्योहार धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज तक चलता है, यह त्योहार बहुत पुराना है। यह त्योहार न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि जब भगवान राम, रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे, तो पूरे देशवासियों ने उनकी आने की खुशी में दीप जलाकर जश्न मनाया और तभी से दिवाली का त्योहार शुरू हो गया।

मान्यता के अनुसार इस दिन देवी दुर्गा ने काली का रूप धारण किया था और भगवान महावीर को भी इसी दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। और इसी दिन पांडव भी अपना वनवास और अज्ञातवास समाप्त कर वापस लौटे थे।

दीपावली ज्योतिषीय महत्व (Astrological Significance Of Diwali In Hindi)

बुराई पर अच्छाई की जीत और असत्य पर सत्य की जीत का यह त्योहार हमेशा महान धार्मिक महत्व रखता है। दीपावली या दीपावली के पर्व का जहां एक ओर धार्मिक महत्व है वहीं दूसरी ओर इस पर्व को समाज को जोड़ने वाला भी कहा जाता है। सभी व्यक्ति अपनी दुश्मनी और शिकायतों को मिटाकर एक दूसरे से मिलते हैं और हमेशा के लिए एक हो जाते हैं। आपसी भाईचारा बनाने के लिए भी दीपावली का पर्व बहुत महत्वपूर्ण है।

दिवाली का इतिहास (History Of Of Diwali In Hindi)

दीपावली के दिन अर्थात कार्तिक मास की अमावस्या के दिन देवी लक्ष्मी क्षीर सागर में प्रकट हुई थीं और इसीलिए दीपावली पूजा में देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है।

दिवाली से पहले, लोग अपने घरों की सफाई और सजावट शुरू कर देते हैं और दीपावली के अवसर पर देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

रामायण के अनुसार, भगवान राम, सीता और लक्ष्मण त्रेता युग में कार्तिक महीने की अमावस्या को श्रीलंका से अयोध्या लौटे थे और उन्हीं के भव्य स्वागत में अयोध्या वासी ने दीप जलाए और मिठाई बांटकर प्रभु श्री राम का भव्य स्वागत किया। और तभी से कार्तिक अमावस्या को दीप जलाकर और घर-घर मिठाइयां बांटकर खुशियाँ मनाई जाती है और इसी को हम दीपावली का पर्व कहते हैं।

दिवाली को क्यों देते है इतना अधिक महत्व (Why Is Diwali Given So Much Importance)

त्योहार के रूप में दिवाली या दीपावली सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। इस त्योहार ने लोगों के बीच सभी धार्मिक भेदभाव को दूर कर दिया है और सभी धर्मों के लोग इस त्योहार को अपने तरीके से मनाते हैं। यह त्योहार अलग-अलग संस्कृति के लोगों को एक साथ लाता है। पूरी दुनिया में वैसे तो दिवाली से मिलते-जुलते त्योहारों को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है, लेकिन भारत में खासकर हिंदुओं के साथ दिवाली के इस त्योहार का बहुत महत्व है।

धन की देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए यह दिन बहुत ही शुभ होता है। घर में सुख-समृद्धि और चिरस्थायी समृद्धि के लिए पूरे दिन उपवास करना चाहिए और सूर्यास्त के बाद “प्रदोष काल” के “सतिर लगन” में देवी लक्ष्मी की प्रार्थना करनी चाहिए। पूजा के लिए सही समय देना चाहिए। जिस स्थान पर पूजा की जा रही हो उसके अनुसार देवी के स्वागत के लिए पूरे घर की साफ-सफाई करनी चाहिए।

दीपावली के दिन यदि घर में लक्ष्मी जी की पूजा के साथ-साथ कुबेर जी की पूजा की जाए तो यह बहुत ही लाभकारी होता है। कुबेर जी धन के देवता और धन के रक्षक हैं। इसलिए दीपावली के दिन घर में ही कुबेर जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

दिवाली के दिन यदि घर में छिपकली दिखाई दे या घर के बाहर उल्लू दिखाई दे तो यह भी बहुत शुभ माना जाता है। जहां उल्लू लक्ष्मी जी का वाहन है। दिवाली के दिन घर की सफाई करके और अंत में भगवान राम की पूजा करके भगवान गणेश और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और भगवान से प्रार्थना की जाती है कि घर लक्ष्मी जी का वास हो और घर में सुख-शांति बनी रहे।

दीपावली की रात इन जगहों पर जरूर रखे दीये

दिवाली पर अक्सर दरवाजे, तुलसी या पूजा स्थल पर दीपक जलाए जाते हैं। हालांकि, कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां कुछ ही लोग दीये जलाते होंगे। आइए जानते हैं दीपावली की रात को कितने स्थानों पर दीपक रखना चाहिए। और जानिए इससे मिलने वाले फायदों के बारे में भी –

  • दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा के लिए दीपक जलाया जाता है। वह दीया पीतल या स्टील का होता है। यह सात मुखी दीपक है जो देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करता है।
  • कहा जाता है कि दीपावली की रात मंदिर में गाय के दूध के शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। इससे आपको तुरंत कर्ज से मुक्ति मिल जाती है और आर्थिक संकट दूर हो जाता है।
  •  दीपावली की रात तुलसी के पास तीसरा दीपक जलाया जाता है। अगर आपके घर में तुलसी नहीं है तो आप इस दीपक को किसी अन्य पौधे के पास रख सकते हैं। भगवान विष्णु और माता तुलसी प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
  • चौथा दीपक दरवाजे के बाहर दहलीज के दायें और बायीं ओर रखा जाता है और बनाई गई रंगोली के बीच में भी रखा जाता है। यह धन की कामना को पूरा करता है।
  •  पांचवां दीपक पीपल के पेड़ के नीचे रखा जाता है। इससे यम और शनि के दोष नहीं लगते हैं। साथ ही पैसों की समस्या भी दूर हो जाती है।
  •  छठा दीपक पास के मंदिर में रखना जरूरी है। इससे सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।
  •  सातवां दीपक उस स्थान पर रखा जाता है जहां कचरा रखा जाता है। इससे घर की नकारात्मकता बाहर चली जाती है।
  • आठवां स्नानागार के कोने में रखें। इससे राहु और चंद्र दोष दूर होते हैं।
  •  यदि घर में मुंडेर या गैलरी है तो नौवां दीपक वहीं रखें।
  • दसवां घर की मुंडेर पर या बॉउंड्रीवाल पर रखें।
  • ग्यारहवां दीपक खिड़की में रखा जाता है।
  • बारहवां दीपक छत पर रखें।
  • तेरहवां दीपक एक चौराहे पर आता है। ऐसा करने से पैसों से जुड़ी परेशानियां खत्म हो सकती हैं।
  • दीपावली पर कुल देवी या देवता, यम और पितरों के लिए चौदहवां दीपक जलाया जाता है।
  • पंद्रहवां दीपक गौशाला में रखा जाता है। इससे गायों की माता सुरभि और भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं।
  •  दिवाली की शाम को बिल्व पत्र के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं। यहां दीप जलाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
  • यदि घर के पास कोई नदी, तालाब या जलाशय हो तो रात के समय वहां दीपक जलाने से सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है।
  • बहुत से लोग श्मशान घाट या सुनसान मंदिर में भी दीया लेकर आते हैं। इससे स्वर्गीय शक्तियों को मदद मिलती है।
  •  पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए घर के दक्षिण भाग में दीपक जलाएं।
  • घर के हर कोने में दीपक जलाना चाहिए।

दिवाली पूजा नियम (Diwali Puja Niyam)

देवी लक्ष्मी की पूजा या भोग लगाते समय तुलसी या तुलसी मंजरी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इससे मां लक्ष्मी आपसे नाराज हो सकती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। तुलसी का विवाह विष्णु के विग्रह रूप शालिग्राम से हुआ था। जिससे वह एक तरह से रिश्ते में मां लक्ष्मी की सौतन बन गई।

  • मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान उन्हें केवल लाल रंग की चीजें ही अर्पित करें। पूजा में सफेद फूल या सफेद रंग की चीजें न चढ़ाये। इससे माता लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।
  • देवी लक्ष्मी की पूजा के साथ-साथ गणेश जी की भी पूजा करनी चाहिए और फिर लक्ष्मी नारायण की पूजा करनी चाहिए। गणेश की पूजा के बिना लक्ष्मी पूजा सफल नहीं होती है।
  • दिवाली की रात को धन के देवता कुबेर, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने से पहले आपको अपना पूरा घर साफ करना चाहिए। जब आप दीपावली की पूजा करने बैठते हैं तो घर में कचरा या रसोई में गंदे बर्तन आदि नहीं रखना चाहिए।
  • घर में पूजा के लिए गणेश-लक्ष्मी की बड़ी मूर्तियों का प्रयोग न करें। घर में हमेशा गणेश-लक्ष्मी आदि देवी-देवताओं की छोटी-छोटी मूर्तियों का प्रयोग करें। हो सके तो हमेशा अंगूठे के आकार के बराबर की मूर्तियां ही खरीदें।
  • शाम से पहले मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए अपने घर के बाहर रंगोली बनाएं। रंगोली के लिए आप कृत्रिम रंगों की जगह हल्दी, आटा, रोली और फूलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही अपने घर के मुख्य द्वार को फूल और आम के पत्तों या अशोक के पत्तों से सजाएं।
  • माता लक्ष्मी का प्रतीक या स्टिकर जब भी घर के दरवाजे पर बनाती हैं, तो उन्हें बाहर से अंदर की ओर प्रवेश करते हुए होने चाहिए।
  • दिवाली के दिन अपने घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर हल्दी और रोली से स्वास्तिक का शुभ चिन्ह बनाएं।
  • दिवाली की रात गणेश-लक्ष्मी और कुबेर देवता के साथ अपने घर में पहले से रखे हुए देवताओं की पूजा करना न भूलें।
  • दीपावली की रात को देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए श्री यंत्र की पूजा करनी चाहिए और श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए।
  • दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने के बाद घर के सभी कमरों में शंख और घंटियां बजानी चाहिए।
  • दीपावली की रात सभी देवी-देवताओं के लिए दीपक जलाएं और दीपक में लौंग डालकर हनुमानजी की विशेष पूजा करें।
  • दिवाली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा में उनकी प्रिय मानी जाने वाली पीली कौड़ी, गन्ना आदि का भोग लगाना चाहिए।
  • दीपावली की रात हमेशा शुभ लग्न में गणेश-लक्ष्मी की पूजा करें। साधना शुभ योग में सफल होती है और धन संबंधी सभी समस्याएं दूर होती हैं।

FAQs For When Is Diwali In Hindi

2024 में दिवाली कब है?
2024 में 1 नवंबर, दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।

2024 में दिवाली किस दिन मनाई जाएगी?
2024 में दिवाली 1 नवंबर, दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।

निष्कर्ष

हमे उम्मीद है आपको यह लेख दिवाली कब है 2024 (Diwali Kab Hai In Hindi 2024) अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है तो इस लेख दीपावली इन हिंदी को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे।

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